राजगीर, 8 सितंबर (आईएएनएस)- हॉकी एशिया कप 2025 का फाइनल भारतीय हॉकी ने जीत कर अपनी बादशाहत कायम की। भारतीय हॉकी टीम की इस जीत से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारतीय हॉकी का स्वर्णिम पल एक बार फिर से लौट आया है।बिहार के नालंदा जिले के ऐतिहासिक शहर राजगीर में खेले गए एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब पर कब्जा जमा लिया। रविवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने मजबूत मानी जाने वाली कोरिया की टीम को 4-1 के अंतर से पराजित किया। इस शानदार जीत के साथ ही भारतीय टीम ने न केवल एशियाई ताज हासिल किया,बल्कि आगामी विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट के लिए भी अपनी जगह पक्की कर ली।
फाइनल मैच की शुरुआत से ही भारतीय टीम का जोश और आत्मविश्वास देखने लायक था। पहले ही मिनट में टीम ने अपना दबदबा दिखा दिया। हरमनप्रीत सिंह ने बेहतरीन मूव बनाया और कोरियाई डिफेंडर को चकमा देते हुए गेंद सुखजीत सिंह को पास की। सुखजीत ने बिना देर किए टॉप कॉर्नर की ओर बैकहैंडर टॉमहॉक शॉट मारा। उनके इस शानदार स्ट्रोक को रोकना कोरिया के गोलकीपर के लिए असंभव साबित हुआ और गेंद सीधे गोल पोस्ट में जा समाई। इस गोल ने भारतीय खिलाड़ियों में नई ऊर्जा भर दी और पहले क्वार्टर की समाप्ति तक भारत 1-0 की बढ़त हासिल कर चुका था।
दूसरे क्वार्टर में कोरिया ने वापसी की कोशिश की,लेकिन भारतीय डिफेंस की मजबूती के सामने उनकी हर रणनीति नाकाम रही। इसी बीच,क्वार्टर के आखिरी पलों में भारत को एक और मौका मिला और दिलप्रीत सिंह ने गोल दागते हुए बढ़त को 2-0 कर दिया। पहले हाफ तक भारत का पलड़ा भारी हो चुका था और दर्शकों में जोश और रोमांच चरम पर था।
दूसरे हाफ की शुरुआत में भारतीय टीम ने संतुलित रणनीति अपनाई। आक्रामक खेल के साथ-साथ खिलाड़ियों ने कोरियाई टीम को रोके रखने पर भी जोर दिया। तीसरे क्वार्टर में खेल और रोमांचक हो गया। मैच की समाप्ति से कुछ मिनट पहले दिलप्रीत ने अपना दूसरा गोल दागा और स्कोर 3-0 कर दिया। अब भारतीय टीम जीत के बेहद करीब थी और मैदान पर दर्शकों की तालियाँ लगातार गूँज रही थीं।
अंतिम क्वार्टर में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपना दबदबा बनाए रखा। इस बार अमित रोहिदास ने शानदार गोल करते हुए भारत की बढ़त को 4-0 तक पहुँचा दिया। हालाँकि,मैच के आखिरी पलों में कोरिया ने एक गोल करके अंतर कम करने की कोशिश की,लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। समय समाप्ति की घोषणा होते ही भारतीय खिलाड़ियों ने 4-1 से मिली इस शानदार जीत का जश्न मनाया और पूरे स्टेडियम में तिरंगा लहराने लगा।
यह जीत भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है क्योंकि टीम ने पूरे आठ साल बाद एशिया कप का खिताब अपने नाम किया है। आखिरी बार भारत ने 2017 में मनप्रीत सिंह की कप्तानी में यह टूर्नामेंट जीता था। उससे पहले 2003 और 2007 में भी भारतीय टीम चैंपियन बनी थी। इस तरह भारत ने चौथी बार एशिया कप की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है। खास बात यह रही कि 2003 में जब भारत ने पहली बार एशिया कप जीता था,तब भी फाइनल में उसने अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 4-2 से हराया था।
इस बार राजगीर में हुए टूर्नामेंट की खासियत यह रही कि भारतीय खिलाड़ियों ने हर मैच में दमदार प्रदर्शन किया और टीमवर्क का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। दिलप्रीत सिंह ने जहाँ फाइनल में दो गोल दागकर टीम को मजबूत आधार दिया,वहीं सुखजीत और अमित रोहिदास ने भी अपने बेहतरीन स्ट्रोक से कोरिया को कोई मौका नहीं दिया। कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार नेतृत्व करते हुए टीम को संगठित रखा और फाइनल में भी उनकी रणनीति कारगर साबित हुई।
इस जीत ने भारतीय हॉकी प्रशंसकों की उम्मीदों को नई उड़ान दी है। लंबे समय से भारतीय टीम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि की अपेक्षा की जा रही थी। एशिया कप में मिली इस सफलता ने साबित कर दिया कि भारतीय टीम एक बार फिर अपने स्वर्णिम दौर की ओर बढ़ रही है। खिलाड़ियों की फिटनेस,मैदान पर गति और रणनीतिक सोच ने यह दर्शाया कि भारत अब किसी भी बड़ी टीम को चुनौती देने के लिए तैयार है।
विश्व कप हॉकी के लिए टिकट मिलने के साथ ही अब भारतीय टीम के सामने बड़ी परीक्षा होगी। हालाँकि,राजगीर में मिली जीत ने यह विश्वास दिलाया है कि टीम का मनोबल ऊँचाई पर है और अगर यही लय बरकरार रही तो आगामी विश्व कप में भी भारत से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।
भारतीय हॉकी टीम की इस जीत ने पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ा दी है। सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों की जमकर सराहना हो रही है। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि यह जीत भारतीय हॉकी के पुनर्जागरण का संकेत है और आने वाले वर्षों में भारत एक बार फिर विश्व हॉकी में अपना परचम लहराने में सफल होगा।
राजगीर के मैदान से निकली यह जीत सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं है,बल्कि यह उन तमाम प्रयासों की सफलता भी है,जो भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए किए गए हैं। आठ साल बाद एशिया कप जीतकर भारत ने यह संदेश दिया है कि उसकी हॉकी अब पहले से कहीं अधिक मजबूत है और वैश्विक मंच पर नई चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।