नई दिल्ली,9 अगस्त (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकियों के खिलाफ चल रहा ऑपरेशन नौवें दिन भी जारी है। इस लंबे चले आतंकवाद विरोधी अभियान में भारतीय सेना के दो जांबाज जवान शहीद हो गए हैं,जबकि एक आतंकी को ढेर कर दिया गया है। सेना ने शनिवार को जानकारी दी कि शुक्रवार रात आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रितपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह ने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके शौर्य और समर्पण को सेना ने सलाम करते हुए कहा कि उनकी वीरता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। सेना ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और उनके साथ एकजुटता से खड़े होने का संकल्प दोहराया है।
यह मुठभेड़ 1 अगस्त को उस समय शुरू हुई,जब आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के अखल इलाके के घने जंगलों में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। शुरुआती गोलीबारी के बाद दोनों पक्षों में भीषण फायरिंग हुई,लेकिन रात होने के कारण अभियान को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। हालाँकि,घेराबंदी को और मजबूत किया गया और अतिरिक्त बलों को इलाके में भेजा गया,ताकि आतंकियों के बच निकलने की कोई संभावना न रहे।
अधिकारियों के अनुसार,इस इलाके का भूगोल और घना जंगल अभियान को चुनौतीपूर्ण बना रहा है। दुर्गम पहाड़ी रास्तों और घने वन क्षेत्र के कारण आतंकियों की तलाश और उन्हें घेरना समयसाध्य हो गया है। यही वजह है कि यह ऑपरेशन घाटी में सबसे लंबे समय तक चलने वाले अभियानों में से एक बन गया है। पुलिस और सेना के शीर्ष अधिकारी लगातार मौके पर जाकर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात खुद इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभियान में समय लग रहा है क्योंकि इलाका बेहद कठिन और जंगली है,लेकिन सुरक्षा बल आतंकियों को किसी भी हाल में ढूँढ़ निकालेंगे।
सेना और पुलिस ने इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। सभी प्रवेश और निकास मार्ग सील कर दिए गए हैं,ताकि आतंकियों को किसी भी तरह से भागने का मौका न मिले। इस दौरान,पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच हुई मुठभेड़ में दो जवान घायल भी हुए थे,जिन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके उपचार की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने कहा कि उनकी हालत स्थिर है और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
इस मुठभेड़ में अब तक एक आतंकी को मार गिराया गया है,हालाँकि,इलाके में अभी भी कुछ और आतंकियों के छिपे होने की आशंका जताई जा रही है। सुरक्षा बल बेहद सावधानी और रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि आतंकियों को पकड़ने के साथ-साथ अपने जवानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
कुलगाम का यह ऑपरेशन घाटी में आतंकवाद विरोधी प्रयासों की गंभीरता और जटिलता को दर्शाता है। पिछले कुछ महीनों में दक्षिण कश्मीर के कई इलाकों में आतंकियों की मौजूदगी की सूचनाएँ मिली हैं,जिसके चलते सुरक्षा बलों ने तलाशी और घेराबंदी अभियानों को तेज कर दिया है। इस बार,आतंकियों ने जिस इलाके को अपनी पनाहगाह बनाया है,वह बेहद कठिन और दुर्गम है,जिससे अभियान लंबा खींच गया है।
भारतीय सेना की चिनार कोर ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर शहीद हुए दोनों वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रितपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह का बलिदान राष्ट्र की सुरक्षा के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनके साहस और वीरता को हमेशा याद रखा जाएगा।
अब सुरक्षा बल इस ऑपरेशन के अंतिम चरण में पहुँचने के लिए पूरी ताकत से जुटे हैं। अधिकारियों का कहना है कि घेराबंदी इतनी मजबूत कर दी गई है कि आतंकियों के बच निकलने की संभावना लगभग न के बराबर है। हालाँकि,इलाके की भौगोलिक जटिलताओं के कारण अभियान को पूरा करने में और समय लग सकता है।
कुलगाम में चल रही इस मुठभेड़ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी और कठिन है,लेकिन भारतीय सुरक्षा बल इस चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम और दृढ़ हैं। जवानों का बलिदान इस संघर्ष की गंभीरता और इसके पीछे मौजूद अदम्य साहस की गवाही देता है।