प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@RebornManish)

जी7 शिखर सम्मेलन 2025: कनाडा में आयोजित होने जा रहे 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे

नई दिल्ली,16 जून (युआईटीवी)- जी7 शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन कनाडा में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कनाडा में आयोजित होने जा रहे 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हैं। यह छठी बार होगा जब वह भारत का प्रतिनिधित्व इस प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर करेंगे। जी7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन, विश्व के सात सबसे विकसित और शक्तिशाली लोकतांत्रिक देशों का समूह है,जिसमें अमेरिका,जापान,जर्मनी,फ्रांस,ब्रिटेन,इटली और इस बार की मेजबानी कर रहा कनाडा शामिल हैं।

इस वर्ष का जी7 शिखर सम्मेलन कई अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक विषयों पर केंद्रित है, जिनमें वैश्विक आर्थिक स्थिरता,जलवायु परिवर्तन,कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और भू-राजनीतिक तनाव प्रमुख हैं। भारत को इस सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है,जो वैश्विक मंचों पर भारत के बढ़ते कद और प्रभावशाली भूमिका का परिचायक है।

प्रधानमंत्री मोदी इस अवसर का उपयोग ग्लोबल साउथ की आवाज को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने के लिए करेंगे। वे यह स्पष्ट रूप से रेखांकित करेंगे कि भारत कैसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत 2047’ की ओर अग्रसर है। भारत वैश्विक चुनौतियों का न केवल सामना कर रहा है,बल्कि उनका समाधान भी पेश कर रहा है,फिर चाहे वह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन हो,हरित ऊर्जा की दिशा में पहल हो या फिर वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का समाधान।

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कोविड-19 महामारी के समय वैक्सीन मैत्री जैसे अभियानों से यह स्पष्ट किया है कि वह विश्व के लिए एक जिम्मेदार और सक्रिय भागीदार है। जी7 में प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर से भारत के इन प्रयासों और पहलों को सामने रखेंगे।

इस सम्मेलन की एक और विशेष बात यह है कि यह भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी एक संवेदनशील,लेकिन अहम मौका है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में कुछ राजनयिक तनाव देखने को मिला है,लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इस उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के बहाने दोनों देशों को आपसी मतभेद कम करने और व्यापार,निवेश और जलवायु सहयोग जैसे क्षेत्रों में रिश्तों को पुनर्स्थापित करने का अवसर मिलेगा।

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और नरेंद्र मोदी के बीच संभावित द्विपक्षीय वार्ता में इन मुद्दों पर सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है।

भारत के लिए यह मंच इसलिए भी अहम है,क्योंकि जी20 की सफल अध्यक्षता के बाद,अब जी7 जैसे मंच पर उसकी सक्रिय भागीदारी यह संकेत देती है कि भारत अब केवल उभरती अर्थव्यवस्था नहीं,बल्कि वैश्विक निर्णयों का भी एक केंद्र बनता जा रहा है।

इस बार के जी7 एजेंडा में शामिल “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” जैसे विषयों पर भारत की स्थिति महत्वपूर्ण होगी। भारत तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। डिजिटल इंडिया,स्टार्टअप इंडिया और एआई आधारित सेवाओं की बढ़ती भूमिका इसका प्रमाण हैं। मोदी इस बात को रेखांकित करेंगे कि एआई जैसी तकनीकों को मानवता के हित में कैसे नियंत्रित और उपयोग किया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन पर भारत का दृष्टिकोण भी वैश्विक मंच पर अलग रहा है। भारत ने पेरिस समझौते की शर्तों को न केवल स्वीकारा,बल्कि अपने स्तर पर नेट जीरो एमिशन 2070 का लक्ष्य रखा है और इंटरनेशनल सोलर एलायंस जैसी पहलें शुरू कर पर्यावरण संरक्षण में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन के दौरान अन्य वैश्विक नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें करेंगे,जिनसे भारत के कूटनीतिक संबंध और अधिक गहरे होंगे। ये बैठकें वैश्विक रणनीति,आर्थिक सहयोग और रक्षा साझेदारी जैसे कई क्षेत्रों में प्रभाव डाल सकती हैं।

जी7 जैसे मंच भारत के लिए महज सहभागिता का माध्यम नहीं हैं,बल्कि ये नीति निर्माण में हिस्सेदारी का अवसर भी प्रदान करते हैं। भारत अब केवल एक उपभोक्ता या लाभार्थी नहीं रहा,बल्कि एक सक्रिय नीति निर्माता की भूमिका में सामने आया है।

जी7 शिखर सम्मेलन 2025 में भारत की भागीदारी देश की वैश्विक नीति,रणनीतिक सोच और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। यह अवसर प्रधानमंत्री मोदी को विश्व मंच पर भारत की प्राथमिकताओं,संभावनाओं और सिद्धांतों को मजबूती से रखने का मंच देगा,जिससे न केवल भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि सशक्त होगी,बल्कि वैश्विक निर्णय प्रक्रियाओं में भी उसका वर्चस्व बढ़ेगा।