वाशिंगटन,13 दिसंबर (युआईटीवी)- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था,कमजोर आर्थिक प्रबंधन और लंबे समय से लंबित संरचनात्मक सुधारों पर एक बार फिर गंभीर चिंता जताई है। इसके बावजूद आईएमएफ ने गुरुवार को पाकिस्तान के लिए अपने बेलआउट प्रोग्राम के तहत लगभग 1.2 अरब डॉलर की नई फंडिंग को मंजूरी दे दी है। यह फैसला पाकिस्तान की विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) के दूसरे मूल्यांकन और लचीलापन एवं सतत सुविधा (आरएसएफ) के पहले मूल्यांकन को पूरा करने के बाद लिया गया। इस मंजूरी के साथ पाकिस्तान को ईएफएफ के तहत 1 अरब डॉलर और आरएसएफ के तहत 20 करोड़ डॉलर की तत्काल किस्त प्राप्त हो सकेगी।
हालाँकि,इस राहत के साथ आईएमएफ ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान को यह किस्त “परफॉर्मेंस क्राइटेरिया का पालन न करने की छूट” के आधार पर जारी की जा रही है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान कई जरूरी आर्थिक मानकों को पूरा नहीं कर पाया,फिर भी उसे अस्थिर होती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ये फंडिंग दी जा रही है। यह परिस्थिति आईएमएफ के लिए भी चिंता का कारण है,क्योंकि उसके अनुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी भी बड़े जोखिमों से घिरी है और पीछे जाने की आशंका मौजूद है।
आईएमएफ द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि, “पाकिस्तान ने कार्यान्वयन के स्तर पर मजबूती जरूर दिखाई है,लेकिन आर्थिक ढाँचा अभी भी बेहद कमजोर है। पिछड़ने से बचने के लिए लगातार नीतिगत अनुशासन,सख्त आर्थिक प्रबंधन और सुधारों की गति को बनाए रखने की आवश्यकता है।”
इससे स्पष्ट है कि आईएमएफ की मंजूरी राहत के साथ-साथ चेतावनी भी है। रिपोर्ट के अनुसार,नीतिगत प्राथमिकताओं में व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना,राजकोषीय स्थिति को बेहतर करना,प्रतिस्पर्धा और उत्पादकता में सुधार,सामाजिक सुरक्षा के दायरे को मजबूत करना,मानव पूँजी में निवेश,सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रमों (एसओई) को सुधारना और ऊर्जा क्षेत्र को टिकाऊ बनाना शामिल है। ये वे क्षेत्र हैं,जिनमें पाकिस्तान पिछले कई दशकों से लगातार पिछड़ता आ रहा है।
आईएमएफ लंबे समय से पाकिस्तान की सरकारी कंपनियों और ऊर्जा क्षेत्र में होने वाली भारी बर्बादी,भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को लेकर चिंतित रहा है। ऊर्जा क्षेत्र में लाइन लॉस,खराब बिलिंग,सब्सिडी पर भारी निर्भरता और सरकारी कंपनियों की अक्षमता के कारण पाकिस्तान के राजकोष पर बड़ा बोझ पड़ता है। हालिया रिपोर्ट में भी इन मुद्दों का दोबारा उल्लेख यह दर्शाता है कि आईएमएफ अभी भी इस दिशा में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और क्षमता को लेकर आश्वस्त नहीं है।
स्टाफ रिपोर्ट में आईएमएफ ने साफ कहा कि कार्यक्रम की निगरानी पाकिस्तान के अधिकारियों—विशेष रूप से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान,वित्त मंत्रालय और अन्य संबद्ध एजेंसियों की विस्तृत और नियमित रिपोर्टिंग पर निर्भर करती है। इससे संकेत मिलता है कि आईएमएफ पाकिस्तान की पारदर्शिता और डेटा प्रस्तुत करने की क्षमता पर गहराई से निगरानी रखेगा।
पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति पहले ही चरमराई हुई है। सार्वजनिक कर्ज 307 अरब डॉलर से अधिक पहुँच चुका है,जो उसके जीडीपी के बड़े हिस्से को निगलता है। यह कर्ज बोझ पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता और स्थिरता दोनों के लिए खतरा बना हुआ है। आईएमएफ ने याद दिलाया कि बाहरी फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता भी लंबे समय में गंभीर जोखिम है,क्योंकि थोड़ी-सी भी वैश्विक अस्थिरता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को हिला सकती है।
इसके बावजूद रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि वित्तीय वर्ष 2025 में पाकिस्तान ने राजकोषीय मोर्चे पर कुछ बेहतर प्रदर्शन किया है और 1.3 प्रतिशत का प्राइमरी सरप्लस हासिल किया है। यह आईएमएफ की तय लक्ष्य-सरणी के मुताबिक है,लेकिन इस सुधार के बावजूद आम जनता को कोई राहत नहीं मिली है। महँगाई लगातार बढ़ रही है और खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं। आईएमएफ ने स्पष्ट कहा कि “महँगाई खासकर खाने की चीजों में बढ़ी है और इससे आम जनता पर बहुत अधिक दबाव बना हुआ है।”
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वर्ष 2026 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण हालिया बाढ़ के कारण कमजोर हो गया है। पाकिस्तान हर वर्ष प्राकृतिक आपदाओं—चाहे भारी बारिश हो,बाढ़ हो या ग्लेशियर पिघलने से आने वाली तबाही से जूझता है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन को मजबूत करने और जलवायु अनुकूल आर्थिक नीतियाँ अपनाने की सलाह दी है।
आईएमएफ की ताजा मंजूरी पाकिस्तान के लिए एक सांस लेने जैसा मौका जरूर है,लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। पाकिस्तान को न केवल अपने आर्थिक प्रबंधन में सुधार करना होगा,बल्कि संस्थागत सुधार,कर संग्रह व्यवस्था में पारदर्शिता,ऊर्जा क्षेत्र में दक्षता,सरकारी कंपनियों के पुनर्गठन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज,महँगाई,राजनीतिक अस्थिरता और खराब प्रबंधन के बोझ तले बुरी तरह दबी हुई है। आईएमएफ का भरोसा केवल तभी बना रह सकता है,जब पाकिस्तान अपने वादों को ईमानदारी से लागू करे और आर्थिक सुधारों को सिर्फ कागजों तक सीमित न रखे।
