वाशिंगटन,4 नवंबर (युआईटीवी)- अमेरिका में संघीय सरकार का शटडाउन अब एक महीने से भी अधिक समय से जारी है और इसका सीधा असर अब देश के हवाई अड्डों पर दिखाई देने लगा है। लगातार चल रहे इस प्रशासनिक ठहराव के कारण हवाई अड्डों पर कर्मचारियों की भारी कमी हो गई है,जिससे उड़ानों के संचालन में अव्यवस्था बढ़ती जा रही है। रविवार को पूरे देश में पाँच हजार से अधिक उड़ानें देरी से चलीं,जबकि सोमवार को भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। फ्लाइटअवेयर के अनुसार,सोमवार दोपहर तक ढाई हजार से ज्यादा उड़ानें देरी से चल रही थीं और साठ से अधिक रद्द कर दी गई थीं।
हवाई अड्डों पर यात्रियों को सुरक्षा जाँच के लिए तीन-तीन घंटे तक लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। कई एयरपोर्ट्स पर सिक्योरिटी स्टाफ की कमी के कारण चेकिंग लेन बंद करनी पड़ी हैं,जिससे यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है। राजधानी वॉशिंगटन डीसी के रोनाल्ड रीगन एयरपोर्ट,न्यूयॉर्क के ला गार्डिया,शिकागो ओ’हारे और अटलांटा के हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट जैसे प्रमुख केंद्रों पर सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। हवाई अड्डों के कर्मचारी लगातार ओवरटाइम कर रहे हैं,लेकिन वेतन न मिलने के कारण उनका मनोबल टूटता जा रहा है।
परिवहन सचिव शॉन डफी ने सोमवार को स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि हवाई यातायात नियंत्रक (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर) इस समय बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यही स्थिति जारी रही,तो कई नियंत्रक नौकरी छोड़ सकते हैं,जिससे उड़ानों की सुरक्षा और नियमितता पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहले से ही 2,000 से 3,000 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स की कमी है और शटडाउन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
हवाई अड्डों पर अफरातफरी की इस स्थिति ने राजनीतिक बहस को भी और तेज कर दिया है। व्हाइट हाउस ने सोमवार को बयान जारी करते हुए इसके लिए डेमोक्रेटिक नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रवक्ता ने कहा कि “डेमोक्रेट्स की राजनीतिक जिद और समझौते से इनकार के कारण आम अमेरिकी जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है। अगर वे सरकार खोलने पर सहमत हो जाएँ,तो यह संकट तुरंत समाप्त हो सकता है।”
हालाँकि,डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी के नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति और सरकार अपने असफल प्रशासनिक निर्णयों को विपक्ष पर थोप रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने सरकारी कामकाज को राजनीतिक सौदेबाजी का जरिया बना दिया है और इसका सबसे बड़ा खामियाजा अब आम नागरिक भुगत रहे हैं। डेमोक्रेट्स का आरोप है कि राष्ट्रपति की जिद –खासकर आव्रजन नीति और सीमा दीवार के फंडिंग से जुड़ी माँग ने इस संकट को जन्म दिया है।
रिपब्लिकन दल ने पलटवार करते हुए कहा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी अवैध प्रवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएँ देने की माँग कर रही है,जिससे करदाताओं का बोझ बढ़ेगा। इस पर डेमोक्रेटिक नेताओं ने जवाब दिया कि वे केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए पहले से जारी स्वास्थ्य लाभों में की गई कटौती को वापस करवाना चाहते हैं,न कि अवैध प्रवासियों के लिए नई सुविधाओं की माँग कर रहे हैं।
इस राजनीतिक तकरार के बीच अमेरिकी यात्री सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। देशभर के एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की लंबी कतारें और उड़ानों की देरी ने यात्रा अनुभव को मुश्किल बना दिया है। फ्लाइटअवेयर के अनुसार,केवल रविवार को 5,000 से अधिक उड़ानें देर से चलीं और करीब 400 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। सोमवार को भी यह संख्या हजारों में रही।
हवाई सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शटडाउन जल्दी खत्म नहीं हुआ,तो आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा जांच के दौरान कम स्टाफ होने से सुरक्षा जोखिम भी बढ़ सकता है। यात्रियों को तीन से चार घंटे पहले एयरपोर्ट पहुँचने की सलाह दी जा रही है,ताकि उड़ान छूटने की संभावना कम हो।
उधर,एयरलाइनों के संगठन “एयरलाइंस फॉर अमेरिका” ने चेतावनी दी है कि अगर शटडाउन जारी रहा,तो एयरलाइंस को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। पहले ही कई कंपनियाँ अपने शेड्यूल को सीमित कर चुकी हैं और उड़ानों की संख्या घटा रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शटडाउन का यह संकट अब केवल प्रशासनिक नहीं,बल्कि जनजीवन से जुड़ा हुआ मुद्दा बन गया है। सरकारी कर्मचारियों को वेतन न मिलने के कारण आर्थिक असुरक्षा बढ़ रही है और अब इसका सीधा असर देश की परिवहन प्रणाली पर भी दिखने लगा है।
फिलहाल,शटडाउन कब खत्म होगा,इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है। दोनों राजनीतिक दल अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं और बीच में फँसे हैं लाखों अमेरिकी नागरिक,जो सरकारी सेवाओं की रुकावट से परेशान हैं। हवाई अड्डों की भीड़,लंबा इंतजार और उड़ानों की देरी ने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। अगर आने वाले दिनों में कोई समझौता नहीं होता,तो अमेरिका की हवाई सेवाएँ और भी गंभीर संकट में पड़ सकती हैं,जिसका असर न सिर्फ यात्रियों पर,बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहराई से पड़ेगा।
