अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Arya909050)

फेंटेनाइल को ‘सामूहिक विनाश का हथियार’ घोषित करने वाला ट्रंप का ऐतिहासिक आदेश,अमेरिका में ड्रग संकट पर सख्त रुख

वाशिंगटन,16 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका में बढ़ते ड्रग संकट के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और अभूतपूर्व कदम उठाया है। ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करते हुए फेंटेनाइल को आधिकारिक रूप से “सामूहिक विनाश का हथियार” घोषित कर दिया है। यह फैसला न केवल अमेरिका की ड्रग नीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है,बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधे जोड़ने की दिशा में भी एक अहम कदम बताया जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि फेंटेनाइल जैसा सिंथेटिक ओपियोइड अमेरिका के लिए किसी बम या मिसाइल से कम खतरनाक नहीं है और यह देश की सामाजिक,आर्थिक और पारिवारिक संरचना को अंदर से खोखला कर रहा है।

व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा कि यह सिर्फ स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं रह गया है,बल्कि अब यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल बन चुका है। उन्होंने फेंटेनाइल की तुलना सामूहिक विनाश के हथियारों से करते हुए कहा कि कोई भी विस्फोटक या पारंपरिक हथियार उतनी तबाही नहीं मचाता,जितनी तबाही यह नशा अमेरिका में मचा रहा है। ट्रंप के मुताबिक,सरकारी आँकड़ों में दिखने वाली मौतों की संख्या वास्तविकता से कहीं कम है और हर साल दो से तीन लाख अमेरिकी फेंटेनाइल के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े केवल संख्या नहीं हैं,बल्कि इनके पीछे टूटे हुए परिवार,अनाथ बच्चे और बर्बाद होती जिंदगियाँ हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस संकट के लिए विदेशी ताकतों को भी जिम्मेदार ठहराया। उनका आरोप है कि अमेरिका के दुश्मन देश जानबूझकर फेंटेनाइल की तस्करी कर रहे हैं ताकि अमेरिकी समाज को कमजोर किया जा सके। ट्रंप ने कहा कि यह एक सुनियोजित रणनीति है,जिसके तहत इस घातक नशे को अमेरिका में पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह सिर्फ अपराध नहीं,बल्कि अमेरिका के खिलाफ एक प्रकार का “रासायनिक युद्ध” है। इसी कारण उन्होंने ड्रग माफिया और तस्कर गिरोहों को सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

ट्रंप ने अपनी सरकार की कार्रवाई को रेखांकित करते हुए बताया कि हाल के महीनों में फेंटेनाइल के खिलाफ बड़ी सफलताएँ मिली हैं। उन्होंने मई महीने का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका के इतिहास में पहली बार एक ही कार्रवाई में करीब 30 लाख फेंटेनाइल गोलियां जब्त की गईं। इसके अलावा,कोलोराडो में पिछले महीने 17 लाख गोलियों की बरामदगी को भी उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताया। ट्रंप का कहना है कि इतनी बड़ी खेपों की जब्ती इस बात का सबूत है कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है और तस्करों पर दबाव लगातार बढ़ाया जा रहा है।

राष्ट्रपति के अनुसार,सीमा से अमेरिका में दाखिल होने वाले फेंटेनाइल की मात्रा में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने इसे सख्त सीमा सुरक्षा और कड़े कानूनों का नतीजा बताया। ट्रंप ने यह भी कहा कि इस मामले में चीन के साथ सहयोग बढ़ा है और दोनों देश मिलकर इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि,उन्होंने यह भी साफ किया कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और किसी भी तरह की ढिलाई इस संकट को और गहरा सकती है।

अपने संबोधन में ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि फेंटेनाइल का सीमित और नियंत्रित उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है,खासकर गंभीर दर्द के इलाज में,लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि अवैध रूप से तैयार किया गया फेंटेनाइल और अन्य नशीले पदार्थों में मिलाया गया इसका स्वरूप बेहद घातक है। ट्रंप के मुताबिक, यही वह फेंटेनाइल है जो मेक्सिको जैसे देशों में अवैध लैब में तैयार किया जा रहा है और फिर तस्करी के जरिए अमेरिका तक पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने इसे संगठित अपराध और अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का हिस्सा बताया।

यह एग्जीक्यूटिव ऑर्डर ऐसे समय में जारी किया गया है,जब अमेरिका पहले से ही सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई सख्त फैसलों पर काम कर रहा है। ट्रंप ने स्पष्ट संकेत दिए कि फेंटेनाइल के खिलाफ लड़ाई में सेना,खुफिया एजेंसियों और कानून प्रवर्तन संस्थाओं के बीच तालमेल और मजबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया अब सिर्फ अपराधी नहीं,बल्कि अमेरिका के लिए एक सैन्य खतरे की तरह हैं और उनसे उसी स्तर पर निपटा जाएगा।

फेंटेनाइल संकट को अमेरिका के हालिया इतिहास की सबसे गंभीर स्वास्थ्य आपदाओं में से एक माना जा रहा है। पिछले एक दशक में सिंथेटिक ओपियोइड के कारण ओवरडोज से होने वाली मौतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कई राज्यों में यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य तंत्र पर भारी दबाव पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि जब तक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से नहीं देखा जाएगा,तब तक इस पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस फैसले की गूंज सुनाई दे रही है। भारत समेत कई देश नशीली दवाओं के अवैध कारोबार को लेकर पहले से सतर्क हैं और वैश्विक सहयोग को जरूरी मानते हैं। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ऐसे पदार्थों की रोकथाम के प्रयासों पर करीबी नजर रखे हुए है और अमेरिका व अन्य देशों के साथ मिलकर ड्रग तस्करी के खिलाफ सहयोग बढ़ा रहा है। ट्रंप का यह आदेश आने वाले समय में वैश्विक ड्रग नीति और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विमर्श को भी प्रभावित कर सकता है।

फेंटेनाइल को सामूहिक विनाश का हथियार घोषित करना ट्रंप प्रशासन की सख्त नीति और आक्रामक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह फैसला दिखाता है कि अमेरिका अब ड्रग संकट को केवल स्वास्थ्य या कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं,बल्कि देश की सुरक्षा और अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा मान रहा है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि इस आदेश के बाद जमीन पर कार्रवाई कितनी प्रभावी साबित होती है और क्या अमेरिका इस घातक नशे के कहर से अपने नागरिकों को बचाने में सफल हो पाता है।