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गोल्ड ईटीएफ में अगस्त माह में रिकॉर्ड 23.3 करोड़ डॉलर का निवेश,2025 में सोने का चमकता सफर जारी

नई दिल्ली,8 सितंबर (युआईटीवी)- भारत में सोने के प्रति निवेशकों की रुचि लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) द्वारा जारी ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत के गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में 23.3 करोड़ डॉलर का शुद्ध निवेश हुआ। यह जुलाई में दर्ज 13.9 करोड़ डॉलर की तुलना में 67 प्रतिशत अधिक है। यह वैश्विक स्तर पर लगातार तीसरे महीने और भारत में लगातार चौथे महीने का निवेश है,जो इस तथ्य को दर्शाता है कि पीली धातु यानी सोना एक बार फिर सुरक्षित निवेश के रूप में अपनी चमक बिखेर रहा है।

डब्ल्यूजीसी के अनुसार,मार्च और मई को छोड़कर 2025 के हर महीने गोल्ड ईटीएफ में निवेश देखने को मिला है। इस साल अब तक भारतीय गोल्ड ईटीएफ में कुल 1.23 अरब डॉलर का प्रवाह हो चुका है,जो 2024 के पूरे वर्ष के कुल 1.29 अरब डॉलर से बहुत कम नहीं है। इस रफ्तार को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2025 सालाना आँकड़े पिछले साल को आसानी से पार कर जाएँगे। तुलना करें तो 2023 में भारतीय गोल्ड ईटीएफ ने लगभग 31 करोड़ डॉलर आकर्षित किए थे,जबकि 2022 में यह निवेश मात्र 3.3 करोड़ डॉलर तक सिमटा था।

सोने की कीमतों ने भी निवेशकों की दिलचस्पी को और बढ़ा दिया है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार,भारत में सोमवार को 24 कैरेट सोने की कीमत 10,634 रुपये प्रति ग्राम रही। इस वर्ष सोने की कीमतों में लगभग 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2025 में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया था। यह उछाल उस समय आया,जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की आलोचना की और गवर्नर लिसा कुक को हटाने का प्रयास किया। फेड की स्वतंत्रता पर उठे सवालों ने वैश्विक निवेशकों को असुरक्षा की स्थिति में डाल दिया और उन्होंने सुरक्षित विकल्पों की तलाश शुरू कर दी। नतीजा यह हुआ कि सोना फिर से निवेश का प्रमुख गढ़ बन गया।

विश्लेषकों का कहना है कि गोल्ड ईटीएफ की बढ़ती माँग वैश्विक व्यापार तनावों और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच इक्विटी बाज़ारों की कमजोरी के खिलाफ एक बचाव के रूप में उभरी है। गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को भौतिक सोने की कीमतों से जुड़ा लिक्विड और अपेक्षाकृत कम लागत वाला निवेश प्रदान करते हैं,जिसमें भंडारण की पारंपरिक परेशानियाँ नहीं होतीं। यही वजह है कि बड़े और छोटे निवेशक,दोनों ही इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने में रुचि दिखा रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर भी गोल्ड ईटीएफ में अगस्त माह में जोरदार प्रवाह देखने को मिला। भौतिक रूप से समर्थित गोल्ड ईटीएफ में 5.5 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश जुड़ा,जिससे निवेश का यह सिलसिला लगातार तीसरे महीने तक जारी रहा। नॉर्थ अमेरिका इस वृद्धि में सबसे आगे रहा,जहाँ फंड्स ने 4.11 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया। इसके बाद यूरोप ने 1.95 अरब डॉलर का योगदान दिया। हालाँकि, एशिया में स्थिति उलटी रही और वहां 49.6 करोड़ डॉलर का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया गया। चीन में निवेशकों का रुख लगातार दूसरे महीने कमजोर रहा और अगस्त में 83.4 करोड़ डॉलर की निकासी दर्ज की गई। जुलाई में भी चीन से 32.5 करोड़ डॉलर की निकासी हुई थी।

भारत इस प्रवृत्ति में अपवाद के रूप में उभरा है। जहाँ चीन में निकासी हो रही है,वहीं भारत में निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। यह प्रवृत्ति बताती है कि भारतीय निवेशक सोने को अब सिर्फ आभूषण के रूप में नहीं,बल्कि एक मजबूत वित्तीय सुरक्षा कवच के तौर पर भी देख रहे हैं।

मजबूत निवेश और ऊँची कीमतों की वजह से अगस्त में वैश्विक गोल्ड ईटीएफ का प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) 5 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 407 अरब डॉलर तक पहुँच गया। होल्डिंग 3,692 टन तक बढ़ी,जो नवंबर 2020 के पीक से भले ही 6 प्रतिशत कम हो,लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में बेहद मजबूत मानी जा रही है।

बाजार विशेषज्ञ इस तेजी को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी नीतिगत बैठक से भी जोड़कर देख रहे हैं। 17-18 सितंबर की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने निवेशकों की सोने में रुचि और बढ़ा दी है। बाजार के पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि इस बैठक में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की 91 प्रतिशत संभावना है। कमजोर अमेरिकी पेरोल आँकड़ें,टैरिफ मुद्रास्फीति की आशंकाएँ और इलेक्ट्रिक वाहनों व सौर ऊर्जा उद्योग से चाँदी की बढ़ती औद्योगिक माँग भी सुरक्षित-संपत्तियों की ओर रुझान को मजबूत कर रही है।

अगस्त में दर्ज आँकड़े यह भी दर्शाते हैं कि सोने ने न केवल एक निवेश उपकरण के रूप में अपनी जगह बनाई है,बल्कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के दौर में एक भरोसेमंद सुरक्षित विकल्प भी बनकर उभरा है। भारत में लगातार चार महीने का निवेश और वैश्विक स्तर पर तीन महीने की सकारात्मक प्रवृत्ति यह संकेत देती है कि सोने का यह चमकता सफर फिलहाल थमने वाला नहीं है।

निवेशकों के बीच यह धारणा और मजबूत होती जा रही है कि इक्विटी और अन्य अस्थिर संपत्तियों की तुलना में सोना लंबे समय तक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान कर सकता है। यही कारण है कि भारत जैसे बाजारों में गोल्ड ईटीएफ की लोकप्रियता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है और भू-राजनीतिक तनाव जारी रहते हैं तो आने वाले महीनों में गोल्ड ईटीएफ में और अधिक निवेश देखने को मिलेगा।

अगस्त 2025 ने यह साबित कर दिया कि चाहे घरेलू बाजार हो या वैश्विक मंच,सोने की चमक निवेशकों के लिए अभी भी बरकरार है। भारत में गोल्ड ईटीएफ का बढ़ता ग्राफ न केवल निवेशकों की बदलती सोच को दिखाता है,बल्कि यह भी संकेत देता है कि भविष्य में सोना वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता का और भी बड़ा आधार बनने जा रहा है।