प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@BJP4MP)

भारतभर में लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा का उषा अर्घ्य के साथ संपन्न,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने दी शुभकामनाएँ

नई दिल्ली,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत में लोकआस्था और श्रद्धा का प्रतीक माने जाने वाला चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा मंगलवार को उषा अर्घ्य के साथ विधिवत संपन्न हो गया। देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों श्रद्धालुओं ने प्रात:कालीन सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत का समापन किया। यह पर्व सूर्योपासना, पवित्रता और अनुशासन का अद्भुत संगम माना जाता है,जिसमें भक्तजन पूरी निष्ठा और भक्ति भाव से छठी मईया और भगवान भास्कर की आराधना करते हैं।

देश के पूर्वी और उत्तरी राज्यों—बिहार,उत्तर प्रदेश,झारखंड,पश्चिम बंगाल,छत्तीसगढ़ और दिल्ली में इस पर्व की झलक देखने को मिली। घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी,तो वहीं शहरों के जलाशय,नदियाँ और तालाब छठ गीतों की मधुर गूँज से आलोकित हो उठे। महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर व्रत का अंतिम अर्घ्य दिया और परिवार के कल्याण की कामना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक बधाई दी और इसे भारत की प्राचीन परंपरा का गौरव बताया। उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “भगवान सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ आज महापर्व छठ का शुभ समापन हुआ। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दौरान छठ पूजा की हमारी भव्य परंपरा के दिव्य दर्शन हुए। समस्त व्रतियों और श्रद्धालुओं सहित पावन पर्व का हिस्सा बने अपने सभी परिवारजनों का हृदय से अभिनंदन! छठी मईया की असीम कृपा से आप सभी का जीवन सदैव आलोकित रहे।” प्रधानमंत्री के इस संदेश को सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने साझा किया और “जय छठी मईया” के नारे के साथ देशभर में आस्था की लहर दौड़ गई।

दिल्ली में भी छठ पूजा का भव्य आयोजन हुआ। यमुना के घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में कहा, “छठ पूजा का प्रातः अर्घ्य हमें यह याद दिलाता है कि हर नया दिन एक नई शुरुआत का अवसर लेकर आता है। सूर्यदेव को अर्पित यह अर्घ्य जीवन में ऊर्जा भरता है,विश्वास जगाता है और अनुशासन की प्रेरणा देता है। आज दिल्ली की यमुना भी इस दिव्य ऊर्जा से आलोकित हो रही है। आप सभी को आस्था के इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।”

असम में भी इस पर्व की विशेष झलक देखने को मिली। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने छठी मईया का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, “छठ महापर्व के अंतिम अनुष्ठान ‘उषा अर्घ्य’ के अवसर पर श्रद्धालुओं के साथ छठी मईया का आशीर्वाद प्राप्त करने का परम सौभाग्य मिला। जय सूर्य भगवान।” उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा,“उषा अर्घ्य छठ पूजा का अंतिम दिन है,जो नई आशा, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है। व्रती सूर्योदय से पहले घाट पहुँचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे और अपने व्रत का समापन करेंगे। सभी व्रतियों और उनके परिवारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। सूर्य देव एवं छठी मईया आपके जीवन में सुख,शांति और समृद्धि प्रदान करें।”

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी छठ पर्व की बधाई देते हुए इसे भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “समस्त देशवासियों को आस्था,पवित्रता और सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के चतुर्थ दिवस उषा अर्घ्य की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ! छठी मईया और भगवान सूर्यदेव की कृपा से सभी के जीवन में आरोग्य और सौभाग्य का संचार हो। जय छठी मईया!”

चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व नहाय-खाय,खरना,संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से संपन्न होता है। पहले दिन व्रती स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं,दूसरे दिन खरना के रूप में गुड़-चावल का प्रसाद बनाते हैं,तीसरे दिन संध्या अर्घ्य में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्पण किया जाता है और चौथे दिन प्रातः अर्घ्य के साथ यह पर्व समाप्त होता है। माना जाता है कि सूर्यदेव को अर्घ्य देने से जीवन में उन्नति,समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

इस दौरान देशभर के घाटों पर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। दिल्ली,पटना,वाराणसी,प्रयागराज और राँची जैसे शहरों में प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की। यमुना घाटों से लेकर गंगा के तट तक सफाई,रोशनी और जलस्रोतों की निगरानी के लिए प्रशासनिक अधिकारी देर रात तक डटे रहे। कई जगह ड्रोन से निगरानी की गई और आपातकालीन सेवाओं को भी तैनात रखा गया।

दिल्ली,मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में प्रवासी बिहारी समुदाय ने भी धूमधाम से छठ मनाया। मुंबई के जुहू बीच,कोलकाता के बालीघाट और दिल्ली के कालिंदी कुंज में लोगों की भारी भीड़ देखी गई। श्रद्धालु पारंपरिक गीतों—“कांच ही बांस के बहंगिया,बहंगी लचकत जाए” और “उठू हे सूर्य देव,अरघ देब तोहर पनिया”—पर झूमते नजर आए।

छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में परिवार,अनुशासन और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी है। इस पर्व में प्लास्टिक और कृत्रिम सामग्रियों से दूर रहकर मिट्टी के पात्रों का उपयोग किया जाता है,जिससे प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश मिलता है।

जैसे ही सूरज की पहली किरणें धरती पर पड़ीं,घाटों पर ‘जय सूर्यदेव’ और ‘छठी मईया की जय’ के जयकारे गूँज उठे। व्रतियों ने भगवान भास्कर से अपने परिवार,समाज और देश की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही चार दिन तक चले इस पावन पर्व का समापन भक्ति,अनुशासन और श्रद्धा के साथ हुआ।

छठ पूजा की समाप्ति के साथ ही देशभर में एक बार फिर यह सिद्ध हुआ कि भारत की सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवित है,जहाँ श्रद्धा,संयम और समर्पण का भाव लोगों को जोड़ता है। सूर्यदेव और छठी मईया के आशीर्वाद से भारत की यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों तक प्रकाश और प्रेरणा देती रहेगी।