नई दिल्ली,17 नवंबर (युआईटीवी)- बांग्लादेश की राजनीति में सोमवार को एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व अध्याय दर्ज हो गया,जब बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने देश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराधों का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई। यह फैसला बांग्लादेश के इतिहास में किसी पूर्व प्रधानमंत्री पर लगे ऐसे गंभीर आरोपों और सजा की दुर्लभ मिसाल है। आईसीटी के जजों ने कहा कि हसीना द्वारा दिए गए ‘उकसावे वाले आदेश’ और उनके नेतृत्व में हुई कार्रवाई मानवता के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में आती है और इसलिए वे कठोरतम दंड की पात्र हैं।
फैसले का सीधा प्रसारण राष्ट्रीय टेलीविज़न पर किया गया,जिसमें अदालत ने विस्तृत रूप से उन वीडियो और दस्तावेजी साक्ष्यों का उल्लेख किया,जिनके आधार पर हसीना को दोषी ठहराया गया। यह मामला जुलाई-अगस्त 2024 के दौरान हुए छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन और उसके बाद हुई हिंसा से संबंधित है। इस आंदोलन के दौरान कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे,जिन्हें रोकने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा कठोर कार्रवाई की गई। कई दर्जन नागरिकों और छात्रों की मौत हुई थी तथा सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन घटनाओं को लेकर लंबे समय से हसीना सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए जाते रहे थे।
आईसीटी ने अपने फैसले में कहा कि हसीना तीन गंभीर आरोपों में दोषी पाई गई हैं। पहला आरोप न्याय में बाधा डालने का था,जिसके तहत उन्होंने कथित रूप से सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए जाँच प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। दूसरा आरोप नागरिकों की हत्याओं का आदेश देने से जुड़ा था। कोर्ट ने कहा कि उनके प्रत्यक्ष निर्देश पर सुरक्षा बलों ने ड्रोन,हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों का इस्तेमाल कर भीड़ पर हमला किया,जिससे भारी जनहानि हुई। तीसरा आरोप यह था कि उन्होंने जानबूझकर दंडात्मक और निवारक कार्रवाई करने से परहेज़ किया,जिससे हिंसा और बढ़ी तथा मौतों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ।
अदालत ने अपने आदेश में कई वीडियो और ऑडियो साक्ष्यों का उल्लेख किया,जिनमें हसीना को कथित रूप से लक्षित हमलों का निर्देश देते हुए दिखाया गया है। इन वीडियो में उन्हें सुरक्षा बलों को भीड़ पर गोली चलाने,हेलीकॉप्टर से फायरिंग के लिए तैयार रहने और ड्रोन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर नज़र रखने और उन पर हमला करने के आदेश देते दिखाया गया है। अदालत ने कहा कि इन आदेशों का सीधा परिणाम नागरिकों की मौत और गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के रूप में सामने आया।
जस्टिस गुलाम मुर्तुजा मजुमदार ने फैसले को पढ़ते हुए कहा कि हसीना द्वारा किए गए अपराध मानवता के विरुद्ध किए गए अपराधों की सभी सीमाओं को पार करते हैं। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई प्रधानमंत्री से अपेक्षा की जाती है कि वह नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे,लेकिन हसीना ने न केवल अपने पद का दुरुपयोग किया,बल्कि सरकारी शक्तियों का इस्तेमाल निर्दोष नागरिकों के दमन के लिए किया। अदालत ने यह भी कहा कि हसीना ने सरकार की आलोचना करने वाले कई पत्रकारों,राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाया,जिससे उनके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई बढ़ी।
मामले में दो अन्य प्रमुख नेताओं पर पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून भी मुकदमा चलाया गया था। अदालत उनके मामलों पर भी जल्द फैसला सुनाएगी। तीनों पर मानवता के विरुद्ध अपराध,शक्ति का दुरुपयोग और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
हसीना को मिली यह सजा कई महीनों की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आई है। 2024 के छात्र आंदोलन,जो भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी और सरकारी दमन के विरोध में शुरू हुआ था,धीरे-धीरे एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका था। सरकार ने इसे दबाने के लिए कड़े कदम उठाए थे,जिनमें सेना की तैनाती,इंटरनेट बंदी और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी शामिल थी। इन कार्यवाहियों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हुई थी और कई मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश सरकार पर मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन का आरोप लगाया था।
आईसीटी के फैसले के बाद बांग्लादेश में प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। हसीना की पार्टी अवामी लीग ने अदालत के फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और कहा है कि यह फैसला देश की स्थिरता के खिलाफ है। वहीं विपक्षी दलों और आंदोलन से जुड़े कई नेताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है और कहा है कि यह फैसला उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है,जिन्होंने आंदोलन के दौरान अपने प्रियजनों को खोया।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी इस फैसले पर नज़र बनाए हुए है। कई देशों ने बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चिंता व्यक्त की है,वहीं मानवाधिकार संगठनों ने अदालत द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर फैसले को आवश्यक और न्यायसंगत बताया है।
शेख हसीना,जिन्होंने वर्षों तक बांग्लादेश की राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाई,अब अभूतपूर्व कानूनी संकट में हैं। मौत की सजा के इस फैसले के बाद उनकी कानूनी टीम उच्च अदालत में अपील करने की तैयारी कर रही है। आने वाले दिनों में यह मामला बांग्लादेश की राजनीति और समाज दोनों पर गहरा प्रभाव डालने वाला है।

