दिल्ली की अदालत में दायर याचिका का दावा, 'पहलवानों के आरोप झूठे'

दिल्ली की अदालत में दायर याचिका का दावा, ‘पहलवानों के आरोप झूठे’

नई दिल्ली, 25 मई (युआईटीवी/आईएएनएस)- एक सामाजिक कार्यकर्ता और अटल जन शक्ति पार्टी के प्रमुख ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाने वाले पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में यौन उत्पीड़न के ‘झूठे आरोप’ लगाए जाने की आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा, शिकायत में आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘अभद्र भाषा’ बोलने में शामिल थे।

पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष गुरुवार को मामले की सुनवाई होनी है।

याचिकाकर्ता बम बम महाराज नौहटिया ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की विश्वसनीयता को चुनौती दी थी।

याचिका में तर्क दिया गया है कि आरोपों में सच्चाई नहीं है और ये किसी वास्तविक चिंता से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि संभावित प्रभाव या व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं।

शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ए.पी. सिंह ने दलील पेश की, जिसमें कहा गया है : आरोपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पहलवान हैं, जिनके पास शारीरिक शक्ति और वित्तीय स्थिरता है। यह विश्वास करना मुश्किल है कि 66 वर्षीय व्यक्ति सिंह द्वारा उन्हें परेशान किया जा सकता है।

इसके अलावा, दलील में शामिल किसी भी पहलवान द्वारा औपचारिक विरोध या लिखित या मौखिक प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दाखिल करने की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला गया है।

याचिका में कहा गया है कि पहलवानों ने पुलिस स्टेशन, महिला हेल्पलाइन, राज्य महिला आयोग, महिला कल्याण मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ जैसे प्रासंगिक अधिकारियों से संपर्क नहीं किया, जिनके कार्यालय दिल्ली और अन्य राज्यों में हैं।

इसके अलावा, याचिका में तर्क दिया गया है कि पहलवानों द्वारा दिल्ली में जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन ने वांछित परिणाम प्राप्त करने के प्रयास में पुलिस और अदालत प्रणाली पर अनावश्यक दबाव डालने का काम किया।

याचिका में कहा गया है कि जंतर-मंतर पर पहलवानों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान, राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर प्रसारित प्रसारण के अनुसार, एक अत्यधिक भड़काऊ नारा खुले तौर पर लगाया गया था।

दलील में कहा गया है कि यह नारा अभद्र भाषा का एक उदाहरण था, प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा स्पष्ट रूप से पीएम मोदी के जीवन के लिए खतरा बताती है।

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों के अनुसार नफरत फैलाने वाला भाषण न केवल एक कानूनी अपराध है, बल्कि एक गंभीर अपराध भी है।

इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि झूठे आरोप और विरोध स्थल पर आरोपी पहलवानों द्वारा की गई गतिविधियों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के चरित्र को गंभीर रूप से कलंकित किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *