नई दिल्ली,21 अगस्त (युआईटीवी)- भारत के रक्षा क्षेत्र में गुरुवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया,जब सरकारी रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने केंद्र सरकार से 97 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके-1ए के ऑर्डर की आधिकारिक पुष्टि की। इस ऑर्डर की कुल वैल्यू लगभग 62,000 करोड़ रुपये है। एचएएल ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर फाइलिंग में बताया कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 19 अगस्त 2025 को रक्षा मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी,जिसके तहत भारतीय वायुसेना के लिए इन विमानों की खरीद की जाएगी।
यह सौदा न केवल एचएएल बल्कि भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए भी मील का पत्थर माना जा रहा है। स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित तेजस एमके-1ए भारतीय वायुसेना के पुराने मिग-21 बेड़े की जगह लेंगे और भारत को आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं की दिशा में मजबूती प्रदान करेंगे। इस ऑर्डर से भारत के “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को सीधा बल मिलेगा।
एलसीए तेजस एमके-1ए वास्तव में तेजस लड़ाकू विमान का एडवांस संस्करण है,जिसे बेहतर तकनीक और अधिक लड़ाकू क्षमता के साथ तैयार किया गया है। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स,उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और बेहतर हथियार क्षमता को शामिल किया गया है। यह अनुबंध फरवरी 2021 में एचएएल द्वारा तेजस एमके-1ए के लिए मिले पहले बड़े ऑर्डर के बाद दूसरा महत्वपूर्ण समझौता है,जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय वायुसेना इस स्वदेशी लड़ाकू विमान पर भरोसा बढ़ा रही है।
वित्तीय दृष्टि से भी यह ऑर्डर एचएएल के लिए जबरदस्त उपलब्धि है। इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों में तेजी देखी गई। एनएसई पर एचएएल का शेयर 4,526.80 रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुँचा,हालाँकि दोपहर 12 बजे यह 0.44 प्रतिशत की मजबूती के साथ 4,488 रुपये पर कारोबार कर रहा था। बीते छह महीनों में ही एचएएल के शेयर ने 33 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है,जबकि लंबी अवधि में यह आँकड़ा और भी प्रभावशाली है। बीते पाँच वर्षों में कंपनी के शेयर ने निवेशकों को 640 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है,जो इसके निरंतर मजबूत प्रदर्शन और रक्षा क्षेत्र में बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है।
तेजस की डिलीवरी में अब तक इंजन सप्लाई से जुड़ी चुनौतियों के चलते देरी हुई थी,लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल से विमानों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। वित्त वर्ष 2026 में एचएएल भारतीय वायुसेना को छह तेजस जेट्स की डिलीवरी करेगा। यह समयसीमा भारतीय वायुसेना के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मिग-21 बेड़े को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया चल रही है और उनकी जगह नई पीढ़ी के स्वदेशी विमानों की जरूरत बढ़ती जा रही है।
एचएएल की तिमाही वित्तीय स्थिति पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 3.7 प्रतिशत घटकर 1,383.8 करोड़ रुपये रह गया। हालाँकि,परिचालन से प्राप्त राजस्व में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई,जो 4,819 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। ईबीआईटीडीए लगभग 30 प्रतिशत बढ़कर 1,284 करोड़ रुपये हो गया और मार्जिन 22.8 प्रतिशत से बढ़कर 26.7 प्रतिशत हो गया। यह आँकड़ें दर्शाते हैं कि कंपनी के परिचालन प्रदर्शन में मजबूती बनी हुई है और बड़े ऑर्डर मिलने से आने वाले वर्षों में इसकी वित्तीय स्थिति और अधिक सुदृढ़ होने की संभावना है।
तेजस एमके-1ए का महत्व केवल तकनीकी और वित्तीय ही नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। भारत लंबे समय से अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए विदेशी आयात पर निर्भर रहा है,लेकिन तेजस जैसे स्वदेशी विमान उस निर्भरता को कम करने की दिशा में बड़ा कदम हैं। इस विमान की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है और अब बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन भी यहीं होगा। इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि देश में रोजगार सृजन भी होगा और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई पहचान मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस एमके-1ए का यह मेगा ऑर्डर भारत को न केवल अपनी वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा,बल्कि भविष्य में इसे निर्यात के लिहाज से भी महत्वपूर्ण बनाएगा। एचएएल पहले ही कई देशों से तेजस में रुचि की खबरें साझा कर चुका है और अगर आने वाले वर्षों में इसे निर्यात के अनुबंध मिलते हैं,तो भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक नई ताकत के रूप में उभर सकता है।
97 तेजस एमके-1ए विमानों का यह सौदा भारत के रक्षा उद्योग और एचएएल दोनों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह सौदा जहाँ भारत को अधिक आत्मनिर्भर बनाएगा,वहीं वैश्विक मंच पर इसकी सैन्य और तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा। तेजस अब सिर्फ एक विमान नहीं बल्कि भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और तकनीकी प्रगति का प्रतीक बन चुका है।