लॉस एंजेलिस,12 जून (युआईटीवी)- अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन नीतियों के विरोध में शुरू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक हिंसक हो उठे। इन प्रदर्शनों के दौरान हुई अराजकता,लूटपाट और तोड़फोड़ के कारण पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को सख्त कदम उठाने पड़े। अब तक इस सिलसिले में 400 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बीबीसी न्यूज के हवाले से बताया कि पकड़े गए लोगों में 330 अवैध प्रवासी शामिल हैं,जबकि शेष 157 प्रदर्शनकारियों पर कानून व्यवस्था बिगाड़ने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और पुलिस कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं।
लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग (एलएपीडी) की ओर से जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक,शहर में कर्फ्यू लागू होने के पहले ही दिन यानी मंगलवार को कुल 203 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से अधिकांश गिरफ्तारी अवैध भीड़ जुटाने के आरोप में की गईं। इसके अलावा 17 लोगों को कर्फ्यू का उल्लंघन करने के कारण हिरासत में लिया गया।
लॉस एंजेलिस की मेयर करेन बास ने मंगलवार शाम को शहर के डाउनटाउन क्षेत्रों में आंशिक कर्फ्यू की घोषणा की,जो रात 8 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजे तक प्रभावी रहा। यह कदम सोमवार रात को हुए हिंसक घटनाओं के मद्देनज़र उठाया गया। दिन में जहाँ शांतिपूर्ण विरोध हुआ,वहीं रात होते-होते स्थिति बिगड़ गई और कई जगहों पर लूटपाट,तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएँ सामने आईं।
मेयर बास ने स्पष्ट किया कि यह कर्फ्यू जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और शहर की शांति बहाल करने के उद्देश्य से लगाया गया था,लेकिन स्थिति इतनी तेज़ी से बिगड़ी कि पुलिस बल पर भारी दबाव आ गया और उसे अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता महसूस हुई।
शहर के कई हिस्सों में प्रदर्शनों के दौरान कुछ नकाबपोश लोगों ने दुकानों को निशाना बनाकर जमकर लूटपाट की। इनमें टेक्नोलॉजी ब्रांड एप्पल का एक प्रमुख स्टोर,एडिडास का आउटलेट,फार्मेसियाँ,मारिजुआना डिस्पेंसरी और कीमती ज्वेलरी स्टोर शामिल रहे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो में देखा गया कि कैसे इन उपद्रवियों ने दुकानों की खिड़कियाँ तोड़ दीं,अलमारियों को खाली कर दिया और महँगे सामान लेकर फरार हो गए। स्टोरफ्रंट को भी भारी नुकसान पहुँचाया गया।
इन घटनाओं ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग ने स्थिति को संभालने के लिए अधिक पुलिस बल तैनात किया,लेकिन हालात काबू में लाने के लिए अतिरिक्त उपायों की ज़रूरत पड़ी।
घटनाक्रम पर नजर रखते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने लॉस एंजेलिस में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 4,000 नेशनल गार्ड सैनिकों और करीब 700 एक्टिव ड्यूटी मरीन को तैनात करने के आदेश दिए। ट्रंप ने इन हिंसक घटनाओं को “शांति और सार्वजनिक व्यवस्था पर हमला” करार दिया और चेतावनी दी कि यदि प्रदर्शन और हिंसा नहीं रुके,तो वे विद्रोह अधिनियम लागू कर सकते हैं। इस अधिनियम के तहत सरकार सेना को आंतरिक अस्थिरता के दौरान सीधे हस्तक्षेप की अनुमति देती है।
यह आंदोलन सिर्फ लॉस एंजेलिस तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका के अन्य प्रमुख शहरों में भी इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ जनाक्रोश दिखाई दिया। न्यूयॉर्क, शिकागो,अटलांटा,सिएटल,सैन फ्रांसिस्को,डलास,सैन एंटोनियो,ह्यूस्टन और वाशिंगटन डीसी जैसे शहरों में भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे और रैलियाँ निकालीं।
न्यूयॉर्क के लोअर मैनहट्टन में सैकड़ों लोग मार्च करते हुए देखे गए। शिकागो में प्रदर्शनकारियों ने डाउनटाउन लूप क्षेत्र में जनसभा की,वहीं अटलांटा में बुफोर्ड हाईवे पर लगभग एक हजार लोगों की रैली हुई और फिर ये लोग डोराविल शहर की ओर बढ़े,जहाँ स्थानीय पुलिस से उनकी झड़प हो गई। लॉस एंजेलिस में 101 फ्रीवे को भी कुछ समय के लिए जाम कर दिया गया,जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
अलग-अलग शहरों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तनाव देखने को मिला। कुछ जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग भी किया। हालात को देखते हुए कई शहरों में पुलिस बल को हाई अलर्ट पर रखा गया है। कुछ इलाकों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे,लेकिन कई जगहों पर तनाव और हिंसा की घटनाएँ भी दर्ज की गईं।
लॉस एंजेलिस सहित पूरे अमेरिका में इमिग्रेशन नीतियों को लेकर जनता में भारी असंतोष और गुस्सा है। प्रदर्शनकारियों की माँग है कि सरकार मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दे और प्रवासियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करे,लेकिन जब ये प्रदर्शन हिंसक हो उठते हैं,तो शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़ते हैं। आने वाले दिनों में इन प्रदर्शनों का क्या स्वरूप होगा,यह अभी स्पष्ट नहीं है,लेकिन इतना तय है कि इमिग्रेशन नीति अमेरिका में एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुकी है।