वाशिंगटन,1 नवंबर (युआईटीवी)- अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन के बीच लाखों गरीब परिवारों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। दो संघीय अदालतों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार को आदेश दिया है कि वह कम आय वर्ग के लोगों के लिए चल रहे फूड असिस्टेंस प्रोग्राम — एसएनएपी के तहत लाभों का भुगतान जारी रखे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर अमेरिकियों को भोजन खरीदने में सहायता प्रदान करना है। अदालत का यह निर्णय ऐसे समय में आया है,जब फंड की कमी के कारण सरकार नवंबर से इस योजना के तहत भुगतान रोकने की तैयारी में थी।
दरअसल,पिछले पाँच हफ्तों से अमेरिका में सरकारी कामकाज आंशिक रूप से ठप पड़ा है। कांग्रेस और व्हाइट हाउस के बीच खर्चों को लेकर सहमति नहीं बन पाने के कारण कई विभागों को जरूरी फंड नहीं मिल पा रहे हैं। इस वित्तीय गतिरोध ने देश में कई सरकारी सेवाओं को प्रभावित किया है,जिनमें एसएनएपी जैसे कल्याणकारी कार्यक्रम भी शामिल हैं। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला,तो फंड की अनुपलब्धता के कारण नवंबर से फूड असिस्टेंस प्रोग्राम के भुगतान रोके जा सकते हैं।
ऐसे में रोड आइलैंड स्थित अमेरिकी जिला न्यायालय के न्यायाधीश जॉन जे. मैककोनेल ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप प्रशासन को तत्काल कदम उठाकर आपातकालीन निधियों से धन उपलब्ध कराना होगा,ताकि लाभार्थियों को भुगतान में कोई बाधा न आए। वहीं,मैसाचुसेट्स की संघीय जज इंदिरा तलवानी ने भी सरकार को निर्देश दिया कि वह सोमवार तक यह बताए कि नवंबर के लिए इस योजना के लिए फंडिंग कैसे सुनिश्चित की जाएगी। अदालतों के इस हस्तक्षेप से देशभर में राहत की लहर दौड़ गई है,क्योंकि एसएनएपी योजना पर करीब 4 करोड़ 20 लाख अमेरिकी नागरिक,यानी हर आठ में से एक व्यक्ति,निर्भर है।
यह आदेश उस समय आया है,जब कई अमेरिकी राज्य सरकारें और गैर-सरकारी संगठन अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे थे। उनका कहना था कि अगर सरकार ने फूड असिस्टेंस प्रोग्राम के भुगतान रोक दिए,तो लाखों गरीब परिवार भूखमरी की कगार पर पहुँच जाएँगे। कुछ राज्यों ने अदालत में तर्क दिया कि फूड प्रोग्राम के रुक जाने से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा,क्योंकि यह सहायता सीधे तौर पर स्थानीय किराना दुकानों और सुपरमार्केट्स के राजस्व से जुड़ी होती है।
एसएनएपी,जिसे पहले फूड स्टैम्प प्रोग्राम कहा जाता था,अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा नीति का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह कार्यक्रम 1960 के दशक में शुरू किया गया था,जिसका मुख्य उद्देश्य था कि कोई भी अमेरिकी नागरिक भूख से न जूझे। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों को हर महीने एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है,जिसे वे इलेक्ट्रॉनिक बेनिफिट ट्रांसफर (ईबीटी) कार्ड के माध्यम से खाद्य वस्तुएँ खरीदने में उपयोग कर सकते हैं।
फूड असिस्टेंस कार्यक्रम न केवल गरीब परिवारों के लिए जीवनरेखा है,बल्कि यह अमेरिकी समाज के कमजोर वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जाता है। कोविड महामारी के बाद से इस कार्यक्रम पर निर्भरता और भी बढ़ गई थी,जब लाखों अमेरिकियों ने अपनी नौकरियाँ खो दी थीं,लेकिन अब, सरकारी शटडाउन के चलते इस योजना की निरंतरता पर सवाल उठ गए थे।
सीनेट की कृषि और खाद्य कार्यक्रमों की निगरानी करने वाली शीर्ष डेमोक्रेट सीनेटर एमी क्लोबुचर ने अदालत के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि, “यह फैसला स्पष्ट करता है कि अमेरिकियों को भोजन से वंचित करने का कोई बहाना नहीं बचा है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी हों।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन को अपने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर आम जनता के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इस बीच,राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि वह सभी अमेरिकियों की मदद करने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, “एसएनएपी के अधिकांश लाभार्थी डेमोक्रेट समर्थक हो सकते हैं,लेकिन मैं रिपब्लिकन या डेमोक्रेट नहीं,बल्कि अमेरिकी नागरिकों की सेवा करने के लिए यहाँ हूँ।” हालाँकि,उनके इस बयान को विपक्षी दलों ने “राजनीतिक बयानबाजी” करार दिया और कहा कि यह केवल दबाव बढ़ने के बाद दिया गया बयान है।
वित्तीय संकट की इस स्थिति में अदालतों का यह फैसला न केवल लाखों परिवारों के लिए राहत लेकर आया है,बल्कि यह सरकार को यह भी याद दिलाता है कि लोकतंत्र में प्रशासन की पहली जिम्मेदारी नागरिकों के हितों की रक्षा करना होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं,तो नवंबर से करोड़ों लोग अपने खाने-पीने की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते,जिससे सामाजिक असंतोष बढ़ सकता था।
वर्तमान में ट्रंप प्रशासन पर यह दबाव है कि वह जल्द-से-जल्द किसी वित्तीय समाधान पर पहुँचे,ताकि सरकारी शटडाउन का अंत हो सके। अगर यह स्थिति और लंबी खिंचती है,तो न केवल फूड प्रोग्राम बल्कि कई अन्य आवश्यक सरकारी सेवाएँ भी ठप हो सकती हैं।
अमेरिकी अदालतों का यह निर्णय यह साबित करता है कि संकट के समय न्यायपालिका नागरिक कल्याण की अंतिम उम्मीद होती है। यह आदेश न केवल लाखों अमेरिकियों की थाली में भोजन बनाए रखने में मदद करेगा,बल्कि सरकार को यह भी याद दिलाएगा कि जनता की सेवा से ऊपर कोई राजनीति नहीं होती।

