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पेइचिंग में मशहूर लामा मंदिर

बीजिंग, 3 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| पेइचिंग के उत्तर पूर्व में स्थित मशहूर योंग ह पैलेस यानी लामा मंदिर कोरोना महारी के कारण एक अरसे से बंद हुआ था। चीन में महामारी के नियंत्रण संबंधी कदमों के समायोजन के बाद 1 जनवरी से वह फिर खुल गया ।नये साल की छुट्टियों में वहां अनुयायियों और यात्रियों की भीड़ नजर आयी, जो एक सरगर्म स्थल बना। योंग ह पैलेस चीन के छिंग राजवंश का शाही मंदिर रहा था। इसलिए उसकी दीवार का रंग लाल है और खपरैल का रंग पीला है, जो शाही भवन की तरह है।

कहा जा सकता है कि वह देश में सबसे ऊंचे मानदंड वाला बौद्ध मंदिर है। योंग ह पैलेस पहले छिंग राजवंश के तीसरे बादशाह योंग चंग का आवास था। उनका निधन होने के बाद वर्ष 1744 में योंग ह पैलेस का लामा मंदिर के रूप में जीर्णोद्धार किया गया। इसके बाद योंग ह पैलेस तिब्बती बौद्ध धर्म और लामा मंदिर संबंधी मामलों के प्रबंधन का राष्ट्रीय केंद्र बन गया। इतिहास में उसने देश की एकता की सुरक्षा, विभिन्न जातियों की एकजुटता की मजबूती और सीमांत क्षेत्र की स्थिरता की गारंटी के लिए अहम भूमिका निभायी।

योंग ह पैलेस का क्षेत्रफल लगभग 66,400 वर्गमीटर है। दक्षिण से उत्तर तक चार सौ मीटर लंबी मध्य रेखा पर सात कोर्टयार्ड और छह बड़े भवन हैं। इसमें कुल मकानों और भवनों की संख्या करीब एक हजार है।

योंग ह पैलेस भवन यानी ग्रेंड हॉल में तीन शानदार कांस्य वाली बुद्ध प्रतिमाएं हैं और अट्ठाहर अर्हत की प्रतिमाएं हैं। योंग ह पैलेस भवन के सामने एक पत्थर का पैवेलियन है। पत्थर टेबलेट पर मैन, हान, तिब्बती और मंगोलियाई चार अक्षरों में तिब्बती बौद्ध धर्म के विकास की स्थिति, तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रति छिंग सरकार की नीतियां और जीवित बुद्ध तय करने में स्वर्ण कुशल व्यवस्था पर एक आलेख अंकित है, जो बादशाह छन लोंग ने वर्ष 1792 में लिखा था।

योंग ह पैलेस भवन के उत्तर में योंग यो महल स्थित है, जहां लामा सूत्र का पठन करते हैं और धार्मिक समारोह समारोह करते हैं।

योंग यो महल के उत्तर में फालुन (धार्मिक चक्र) महल है। उस में 6.1 मीटर ऊंची तिब्बती बौद्ध धर्म की गलुग स्कूल (येलो हैट पंथ) के संस्थापक त्सोंगखापा की कांस्य-प्रतिमा है। यह प्रतिमा वर्ष 1924 में बनायी गयी।प्रतिमा के पीछे एक बहुत सुंदर वूड काविर्ंग रचना है, जिसकी लंबाई 5 मीटर और चौड़ाई 3.5 मीटर है। उस पर पांच सौ विविध और सजीव अर्हत दिखाई देते हैं।

योंग यो महल के पीछे वांग फु (अपार खुशियां)महल है, जो योंग ह पैलेस मे सब से ऊंची और महान इमारत है। इस में एक विशाल मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा है, जो एक ही सैंडलवुड से बना है। यह सैंडलवूड सातवें दलाई लामा द्वारा नेपाल से बड़े खर्च से खरीदा गया। उसे तिब्बत से पेइचिंग लाने में तीन साल लगे। इस सैंडलवुड की कुल लंबाई 26 मीटर है, जिसका 8 मीटर हिस्सा भूमि के नीचे में गाड़ा गया था। वह विश्व में एक सिंगल लकड़ी से नक्काशी की गयी सबसे बड़ी बुद्ध प्रतिमा है। वर्ष 1990 में योंग ह पैलेस की मैत्रेय बुद्ध प्रतिमा गिनीज विश्व रिकार्ड पुस्तक में शामिल करायी गयी।

योंग ह पैलेस चीन के पहले जत्थे वाले महत्वपूर्ण विरासतों में से एक है। एक धार्मिक स्थल के अलावा वह तिब्बती बौद्ध धर्म कला संग्रहालय भी है। योंग ह पैलेस का दौरा करने पर आपको तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बत तथा मातृभूमि के संबंध के बारे में बहुत जानकारी हासिल होगी।

 

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