चेन्नई,23 अक्टूबर (युआईटीवी)- संगीत की दुनिया के दिग्गज संगीतकार इलैयाराजा और सोनी म्यूजिक कंपनी के बीच कानूनी विवाद लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। यह मामला उनके गानों के व्यावसायिक उपयोग और उससे होने वाले राजस्व को लेकर शुरू हुआ है। इलैयाराजा ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कंपनी से यह अनुरोध किया था कि उनके गानों से अर्जित राजस्व का विवरण उन्हें प्रदान किया जाए। उनका तर्क है कि संगीतकार के रूप में उनका अधिकार है कि वह यह जान सकें कि उनकी रचनाओं से कितनी आमदनी हो रही है और कंपनी इस राशि का किस प्रकार वितरण कर रही है।
हालाँकि,बुधवार को सुनवाई के दौरान सोनी म्यूजिक ने इस अनुरोध का विरोध किया। कंपनी की ओर से पेश वकील विजय नारायण ने न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल ने अदालत के अवलोकन के लिए पहले ही एक सीलबंद लिफाफे में सभी खातों का विवरण जमा कर दिया है,लेकिन इसे इलैयाराजा या उनके वकील के साथ साझा नहीं किया जा सकता। उनका तर्क था कि इस दस्तावेज में गोपनीय व्यावसायिक जानकारी शामिल है,जिसमें एप्पल म्यूजिक,अमेजन म्यूजिक और स्पॉटिफाई जैसे प्लेटफॉर्म से प्राप्त राजस्व का विवरण भी शामिल है।
वकील ने अदालत से कहा कि संगीतकार तब तक ऐसा डेटा माँगने के अधिकारी नहीं हैं,जब तक कि वे पहले उन गानों पर अपना कानूनी अधिकार स्थापित न कर लें। उनका यह भी कहना था कि इन गानों के लिए संगीतकार ने निर्माताओं से पहले ही पारिश्रमिक प्राप्त कर लिया है। इसलिए,सोनी म्यूजिक का दावा है कि इस स्तर पर राजस्व विवरण साझा करना व्यावसायिक गोपनीयता का उल्लंघन होगा।
इस तर्क का विरोध करते हुए इलैयाराजा की ओर से वकील एस. प्रभाकरन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय कई मामलों में सीलबंद लिफाफों में दस्तावेज जमा करने की प्रथा को अस्वीकार कर चुका है। उनका यह कहना था कि अदालत को इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और इसलिए सोनी म्यूजिक को राजस्व विवरण सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वकील ने यह भी तर्क दिया कि राजस्व विवरण को गुप्त रखने से न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्न उठता है।
मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार ने फिलहाल इस स्तर पर सीलबंद लिफाफा खोलने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश को यह भी बताया गया कि सोनी म्यूजिक ने इलैयाराजा के मुकदमे को मद्रास उच्च न्यायालय से बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के लिए पहले ही सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला 2021 में शुरू हुए एक संबंधित दीवानी मुकदमे से जुड़ा हुआ है,जिसमें सोनी म्यूजिक ने खुद को संगीतकार के कुछ गानों का वास्तविक कॉपीराइट धारक घोषित करने की माँग की थी।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क अदालत के समक्ष रखे। इलैयाराजा की ओर से कहा गया कि संगीतकार के अधिकारों की रक्षा और उनके गानों से अर्जित राजस्व की पारदर्शिता के लिए यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर,सोनी म्यूजिक ने इस बात पर जोर दिया कि व्यावसायिक जानकारी और कॉपीराइट संबंधी संवेदनशील डेटा सार्वजनिक करने से कंपनी की प्रतिष्ठा और आर्थिक हित प्रभावित हो सकते हैं।
इस विवाद में मुख्य प्रश्न यह है कि संगीतकार और म्यूजिक कंपनी के बीच राजस्व वितरण के अधिकार किस हद तक हैं और किस प्रकार इसे पारदर्शी तरीके से साझा किया जा सकता है। यह मामला भारतीय म्यूजिक उद्योग और कॉपीराइट कानून के लिए भी अहम माना जा रहा है। संगीतकारों और म्यूजिक कंपनियों के बीच ऐसे विवाद अक्सर अदालतों तक पहुँचते हैं,खासकर तब जब लंबे समय से चली आ रही रचनाओं का व्यावसायिक उपयोग और उससे होने वाली कमाई को लेकर असहमति होती है।
मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है। तब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि अदालत इस मामले में किस दिशा में फैसला देगी। फिलहाल,सोनी म्यूजिक द्वारा प्रस्तुत सीलबंद लिफाफे में दिया गया विवरण ही अदालत में सुरक्षित रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला संगीतकारों के कॉपीराइट अधिकार,व्यावसायिक पारदर्शिता और म्यूजिक इंडस्ट्री के राजस्व मॉडल के लिए महत्वपूर्ण उदाहरण साबित हो सकता है।
संगीतकार इलैयाराजा ने भारतीय संगीत उद्योग में अपने करियर के दौरान कई यादगार रचनाएँ दी हैं और उनका योगदान व्यापक रूप से सराहा गया है। इस कानूनी विवाद से यह साफ है कि संगीतकारों और म्यूजिक कंपनियों के बीच कॉपीराइट और राजस्व वितरण के मामलों में पारदर्शिता और कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।
इस तरह,इलैयाराजा और सोनी म्यूजिक के बीच यह विवाद न केवल दो पक्षों के बीच है,बल्कि यह भारतीय संगीत उद्योग में कॉपीराइट कानून और संगीतकारों के अधिकारों की दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। 27 नवंबर की सुनवाई को लेकर उद्योग और कानून विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं,क्योंकि इस फैसले से भविष्य में म्यूजिक इंडस्ट्री में कॉपीराइट और राजस्व साझा करने के ढाँचे पर बड़ा असर पड़ सकता है।