नई दिल्ली,4 सितंबर (युआईटीवी)- जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वेडफुल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान यूक्रेन युद्ध को लेकर दिए गए शांति संदेश की सराहना की। चीन के तियानजिन में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और जल्द-से-जल्द शांति समझौता होना चाहिए। इस पहल को जर्मनी ने न केवल सराहा बल्कि इसे यूरोप और पूरी दुनिया की स्थिरता के लिए अहम करार दिया। विदेश मंत्री वेडफुल ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि यूरोप के लिए रूस का आक्रमणकारी युद्ध फिलहाल सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती है। ऐसे में भारत जैसे प्रभावशाली देश द्वारा शांति बहाली पर जोर देना वैश्विक स्तर पर सकारात्मक संकेत देता है।
वेडफुल ने कहा कि जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश अमेरिका और यूक्रेन के साथ मिलकर इस युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने भारत से आग्रह किया है कि वह रूस के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों का उपयोग करके युद्धविराम और शांति बहाली का संदेश आगे बढ़ाए। वेडफुल ने कहा, “हम भारत की इस भूमिका को बहुत गंभीरता से लेते हैं और इस खुले संवाद के लिए आभारी हैं। शांति ही सुरक्षा,स्वतंत्रता और समृद्धि की आधारशिला है।” उन्होंने कहा कि सुरक्षा की चुनौतियाँ भविष्य में भी बनी रहेंगी,लेकिन यह संतोषजनक है कि भारत अपने पड़ोस में भी संघर्ष विराम को सफलतापूर्वक लागू करने का प्रयास कर रहा है।
जर्मन विदेश मंत्री ने इस अवसर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़े रहने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी का साझा उद्देश्य नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को संरक्षित करना है। इसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री व्यापार मार्गों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना भी शामिल है। वेडफुल ने कहा कि चीन का बढ़ता आक्रामक व्यवहार यूरोप और एशिया दोनों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने रक्षा,सुरक्षा और आयुध क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने पर चर्चा की है। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास,तकनीकी सहयोग और निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया को तेज करने जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष जर्मन युद्धपोत भारत आया था और भविष्य में इस तरह के सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में काम होगा।
संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान जर्मन विदेश मंत्री ने भारत को एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति बताते हुए कहा कि भारत आज न केवल विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है,बल्कि यह सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था में भारत की रणनीतिक भूमिका बेहद अहम है। चाहे बात आर्थिक स्थिरता की हो,ऊर्जा सुरक्षा की या फिर नियम-आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली की,भारत का योगदान निर्णायक साबित हो सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जर्मनी के चांसलर शीघ्र ही भारत का दौरा करेंगे,ताकि द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा किया जा सके।
वेडफुल ने कहा कि साझा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और जर्मनी के बीच बहुआयामी सहयोग की आवश्यकता है। इसमें जलवायु परिवर्तन,हरित ऊर्जा,तकनीकी नवाचार और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और व्यापक बनाना शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति और इसके विशाल उपभोक्ता बाजार से जर्मनी की कंपनियों को नए अवसर मिल सकते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए पारदर्शी और स्थिर वातावरण आवश्यक है,जिस दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस मौके पर कहा कि भारत और जर्मनी के बीच संबंध केवल आर्थिक या रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं हैं,बल्कि दोनों देशों के बीच गहरी सांस्कृतिक और शैक्षणिक साझेदारी भी है। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी जर्मनी में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं,जिससे दोनों देशों के बीच मानव संसाधन का आदान-प्रदान और गहरा होगा।
वेडफुल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत जैसे जिम्मेदार लोकतंत्र का वैश्विक राजनीति में संतुलन कायम रखने में बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया विभाजन और संघर्ष से गुजर रही है,तब भारत जैसी शक्तियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शांति समझौते की अपील इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है,जिसने यह संदेश दिया है कि भारत विश्व में स्थिरता और सहयोग का पक्षधर है।
उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारत मिलकर न केवल यूरोप और एशिया की सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं,बल्कि वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं को भी आवाज दे सकते हैं। दोनों देशों की साझेदारी से बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की राह भी प्रशस्त हो सकती है। वेडफुल ने भरोसा जताया कि आने वाले समय में भारत-जर्मनी संबंध नई ऊँचाइयाँ छुएंगे और दुनिया को शांति,स्थिरता तथा समृद्धि की ओर ले जाने में योगदान देंगे।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ हुई मुलाकात और उसमें दिए गए शांति संदेश ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की जिम्मेदार भूमिका को और मजबूत कर दिया है। जर्मनी का यह समर्थन इस बात का प्रमाण है कि भारत आज न केवल एशिया,बल्कि वैश्विक मंच पर भी शांति और सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
