वाशिंगटन,13 नवंबर (युआईटीवी)- अमेरिका में चल रहा इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन आखिरकार खत्म हो गया है। करीब 45 दिनों तक जारी इस सरकारी ठप स्थिति को समाप्त करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस ने आखिरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। सीनेट द्वारा समर्थित विधेयक को अमेरिकी प्रतिनिधि सदन ने मंजूरी दे दी,जिसके बाद यह बिल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा गया। ट्रंप ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून का रूप दे दिया,जिससे अमेरिका में सरकारी कामकाज फिर से पटरी पर लौटने की राह पर है।
यह शटडाउन अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा था,जिसने न केवल सरकारी एजेंसियों को पंगु बना दिया,बल्कि लाखों सरकारी कर्मचारियों और आम जनता के जीवन को भी प्रभावित किया। इस बिल के पारित होने के साथ ही अमेरिका में फेडरल फंडिंग 30 जनवरी तक के लिए बहाल हो गई है। यानी अब सरकारी एजेंसियाँ अपनी सेवाएँ दोबारा शुरू कर सकेंगी।
वोटिंग के दौरान यह साफ दिखा कि ट्रंप प्रशासन को इस बार विपक्ष से भी आंशिक समर्थन मिला। लगभग सभी रिपब्लिकन सांसदों और कुछ डेमोक्रेट्स ने इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया। मतदान का परिणाम 222-209 के अनुपात में रहा,जिससे यह स्पष्ट हुआ कि देश को फिर से सामान्य स्थिति में लाने की आवश्यकता सभी दलों ने महसूस की।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मौके पर बयान जारी करते हुए कहा कि वे किसी भी दल के साथ काम करने को तैयार हैं,यदि उद्देश्य देश के हित में हो। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा किसी के भी साथ काम करने को तैयार हूँ,दूसरे पक्ष के साथ भी। हम स्वास्थ्य सेवा से जुड़े किसी न किसी विषय पर काम करेंगे और हम ओबामाकेयर के इस पागलपन को भूल जाएँगे।” ट्रंप ने आगे कहा कि “इस अविश्वसनीय विधेयक पर हस्ताक्षर करना और अपने देश को फिर से काम करने लायक बनाना मेरे लिए सम्मान की बात है।”
हालाँकि,प्रशासनिक कार्य फिर से शुरू होने के बावजूद देश की स्थिति तुरंत सामान्य नहीं होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी एजेंसियों को अपनी सामान्य कार्यप्रणाली में लौटने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। शटडाउन के दौरान कई विभागों में लंबित कामों का अंबार लग गया है,जिन्हें निपटाने में समय लगेगा।
शटडाउन के दौरान सबसे अधिक असर हवाई सेवाओं पर पड़ा। कई हवाई अड्डों पर कर्मचारियों की कमी के कारण उड़ानें रद्द करनी पड़ीं या देरी से उड़ान भरनी पड़ी। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक,शटडाउन खत्म होने के बावजूद स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है। देश भर में लगभग 900 उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और सुरक्षा जाँच से जुड़े कर्मचारियों की कमी के कारण हवाई सेवाओं को पुनः सुचारू बनाने में समय लगेगा।
सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने इस मौके पर अपने भाषण में ट्रंप प्रशासन की आलोचना की। उन्होंने कहा, “वे जानते थे कि इससे तकलीफ होगी,फिर भी उन्होंने ऐसा किया। यह पूरी प्रक्रिया व्यर्थ थी। यह गलत और क्रूर थी।” जॉनसन का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि शटडाउन को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी मतभेद रहे हैं।
फेडरल फंडिंग बिल के तहत अधिकांश सरकारी एजेंसियों को 30 जनवरी तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस बिल से देश के कई सामाजिक और पोषण कार्यक्रमों को भी राहत मिलेगी। इनमें सबसे प्रमुख है सप्लीमेंटल न्यूट्रिशन असिस्टेंस प्रोग्राम(एसएनएपी ),जो अमेरिका में गरीब और निम्न आय वाले परिवारों के लिए चलाया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग आठ में से एक अमेरिकी नागरिक को खाद्य सहायता मिलती है।
एसएनएपी अमेरिका का सबसे बड़ा फूड असिस्टेंस प्रोग्राम है,जो करीब 4.2 करोड़ लोगों को भोजन खरीदने में मदद करता है। इस कार्यक्रम के लाभार्थियों में ज्यादातर वे लोग हैं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। शटडाउन के दौरान इस कार्यक्रम पर गंभीर असर पड़ा था। ट्रंप प्रशासन ने शटडाउन के बीच गरीबों के लिए मिलने वाले भोजन की आधी राशि रोक दी थी, जिससे लाखों लोगों के सामने खाद्य संकट खड़ा हो गया था।
हालाँकि,बाद में निचली अदालत ने इस निर्णय को पलटते हुए तुरंत फंड जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया,जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने भी इस रोक को अस्थायी तौर पर बहाल कर दिया था। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि शटडाउन के दौरान न केवल सरकारी कर्मचारियों,बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी।
इस बिल के लागू होने के बाद अब फूड प्रोग्राम्स,स्कूल मील स्कीम और अन्य बाल पोषण योजनाओं को भी पूरी फंडिंग दी जाएगी। चाइल्ड न्यूट्रिशन प्रोग्राम,जो मुफ्त और कम कीमत पर स्कूल भोजन मुहैया कराता है,अब अपने पूरे बजट पर काम कर सकेगा। यह कदम अमेरिकी प्रशासन के लिए बड़ी राहत है क्योंकि इन योजनाओं का सीधा असर लाखों बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इतने लंबे शटडाउन का असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ा है। सरकारी सेवाओं के ठप रहने से उत्पादकता में कमी आई,पर्यटन और हवाई परिवहन क्षेत्र को नुकसान हुआ,जबकि सरकारी कर्मचारियों को वेतन न मिलने से घरेलू खपत पर भी असर पड़ा।
व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार,अब सभी विभागों को तुरंत कामकाज शुरू करने का आदेश दे दिया गया है। प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि अगले कुछ हफ्तों में स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी और नागरिक सेवाओं में रुकावटें खत्म होंगी।
हालाँकि,राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह शटडाउन ट्रंप प्रशासन की नीतिगत अस्थिरता का परिणाम था। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में बजट या नीति को लेकर इसी तरह की राजनीतिक जिद जारी रही,तो अमेरिका को फिर से ऐसे संकट का सामना करना पड़ सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिकी लोकतंत्र की नीतिगत प्रक्रिया जनता के हितों से ऊपर उठकर पार्टीगत राजनीति का शिकार हो रही है। फिलहाल राहत की बात यह है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फिर से सक्रिय हो गई है और लाखों अमेरिकी कर्मचारी,जो वेतन न मिलने से परेशान थे,अब अपनी नौकरी पर लौट सकेंगे।
अमेरिका के इस सबसे लंबे शटडाउन के अंत के साथ ही ट्रंप प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह आने वाले महीनों में स्थायी समाधान तलाशे,ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने। देश अब यह उम्मीद कर रहा है कि सरकार और विपक्ष अपने मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रीय हित में आगे बढ़ेंगे,क्योंकि शटडाउन का दर्द पूरे अमेरिका ने महसूस किया है।

