विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी एफबीआई और राष्ट्रीय खुफिया प्रमुखों से की मुलाकात (तस्वीर क्रेडिट@NanChintak)

विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका यात्रा के दौरान एफबीआई निदेशक काश पटेल और राष्ट्रीय खुफिया प्रमुखों से की मुलाकात

वाशिंगटन,3 जुलाई (युआईटीवी)- भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के निमंत्रण पर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह दौरा भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है,क्योंकि इसमें न सिर्फ दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग की झलक देखने को मिली,बल्कि बहुपक्षीय मंच ‘क्वाड’ की विदेश मंत्रियों की बैठक ने भी वैश्विक संतुलन की दिशा में नए संकेत दिए।

जयशंकर की इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक (क्यूएफएमएम) में भाग लेना था। क्वाड समूह—भारत,अमेरिका,जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक रणनीतिक मंच है,जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है।

वाशिंगटन डीसी में आयोजित इस बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने समकक्षों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। बैठक के इतर उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो,जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग से भी मुलाकात की। इन वार्ताओं में सुरक्षा, कनेक्टिविटी,ऊर्जा,गतिशीलता और उभरती तकनीकों जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई।

जयशंकर की इस यात्रा की एक और अहम कड़ी रही उनकी मुलाकात एफबीआई निदेशक काश पटेल से। दोनों के बीच हुई बातचीत का फोकस संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद से लड़ाई में भारत-अमेरिका सहयोग पर था।


जयशंकर ने इस मुलाकात के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,”एफबीआई निदेशक काश से मिलकर खुशी हुई। संगठित अपराध,मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद का मुकाबला करने में हमारे मजबूत सहयोग की सराहना करता हूँ।”

यह बैठक इस बात को रेखांकित करती है कि भारत और अमेरिका आतंकवाद और अपराध के खिलाफ एकजुट होकर काम कर रहे हैं और इसमें इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों का गहरा सहयोग है।

जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से भी विशेष मुलाकात की। इस चर्चा में वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति,खुफिया सहयोग और रणनीतिक हितों पर बातचीत हुई। तुलसी गबार्ड,जो अमेरिकी कांग्रेस की पूर्व सदस्य भी रह चुकी हैं, भारत-अमेरिका संबंधों की प्रबल समर्थक मानी जाती हैं।

इस मुलाकात का उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों जैसे – चीन की बढ़ती आक्रामकता,वैश्विक आतंकवाद,साइबर सुरक्षा और तकनीकी प्रभुत्व के प्रति एकजुट रणनीति पर विचार करना था।

भारत की ऊर्जा नीति और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में हुए बदलावों को लेकर जयशंकर की अमेरिकी ऊर्जा सचिव क्रिस राइट से भी महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस वार्ता में भारत में चल रहे ऊर्जा परिवर्तन,नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश,हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को लेकर आपसी सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई।

भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी का विस्तार दोनों देशों के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। जयशंकर ने भारत में ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे बदलावों से अमेरिका को अवगत कराया और निवेश के नए क्षेत्रों की संभावनाएँ तलाशीं।

जयशंकर ने यह भी बताया कि इस यात्रा में रक्षा और सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों पर गहन चर्चा के लिए उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हगसेथ से अलग से मुलाकात की। इस बातचीत में हथियारों के तकनीकी हस्तांतरण,इंडो-पैसिफिक में सैन्य संतुलन,समुद्री सुरक्षा और रक्षा व्यापार जैसे विषयों को प्रमुखता दी गई।

भारत अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी को नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘रक्षा सह-विकास’ (डिफेन्स को-डेवलपमेंट ) जैसे विषयों पर सक्रियता से काम कर रहा है।

जयशंकर की इस यात्रा के दौरान क्वाड सहयोगियों—जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों से भी उपयोगी संवाद हुआ। उन्होंने बताया कि इन मुलाकातों में न केवल वर्तमान वैश्विक चुनौतियों,बल्कि आगामी नेताओं की बैठकों की तैयारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समन्वय को लेकर भी चर्चा हुई।

इसके साथ ही व्यापार,निवेश,तकनीकी सहयोग,ऊर्जा सुरक्षा और लोगों की आवाजाही जैसे विषयों पर भी विस्तार से बात हुई। खासकर भारत-अमेरिका के बीच हाई-टेक सेक्टर,चिप निर्माण और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर सकारात्मक संकेत मिले।

एस. जयशंकर की यह अमेरिका यात्रा न केवल एक राजनयिक शिष्टाचार थी,बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि भारत और अमेरिका के रिश्ते अब रणनीतिक गहराई की ओर बढ़ रहे हैं। चाहे आतंकवाद का मुकाबला हो,ऊर्जा सुरक्षा का सवाल हो या फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन,भारत और अमेरिका एक-दूसरे के प्रमुख सहयोगी बनते जा रहे हैं।

क्वाड जैसे मंचों पर सक्रिय भागीदारी,द्विपक्षीय सुरक्षा और तकनीकी साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर तालमेल,इन सभी संकेतों से यह स्पष्ट है कि भारत अब एक वैश्विक रणनीतिक शक्ति के रूप में उभर रहा है और अमेरिका इसके साथ खड़ा है।

जयशंकर की यह यात्रा भारत की विदेश नीति की उस दिशा की पुष्टि है,जिसमें सहयोग,संप्रभुता और सुरक्षा के सिद्धांतों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत आत्मविश्वास के साथ अपनी भूमिका निभा रहा है।