तेल अवीव,8 अगस्त (युआईटीवी)- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट कर दिया है कि गाजा पट्टी पर उनकी सरकार पूर्ण सैन्य नियंत्रण लेने की योजना बना रही है,लेकिन वहाँ शासन करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी दोहराया कि इजरायल का लक्ष्य गाजा को हमास के कब्जे से मुक्त कराना,बंधकों को सुरक्षित वापस लाना और वहाँ एक ऐसा प्रशासन स्थापित करना है,जो इजरायल के लिए खतरा न बने और गाजा की जनता को स्थिरता और बेहतर जीवन प्रदान कर सके।
अमेरिकी मीडिया को दिए इंटरव्यू में नेतन्याहू ने कहा कि गाजा को हमास से मुक्त करने और वहाँ की आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इजरायल पूरे 26 मील लंबे क्षेत्र पर सैन्य नियंत्रण स्थापित करेगा। हालाँकि,उन्होंने यह साफ कर दिया कि इस नियंत्रण का उद्देश्य गाजा को स्थायी रूप से कब्जे में लेना या उसे इजरायल में शामिल करना नहीं है। फॉक्स न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा, “हम इसे रखना नहीं चाहते। हम एक सुरक्षा परिधि बनाएँगे,लेकिन इसे शासकीय निकाय के रूप में नियंत्रित करने का हमारा कोई इरादा नहीं है।”
नेतन्याहू के अनुसार,इजरायल की योजना है कि गाजा को किसी ऐसी अरब शक्ति के हवाले किया जाए,जो वहाँ उचित शासन चलाए,आतंकवाद को बढ़ावा न दे और इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा न बने। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह शक्ति न तो हमास होगी और न ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए),क्योंकि दोनों ही इजरायल के लिए स्वीकार्य विकल्प नहीं हैं। उन्होंने कहा,“हमारा उद्देश्य हमास को नष्ट करना, बंधकों को वापस लाना और फिर गाजा को एक अस्थायी सरकार के हवाले करना है,जो न तो हमास हो और न ही कोई ऐसा संगठन जो इजरायल के विनाश की वकालत करता हो।”
नेतन्याहू ने यह भी दावा किया कि इजरायल गाजा में एक मजबूत सुरक्षा परिधि बनाएगा,ताकि वहाँ से आतंकवादी हमले न हो सकें। उनका कहना था कि अगर हमास तुरंत हथियार डाल दे और सभी बंधकों को रिहा कर दे,तो यह युद्ध कल ही समाप्त हो सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गाजा के कुछ फिलिस्तीनी समूह वर्तमान में हमास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं,जो इस संघर्ष की जटिलता को दर्शाता है।
इजरायली प्रधानमंत्री के इन बयानों को हमास ने तुरंत खारिज कर दिया। हमास ने कहा कि इजरायल का गाजा पर सैन्य नियंत्रण लेने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है और इसका मुकाबला किया जाएगा। दूसरी ओर,जॉर्डन ने भी चेतावनी दी है कि गाजा के भविष्य को लेकर केवल वही निर्णय स्वीकार्य होंगे,जो फिलिस्तीनी जनता की सहमति से लिए जाएँ।
अरब देशों ने पहले ही गाजा के पुनर्निर्माण में मदद की इच्छा जताई है,लेकिन इसके लिए उन्होंने शर्त रखी है कि इसमें फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भागीदारी होनी चाहिए। उनका मानना है कि वेस्ट बैंक और गाजा दोनों का प्रशासन एक ही निकाय के हाथ में होना चाहिए,ताकि लंबे समय से लंबित दो-राज्य समाधान की दिशा में ठोस प्रगति हो सके।
हालाँकि,नेतन्याहू फिलिस्तीनी अथॉरिटी की इस भूमिका को पूरी तरह खारिज कर चुके हैं। वे न तो पीए को गाजा के नियंत्रण का मौका देना चाहते हैं और न ही उन्होंने हमास के बाद शासन संभालने के लिए कोई ठोस वैकल्पिक योजना पेश की है। यही वजह है कि उनके आलोचक आरोप लगा रहे हैं कि इस अस्पष्टता और विकल्पों की कमी के कारण युद्ध अनावश्यक रूप से लंबा खींच रहा है। आलोचकों का तर्क है कि जब तक एक स्पष्ट राजनीतिक रोडमैप नहीं होगा,तब तक गाजा में स्थायी शांति स्थापित करना मुश्किल होगा।
नेतन्याहू का कहना है कि हमास को पूरी तरह परास्त किए बिना गाजा में कोई भी वैकल्पिक प्रशासन लंबे समय तक टिक नहीं पाएगा। उनके अनुसार,यदि इजरायल जल्दबाज़ी में गाजा का नियंत्रण किसी अन्य समूह को सौंप देता है,तो यह फिर से आतंकवाद और अस्थिरता का केंद्र बन सकता है। यही कारण है कि उन्होंने सैन्य अभियान को निर्णायक मोड़ तक ले जाने का संकल्प जताया है।
गाजा संकट पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी मिश्रित रही है। जहाँ कुछ पश्चिमी देश इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को मान्यता देते हैं,वहीं वे मानवीय संकट को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि गाजा में बुनियादी ढाँचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है और लाखों लोग विस्थापन और खाद्य-संकट का सामना कर रहे हैं।
इस बीच,इजरायल के भीतर भी नेतन्याहू की नीतियों को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि गाजा में लंबे समय तक सैन्य उपस्थिति बनाए रखना इजरायल के संसाधनों और सेना पर भारी बोझ डाल सकता है। वहीं,कट्टर समर्थकों का मानना है कि यह सुरक्षा के लिए जरूरी है और इससे हमास का पुनरुत्थान रोका जा सकेगा।
नेतन्याहू के ताज़ा बयान गाजा के भविष्य को लेकर इजरायल की सोच और मंशा का एक खाका प्रस्तुत करते हैं। वे यह स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि इजरायल वहाँ शासन करने का इच्छुक नहीं है,लेकिन तब तक सैन्य नियंत्रण बनाए रखेगा,जब तक उसे लगता है कि नया प्रशासन उसकी सुरक्षा के लिए भरोसेमंद नहीं है। अब सवाल यह है कि क्या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय,अरब देश और फिलिस्तीनी नेतृत्व इस पर सहमति बनाने में सक्षम होंगे या फिर गाजा लंबे समय तक संघर्ष और अस्थिरता के चक्र में फँसा रहेगा।