अमेरिका में शटडाउन के कारण हजारों अमेरिकी उड़ानों में देरी(तस्वीर क्रेडिट@yadavsravana)

अमेरिका में शटडाउन का असर: 4,000 से ज्यादा उड़ानें देरी से रवाना हुईं,यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं

वाशिंगटन,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन का असर अब देश की हवाई सेवाओं पर गहराई से दिखने लगा है। सोमवार को देशभर में 4,000 से ज्यादा उड़ानें देरी से रवाना हुईं,जबकि करीब 118 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। यह संकट पिछले 27 दिनों से जारी उस शटडाउन का नतीजा है,जिसने संघीय एजेंसियों की कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। हवाई अड्डों पर यात्रियों की भारी भीड़,सुरक्षा जाँच में लंबी कतारें और उड़ानों के लगातार विलंब ने आम अमेरिकियों के साथ-साथ एयरलाइनों की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

फ्लाइटअवेयर वेबसाइट के आँकड़ों के अनुसार,रविवार को ही 8,700 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं,जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या मानी जा रही है। उड़ानों की यह देरी केवल मौसम या तकनीकी खराबी के कारण नहीं,बल्कि कर्मचारियों की गंभीर कमी की वजह से हो रही है। अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) और परिवहन सुरक्षा प्रशासन (टीएसए) के हजारों कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं, जिससे हवाई यात्रा प्रणाली पर भारी दबाव पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार,करीब 13,000 हवाई यातायात नियंत्रक और 50,000 सुरक्षा अधिकारी (टीएसए एजेंट) बिना वेतन काम कर रहे हैं। शटडाउन की वजह से उन्हें पिछले कई हफ्तों से तनख्वाह नहीं मिली है,लेकिन फिर भी वे अपनी ड्यूटी निभाने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके काम का सीधा असर यात्रियों की सुरक्षा पर पड़ता है। इन परिस्थितियों में काम करने से उनके मनोबल पर गंभीर असर पड़ रहा है।

एफएए ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि कर्मचारियों की कमी का सबसे ज्यादा असर दक्षिण-पूर्वी राज्यों और न्यू जर्सी के नेवार्क लिबर्टी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर देखा जा रहा है। यहाँ उड़ानों के टेकऑफ और लैंडिंग में घंटों की देरी दर्ज की गई। वहीं लॉस एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एफएए ने “ग्राउंड डिले” लागू किया,जिसके तहत विमानों को रनवे पर ही औसतन 25 मिनट तक इंतजार करना पड़ा।

अमेरिकी परिवहन विभाग के सचिव सीन डफी ने रविवार को फॉक्स न्यूज से बात करते हुए इस गंभीर स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि संघीय कर्मचारियों को गुरुवार और शुक्रवार को नोटिस जारी किया गया था कि उन्हें मंगलवार को मिलने वाला वेतन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैंने कई हवाई यातायात नियंत्रकों से बात की है। उनके चेहरों पर थकान और तनाव साफ झलक रहा है। ये वे लोग हैं,जो महीने-महीने की तनख्वाह पर निर्भर रहते हैं। अब वे ईंधन भराने,किराए देने और बच्चों की देखभाल जैसी बुनियादी चीजों को लेकर चिंतित हैं।”

डफी ने माना कि लंबे समय तक वेतन न मिलने से कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है और इसका असर उनके काम की गुणवत्ता पर भी पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतिगत असहमति का खामियाजा आम कर्मचारियों और नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।

एफएए ने यात्रियों से अपील की है कि वे उड़ान से पहले अपनी टिकट की स्थिति जाँच लें और हवाई अड्डे पर समय से पहले पहुँचे,क्योंकि सुरक्षा जाँच और बोर्डिंग में अपेक्षा से अधिक समय लग सकता है। एयरलाइनों ने भी यात्रियों को पहले से सूचना दी है कि देरी या रद्दीकरण की संभावना बनी हुई है,खासकर बड़े शहरों जैसे न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन डी.सी.,शिकागो,अटलांटा और लॉस एंजिल्स में।

एयरलाइन कंपनियों के प्रवक्ताओं ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण शेड्यूल बनाए रखना बेहद कठिन हो गया है। कई जगहों पर ग्राउंड स्टाफ भी सीमित संख्या में काम कर रहा है,जिससे सामान की लोडिंग,चेक-इन और सुरक्षा प्रक्रिया में अतिरिक्त समय लग रहा है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है,जब मौसम में खराबी या तकनीकी समस्या जैसी अप्रत्याशित परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

हवाई उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट सिर्फ अस्थायी नहीं है। शटडाउन खत्म होने के बाद भी उड़ानों की देरी और रद्दीकरण का असर कुछ हफ्तों तक रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, “फ्लाइट नेटवर्क” एक जटिल प्रणाली होती है,जो थोड़े से व्यवधान से भी बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। जब हजारों उड़ानें एक साथ विलंबित होती हैं,तो उसका असर आगे कई दिनों तक महसूस किया जाता है।

इस बीच यात्रियों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर हवाई अड्डों से तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं,जिनमें यात्रियों की लंबी कतारें और हताश चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं। कुछ यात्रियों ने शिकायत की है कि एयरलाइनों से उन्हें स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है और रद्द हुई उड़ानों के टिकट रिफंड में भी समय लग रहा है।

परिवहन विभाग ने कहा है कि फिलहाल उड़ानें जारी रहेंगी और हवाई सेवाएँ बंद नहीं की जाएँगी,लेकिन अगर शटडाउन और लंबा खिंचता है,तो उड़ानों की देरी, द्दीकरण और सुरक्षा प्रक्रियाओं में अव्यवस्था की स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

वाशिंगटन में चल रहे राजनीतिक गतिरोध का अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। सरकार के अस्थायी बजट पर सहमति न बनने के कारण कई संघीय एजेंसियाँ आंशिक रूप से बंद हैं। इस टकराव का सीधा असर आम लोगों की जिंदगी और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

अमेरिका के इतिहास में यह शटडाउन अब तक के सबसे लंबे शटडाउन में से एक बन गया है। हवाई सेवाओं पर इसका असर यह साफ दिखा रहा है कि जब प्रशासनिक ठहराव लंबा खिंचता है,तो उसका बोझ आम नागरिकों और जरूरी सेवाओं पर कितनी गहराई से पड़ता है।