विक्रम भट्ट (तस्वीर क्रेडिट@AnilYadavmedia1)

फिल्म निर्देशक विक्रम भट्ट 30 करोड़ की कथित धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार,उदयपुर लाई जा सकती है पुलिस,पत्नी समेत छह पर एफआईआर दर्ज

मुंबई,8 दिसंबर (युआईटीवी)- बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक विक्रम भट्ट को राजस्थान पुलिस ने एक बड़े आर्थिक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला करीब 30 करोड़ रुपये की ठगी से जुड़ा हुआ है,जिसकी शिकायत जाने-माने डॉक्टर और इंडिरा आईवीएफ के संस्थापक डॉ. अजय मुर्डिया ने दर्ज कराई थी। पिछले सप्ताह ही भट्ट के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया गया था,जिसके बाद पुलिस ने मुंबई के यारी रोड इलाके से उन्हें हिरासत में लिया। अब खबर है कि जाँच आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान पुलिस उन्हें उदयपुर ले जाने की तैयारी कर रही है।

डॉ. मुर्डिया ने उदयपुर के भूपालपुरा थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में विक्रम भट्ट,उनकी पत्नी श्वेतांबरी और छह अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के अनुसार,आरोपी पक्ष ने डॉ. मुर्डिया को एक फिल्म प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए प्रेरित किया था,जिसमें 200 करोड़ रुपये तक का मुनाफा होने का दावा किया गया था। यह प्रोजेक्ट उनकी दिवंगत पत्नी के जीवन पर आधारित एक बायोपिक फिल्म से जुड़ा हुआ था। शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट में करीब 30 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया था,लेकिन उसके बाद फिल्म निर्माण का कार्य अचानक रोक दिया गया और किसी भी प्रकार की प्रगति नहीं दिखाई गई।

डॉ. मुर्डिया ने आरोप लगाया कि विक्रम भट्ट और उनकी टीम ने झूठे वादों के ज़रिए उन्हें बड़े मुनाफे का लालच दिया,लेकिन वादे पूरे नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने प्रोजेक्ट की स्थिति जानने की कोशिश की,तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। इससे उन्हें अंदेशा हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की प्राथमिक जाँच शुरू की,जिसमें यह सामने आया कि डॉ. मुर्डिया की मुलाकात आरोपी पक्ष से किसी परिचित के माध्यम से कराई गई थी। इसी परिचय के आधार पर बायोपिक फिल्म बनाने की बात आगे बढ़ी थी।

उधर,विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद दंपति के वकील राकेश सिंह और संजय सिंह ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वकीलों का कहना है कि राजस्थान पुलिस ने बिना उचित अनुमति और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ही दोनों को गिरफ्तार किया है। उनका आरोप है कि पुलिस ने दंपति को मनमाने तरीके से हिरासत में लिया और गिरफ्तारी के कारणों के बारे में स्पष्ट जानकारी भी नहीं दी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने दंपति को धमकाया और बिना तारीख और समय वाले दस्तावेज पर जबरन हस्ताक्षर कराए।

दंपति के वकीलों ने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दिए बिना और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना हिरासत में लिया गया है,जो कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने यह भी धमकी दी कि यदि दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं किए गए,तो उन्हें राजस्थान ले जाकर प्रताड़ित किया जाएगा। यह दावा अदालत के सामने रखा गया,जिसके बाद न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नौ दिसंबर तक ट्रांजिट रिमांड मंजूर कर दी।

इधर,पुलिस का कहना है कि मामले के गंभीर होने और बड़ी रकम के लेन-देन को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की गई है। प्रारंभिक जाँच से मिले तथ्यों के आधार पर पुलिस का मानना है कि आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से फिल्म निर्माण के नाम पर निवेश के लिए लालच दिया और बाद में प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने से पीछे हट गए। पुलिस यह जाँच करने में जुटी है कि पैसा किस खातों में गया और क्या उसका इस्तेमाल प्रोजेक्ट के लिए किया भी गया या नहीं।

विक्रम भट्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी से संबंधित गंभीर धाराओं का प्रयोग किया गया है। इस मामले के चर्चा में आते ही फिल्म जगत में भी हलचल तेज हो गई है,क्योंकि विक्रम भट्ट बॉलीवुड के जाने-माने नामों में से हैं और उन्होंने कई सफल फिल्में निर्देशित की हैं। उनकी गिरफ्तारी से उद्योग में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कुछ लोगों ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध बताया है,जबकि कुछ ने कहा कि मामले की सच्चाई तो पूरी जाँच के बाद ही सामने आएगी।

फिलहाल पुलिस विक्रम और उनकी पत्नी श्वेतांबरी को उदयपुर लाने की तैयारी कर रही है,जहाँ आगे की पूछताछ और जाँच की जाएगी। इस मामले में अन्य छह आरोपी भी शामिल बताए गए हैं,जिनकी भूमिका की छानबीन पुलिस कर रही है। जाँच एजेंसियाँ यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इस पूरे मामले में किसी प्रोडक्शन कंपनी या अन्य वित्तीय एजेंट का भी योगदान था।

डॉ. अजय मुर्डिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने बड़े भरोसे के साथ इस प्रोजेक्ट में निवेश किया था,क्योंकि यह उनकी दिवंगत पत्नी के जीवन पर आधारित था और उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद भावनात्मक महत्व रखता था। उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस उचित जांच कर उन्हें न्याय दिलाएगी।

अदालत द्वारा ट्रांजिट रिमांड मंजूर होने के बाद अब आगे की कार्रवाई राजस्थान पुलिस के हाथों में है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि इस विवाद की कानूनी दिशा किस ओर जाती है और विक्रम भट्ट तथा अन्य आरोपियों पर लगे आरोपों की सच्चाई क्या है। मामला जहाँ एक तरफ आर्थिक धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लिए हुए है,वहीं दूसरी ओर आरोपी पक्ष इसे मनमानी कार्रवाई करार दे रहा है। इस विवाद का अंतिम अध्याय अभी बाकी है और सभी की नजरें आगे की जाँच पर टिकी हुई हैं।