चंडीगढ़,14 अक्टूबर (युआईटीवी)- हरियाणा में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की 7 अक्टूबर को हुई आत्महत्या के बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर को मामले की जाँच पूरी होने तक लंबी अवधि के अवकाश पर भेज दिया गया है। यह कदम उस गंभीर घटनाक्रम के मद्देनजर उठाया गया है,जिसमें पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में 14 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।
सूत्रों के अनुसार,पूरन कुमार के सुसाइड नोट में उल्लिखित आरोपों और उनके परिजनों द्वारा दिए गए बयानों को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। सुसाइड नोट में पूरन कुमार ने अपने करियर में उत्पीड़न और अन्याय का सामना करने का जिक्र किया और उन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए,जो उनके पेशेवर जीवन में बाधा डाल रहे थे। नोट में सबसे गंभीर आरोप डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ थे।
पुलिस ने मामले में डीजीपी सहित उन सभी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है,जिनके नाम सुसाइड नोट में उल्लेखित हैं। यह मामला न केवल हरियाणा पुलिस के भीतर प्रशासनिक व्यवस्था और वरिष्ठ अधिकारियों के रवैये पर सवाल उठा रहा है,बल्कि राज्य सरकार की जवाबदेही और जाँच प्रक्रिया पर भी व्यापक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
वाई. पूरन कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और रोहतक के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के पद पर तैनात थे। उनके आठ पृष्ठों के सुसाइड नोट में 14 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल थे,जिन पर उन्होंने पेशेवर उत्पीड़न,मानसिक दबाव और करियर बाधित करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों के बाद प्रशासनिक स्तर पर तुरंत कार्रवाई करना अनिवार्य हो गया।
इस बीच,रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को शनिवार को पद से हटा दिया गया। उनकी जगह सुरिंदर सिंह भोरिया को नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। बिजारनिया को फिलहाल कोई नया पद नहीं दिया गया है,जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि प्रशासन इस मामले की गंभीरता को गंभीरता से ले रहा है और जाँच पूरी होने तक किसी भी तरह के बदलाव या नई तैनाती से बच रहा है।
चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में पूरन कुमार की पत्नी से उनके लैपटॉप को भी जाँच के लिए माँगा है। बताया जा रहा है कि लैपटॉप में ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज और ईमेल हो सकते हैं,जो सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की पुष्टि या विरोध कर सकते हैं। पुलिस ने यह कदम मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जाँच सुनिश्चित करने के लिए उठाया है।
पूरे राज्य में यह मामला राजनीतिक,प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इस बात का ख्याल रख रहे हैं कि किसी भी तरह की अफवाह या अनुचित प्रचार स्थिति को और गंभीर न बना दे। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुलिस और अन्य संबंधित विभाग पूरी तरह से जाँच प्रक्रिया में सहयोग करें।
सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों ने हरियाणा पुलिस की कार्यप्रणाली और वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में निष्पक्ष जाँच आवश्यक है,ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। साथ ही,यह भी देखा जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम,जैसे कि डीजीपी का अवकाश पर भेजा जाना और एसपी का बदलना,स्थिति को नियंत्रित करने और परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है।
पूरे घटनाक्रम ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचाई है,बल्कि पुलिस विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों और जूनियर अधिकारियों के बीच विश्वास की समस्या को भी उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच और उचित कार्रवाई के बिना विभागीय माहौल में सुधार संभव नहीं है।
इस घटनाक्रम के बाद हरियाणा में पुलिस विभाग के भीतर और बाहर दोनों जगह गंभीर चर्चा हो रही है। अधिकारी और कर्मचारी यह देख रहे हैं कि राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता दिखाते हैं। वहीं,आम जनता और मीडिया भी मामले की हर अपडेट पर नजर बनाए हुए हैं,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
अंततः,आईपीएस वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या और उनके सुसाइड नोट में लगाए गए गंभीर आरोप हरियाणा के पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। डीजीपी शत्रुजीत कपूर को अवकाश पर भेजना,एसपी बिजारनिया का पदांतरण और लैपटॉप की जाँच जैसी कार्रवाइयों से यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जाँच प्रक्रिया के निष्पक्ष और व्यापक होने पर जोर दे रही है। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा सरकार,पुलिस विभाग और संबंधित अधिकारी मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि मामले की निष्पक्ष जाँच हो और परिवार को न्याय मिले।
