अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Mahsar_khan)

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के लिए ट्रंप प्रशासन की नई योजना,स्वेच्छा से देश छोड़ने पर मिलेगा 1,000 डॉलर का ‘स्टाइपेंड’

वाशिंगटन,6 मई (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन ने अवैध प्रवासियों को लेकर एक नया और चौंकाने वाला प्रस्ताव रखा है। इस योजना के तहत,जो व्यक्ति अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं और स्वेच्छा से देश छोड़ने को तैयार हैं,उन्हें न केवल $1,000 (करीब 83,000 रुपये) का वजीफा दिया जाएगा,बल्कि उनके यात्रा खर्च का भी भुगतान सरकार करेगी। इस पहल का उद्देश्य सामूहिक निर्वासन की प्रक्रिया को तेज़,सस्ता और अधिक प्रभावी बनाना है।

इस योजना की घोषणा होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने की है। विभाग ने अपने बयान में बताया कि अवैध अप्रवासी,जो स्व-निर्वासन का विकल्प चुनते हैं,उन्हें सीबीपी वन ऐप के ज़रिए आवेदन करना होगा। यह एक मोबाइल ऐप है,जो अमेरिका की सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी ) द्वारा संचालित किया जाता है।

यदि कोई प्रवासी इस ऐप के माध्यम से स्वदेश लौटने की प्रक्रिया पूरी करता है और उसकी वापसी की पुष्टि हो जाती है,तो उसे अमेरिका सरकार की ओर से $1,000 का स्टाइपेंड (वजीफा) मिलेगा। इसके साथ ही उनके यात्रा खर्च का वहन भी सरकार द्वारा किया जाएगा।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार,इस योजना का उद्देश्य अमेरिका की डिपोर्टेशन प्रक्रिया की लागत को घटाना है। वर्तमान में किसी अवैध प्रवासी को गिरफ्तार करने,हिरासत में रखने और उसे निर्वासित करने की औसत लागत $17,121 है। इसके मुकाबले स्वैच्छिक निर्वासन की यह योजना लगभग 70% तक सस्ती साबित हो सकती है।

इसलिए प्रशासन का मानना है कि अगर प्रवासी खुद देश छोड़ने को तैयार हो जाएँ, तो इससे सरकार को बड़ी मात्रा में संसाधन और धन बचाने में मदद मिलेगी।

अमेरिका की होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने इस योजना को “एक समझदारी भरा और मानवीय उपाय” बताया और उन्होंने कहा कि, “यदि आप अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं,तो स्वैच्छिक निर्वासन गिरफ्तारी और जबरन निष्कासन से बचने का सबसे अच्छा,सबसे सुरक्षित और सबसे किफायती तरीका है।”

नोएम के अनुसार,इस योजना के ज़रिए प्रवासियों को एक मौका दिया जा रहा है कि वे सम्मानपूर्वक और बिना किसी कानूनी कार्रवाई के स्वदेश लौट सकें।

मिशिगन में एक हालिया रैली में भाषण देते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनके कार्यकाल के पहले 100 दिन अमेरिका के इतिहास में सबसे सफल रहे। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई और निर्वासन उनकी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक रही है।

ट्रंप लंबे समय से अवैध आप्रवास के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते रहे हैं। दीवार निर्माण, “जीरो टॉलरेंस” नीति और बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन अभियान उनकी आव्रजन नीति का हिस्सा रहे हैं।

हालाँकि,कुछ विशेषज्ञ इस नई योजना पर चिंता जता रहे हैं। ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन द्वारा प्रकाशित एक विश्लेषण के अनुसार,ट्रंप प्रशासन के तमाम सख्त कदमों के बावजूद निर्वासन की संख्या उम्मीद से कम रही है।

विश्लेषण के अनुसार, निर्वासन की दर भले ही सीमित हो,लेकिन इसके कारण लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है। डेरेल वेस्ट,जो ब्रूकिंग्स संस्थान में वरिष्ठ फेलो हैं, ने कहा, “अमेरिकियों को अवैध रूप से सीमा पार करने वाले प्रवासियों को लेकर चिंता ज़रूर है,लेकिन जनता को ट्रंप प्रशासन की निष्कासन प्रक्रिया का तरीका पसंद नहीं आता। उन्हें लगता है कि लोग बिना उचित प्रक्रिया के डिपोर्ट किए जा रहे हैं।”

इससे पता चलता है कि जहाँ एक ओर यह मुद्दा राजनीतिक रूप से लोकप्रिय हो सकता है,वहीं इसकी सामाजिक स्वीकृति और नैतिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा शुरू की गई यह योजना,जिसमें अवैध प्रवासियों को पैसे देकर देश छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है,एक विवादास्पद लेकिन रणनीतिक कदम है। इसका उद्देश्य डिपोर्टेशन की लागत को घटाना और प्रशासनिक बोझ को कम करना है।

हालाँकि,इस नीति के कई मानवाधिकार और नैतिक पहलू हैं,जिन पर बहस होना लाज़मी है। क्या सरकार अवैध प्रवासियों को “पैसे देकर बाहर निकालना” चाहती है, या उन्हें बेहतर कानूनी विकल्प देने चाहिए यह एक बड़ा प्रश्न बनकर उभरता है।

जहाँ सरकार इसे किफायती और मानवीय समाधान के रूप में देखती है,वहीं आलोचकों को इसमें राजनीतिक स्वार्थ और मानवाधिकार उल्लंघन की संभावनाएँ दिखती हैं।