नई दिल्ली,14 अगस्त (युआईटीवी)- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार,13 अगस्त को नई दिल्ली में इंडिया स्पोरा सभा को संबोधित किया और कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति चाहे कोई भी बने,भारत उसके साथ मिलकर काम करने में सक्षम और तैयार है। आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बारे में नई दिल्ली में इंडियास्पोरा की प्रभाव रिपोर्ट के विमोचन के मौके पर जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी प्रणाली अपना फैसला सुनाएगी और इस बात का भारत को पूरा भरोसा है कि अमेरिका में जिसकी भी सरकार चुनी जाएगी,भारत उसके साथ काम करने में सक्षम होगी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडिया स्पार्की इंपैक्ट रिपोर्ट के लॉन्च के अवसर पर भारतीय प्रवासियों की समकालीन साझेदारी के निर्माण में भूमिका के बारे में बात की।
आगे उन्होंने कहा कि जब पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू अमेरिका गए थे,तो वहाँ तीन हजार भारतीय अमेरिकी थे। जब पहली बार इंदिरा गांधी अमेरिका गईं थी,तो वहाँ भारतीय अमेरिकी की संख्या 30 हजार थी,राजीव गांधी जब गए थे तो यह संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई थी और अब जब नरेंद्र मोदी अमेरिका गए तो यह संख्या बढ़कर 33 लाख हो गए थे। अमेरिका में भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका के मध्य प्रवासी समुदाय डिजिटल संपर्क के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि,जैसा की हम दूसरे लोगों से उम्मीद करते हैं कि वे हमारे चुनावों पर टिप्पणी नहीं करेंगे,इसलिए हम भी किसी दूसरे लोगों के चुनाव पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं। अमेरिकी चुनाव का जो भी फैसला होगा,वह अमेरिकी प्रणाली तय करेगी। लेकिन,आप यदि पिछले 20 सालों को देखें,तो हमें पूरा भरोसा है कि अमेरिका में चाहे वह कोई भी राष्ट्रपति बने,हम उनके साथ काम करने में सक्षम होंगे।
एस. जयशंकर ने वर्तमान वैश्विक स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि,आप देख रहे हैं कि विश्व एक असाधारण विषम परिस्थिति से गुजर रहा है। विश्व में कोविड का प्रभाव जारी है,मध्य पूर्व में,दक्षिण पूर्व एशिया में,यूक्रेन में,पूर्वी एशिया में कैसी स्थिति है। इस स्थिति से हममें से जो भी लोग बाहर आ गए हैं,इसे वे बहुत हल्के में लेते हैं,लेकिन ऐसे कई लोग हैं,जो इससे बाहर नहीं आ पाए हैं।
दुनिया भर में जारी आर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि कई देश मौजूदा समय में संघर्ष कर रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि विश्व महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों जैसे- विदेशी मुद्रा की कमी,व्यापार कठिनाइयों इत्यादि का सामना कर रही है। साथ ही वैश्विक अस्थिरता को जलवायु संबंधी घटनाएँ भी बढ़ा रही है,जिसके कारण निकट भविष्य में गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ सकता है।
