वाशिंगटन,20 दिसंबर (युआईटीवी)- संयुक्त राज्य अमेरिका ने गाज़ा में संघर्ष के बाद सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल को लेकर पाकिस्तान की सकारात्मक सोच की सराहना की है। अमेरिका इस समय गाज़ा के भविष्य को लेकर कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर व्यापक बातचीत में जुटा हुआ है और उसका मानना है कि युद्ध के बाद की व्यवस्था में बहुपक्षीय सहयोग की अहम भूमिका होगी। इसी संदर्भ में पाकिस्तान द्वारा इस संभावित अंतर्राष्ट्रीय बल में शामिल होने या कम से कम इस पर विचार करने की इच्छा को अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वर्ष के अंत में आयोजित एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल का हिस्सा बनने की पेशकश की है या कम से कम इस पर गंभीरता से विचार करने की बात कही है। इसके लिए अमेरिका पाकिस्तान का आभारी है। रुबियो के अनुसार,ऐसे समय में जब गाज़ा का भविष्य अनिश्चितता से घिरा है,किसी भी जिम्मेदार और प्रभावशाली देश का आगे आकर समाधान का हिस्सा बनने की इच्छा जाहिर करना अहम माना जाता है।
हालाँकि,अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान और अन्य संभावित देशों के साथ बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। इस योजना से जुड़े कई बुनियादी सवाल अभी अनुत्तरित हैं। उन्होंने कहा कि जिन देशों से इस विषय पर चर्चा की जा रही है,वे सबसे पहले यह जानना चाहते हैं कि इस स्थिरीकरण बल की भूमिका क्या होगी,उसका उद्देश्य कितना स्पष्ट है और उसे किस तरह के अधिकार और जिम्मेदारियाँ दी जाएँगी। इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि इस पूरी व्यवस्था के लिए वित्तीय संसाधन कहाँ से आएँगे और खर्च का बोझ कौन उठाएगा।
रुबियो के मुताबिक,जैसे-जैसे इन सवालों पर स्पष्टता आएगी,वैसे-वैसे कई देश इस स्थिरीकरण बल में शामिल होने के लिए तैयार हो सकते हैं। उनका मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में ऐसे कई देश हैं,जो इस संघर्ष में किसी एक पक्ष के बजाय संतुलित और स्वीकार्य भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे देश न केवल सुरक्षा व्यवस्था में योगदान दे सकते हैं,बल्कि गाज़ा में भरोसे का माहौल बनाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।
पाकिस्तान की संभावित भागीदारी को लेकर रुबियो ने संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भूमिका इस बात पर निर्भर करेगी कि उसे इस प्रस्तावित बल से जुड़ी जरूरी जानकारी और अपने सवालों के संतोषजनक जवाब मिलते हैं या नहीं। उन्होंने माना कि पाकिस्तान एक अहम देश है और उसका योगदान मायने रखता है,लेकिन उससे पहले अमेरिका और उसके सहयोगियों को कई बुनियादी पहलुओं पर स्पष्टता लानी होगी। इनमें बल के संचालन के नियम,कमान संरचना और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत उसकी स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री के अनुसार,गाज़ा के संदर्भ में अगला बड़ा कदम शासन व्यवस्था तय करने का होगा। उन्होंने कहा कि युद्ध के बाद केवल सुरक्षा बल तैनात कर देना ही पर्याप्त नहीं होगा,बल्कि एक ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था बनानी होगी,जो आम लोगों की जरूरतों को पूरा कर सके। इसी दिशा में शांति बोर्ड की घोषणा और फिलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह के गठन की योजना है। यह समूह गाज़ा में रोजमर्रा के प्रशासन,बुनियादी सेवाओं और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में मदद करेगा।
रुबियो ने कहा कि जब यह शासन व्यवस्था स्पष्ट रूप से स्थापित हो जाएगी,तभी स्थिरीकरण बल से जुड़े मुद्दों पर गंभीर और विस्तृत चर्चा संभव होगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि इस बल का खर्च कैसे उठाया जाएगा,अंतर्राष्ट्रीय नियमों और स्थानीय कानूनों का पालन कैसे सुनिश्चित होगा और निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया में इस बल की भूमिका क्या रहेगी। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका चाहता है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो और इसमें क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भरोसा कायम किया जा सके।
गाज़ा में मौजूदा संघर्ष की पृष्ठभूमि अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमलों से जुड़ी है। इन हमलों के बाद इज़रायल ने गाज़ा में व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया,जिससे क्षेत्र में भारी तबाही और मानवीय संकट पैदा हुआ। तब से अमेरिका युद्ध विराम,मानवीय सहायता की आपूर्ति और युद्ध के बाद गाज़ा के प्रशासन को लेकर लगातार कूटनीतिक प्रयास करता रहा है। अमेरिका की कोशिश रही है कि संघर्ष के बाद गाज़ा में ऐसा ढाँचा तैयार हो,जो लंबे समय तक स्थिरता बनाए रख सके।
अमेरिका का स्पष्ट रुख है कि किसी भी दीर्घकालिक व्यवस्था में यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि हमास दोबारा सैन्य खतरे के रूप में उभर न सके। इसके साथ ही,आम नागरिकों के लिए एक प्रभावी प्रशासनिक ढाँचा और पुनर्निर्माण का रास्ता भी खुला होना चाहिए। वॉशिंगटन का मानना है कि केवल सैन्य समाधान से शांति संभव नहीं है,बल्कि राजनीतिक,प्रशासनिक और मानवीय पहलुओं को साथ लेकर चलना होगा।
पाकिस्तान की संभावित भूमिका को इसी व्यापक संदर्भ में देखा जा रहा है। अमेरिका की नजर में यदि पाकिस्तान जैसे देश इस अंतर्राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा बनते हैं,तो इससे स्थिरीकरण बल की स्वीकार्यता बढ़ सकती है। साथ ही यह संदेश भी जाएगा कि गाज़ा के भविष्य को लेकर समाधान केवल पश्चिमी देशों तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें मुस्लिम और विकासशील देशों की भी भागीदारी है।
गाज़ा के लिए प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल अभी विचार और योजना के चरण में है,लेकिन अमेरिका की ओर से पाकिस्तान की सराहना यह दिखाती है कि वॉशिंगटन इस मुद्दे पर बहुपक्षीय सहयोग को गंभीरता से आगे बढ़ाना चाहता है। आने वाले समय में यह साफ होगा कि पाकिस्तान और अन्य देश इस योजना में किस रूप में और किस हद तक शामिल होते हैं और क्या यह पहल गाज़ा में स्थायी शांति और स्थिरता की दिशा में कोई ठोस कदम साबित हो पाती है या नहीं।
