लॉस एंजिल्स,9 जून (युआईटीवी)- अमेरिका के लॉस एंजिल्स में इन दिनों हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। वजह है-अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रही सरकारी कार्रवाई और उसके विरोध में भड़के हिंसक प्रदर्शन। इन प्रदर्शनों ने दो दिन से लगातार उग्र रूप ले लिया है और अब यह सीधे-सीधे अमेरिकी सरकार बनाम प्रदर्शनकारियों की जंग का स्वरूप ले चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पूरे घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाते हुए हिंसा को नियंत्रित करने के लिए सीधे सैन्य हस्तक्षेप का फैसला लिया है।
अवैध प्रवासियों पर अमेरिकी प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे सख्त अभियान के विरोध में लॉस एंजिल्स में प्रदर्शन शुरू हुए थे। शुरुआत में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे,लेकिन जैसे-जैसे प्रवासियों पर दबाव बढ़ा,विरोध भी हिंसक होता गया। भारतीय समयानुसार रविवार सुबह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। इसके साथ ही,उन्होंने सुरक्षा बलों और इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इन्फोर्समेंट (आईसीई) एजेंसी के अधिकारियों पर पेट्रोल बम और आँसू गैस के गोले फेंके।
प्रदर्शनकारियों ने एक स्ट्रिप मॉल को आग के हवाले कर दिया,कई दुकानों में तोड़फोड़ की,सरकारी गाड़ियों और इमारतों पर स्प्रे पेंट से विरोधी नारे लिखे। सबसे बड़ी बात यह रही कि उन्होंने मेक्सिको का झंडा उठाकर “आईसीई लॉस एंजिल्स से बाहर जाओ” जैसे नारे भी लगाए। इससे यह संकेत मिलता है कि प्रदर्शनकारी प्रवासी अधिकारों की लड़ाई को राष्ट्रीय पहचान से जोड़ रहे हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए बिना राज्य सरकार की अनुमति के लॉस एंजिल्स में 2000 नेशनल गार्ड्स तैनात करने का आदेश दिया है। यह पहला ऐसा मामला है,जब किसी राज्य की अनुमति के बिना वहाँ की नेशनल गार्ड्स तैनात की गई हों। ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि ये प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं बल्कि विद्रोह और अराजकता हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर एक पोस्ट में कहा, “लॉस एंजिल्स पर अवैध विदेशियों और अपराधियों ने कब्जा कर लिया है। अब ये हिंसक भीड़ हमारे फेडरल एजेंट्स पर हमला कर रही है और निर्वासन अभियानों में बाधा डाल रही है,लेकिन ये अराजक दंगे हमारे संकल्प को और मजबूत करते हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार किसी भी हालत में कानून और व्यवस्था से समझौता नहीं करेगी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिल्स की मेयर कैरेन बैस से जनता से माफी माँगने को कहा है। उन्होंने दोनों नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने एलए में हालात को बेकाबू होने दिया और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में लाने में विफल रहे।
ट्रंप ने लिखा, “गवर्नर गैविन न्यूसम और मेयर बास को लॉस एंजिल्स के लोगों से उनके जरिए किए गए भयानक काम के लिए माफी माँगनी चाहिए। ये प्रदर्शनकारी नहीं,बल्कि उपद्रवी और विद्रोही हैं।” ट्रंप ने व्यंग्यात्मक लहजे में लिखा—“याद रखें, मास्क न पहनें।”
इस बीच, एफबीआई ने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान और गिरफ्तारी में मदद देने वाले को 50,000 डॉलर तक का इनाम देने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य इन उपद्रवियों की गिरफ्तारी में तेज़ी लाना और जनता से सहयोग प्राप्त करना है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम,रक्षा सचिव पीट हेगसेथ और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को निर्देश दिए हैं कि वे सभी एजेंसियों के साथ मिलकर लॉस एंजिल्स को इन प्रवासी दंगों से मुक्त करें और शांति बहाल करें।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी ट्रंप के निर्णय का समर्थन करते हुए लिखा कि, “इस समय निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है। राष्ट्रपति दंगे और हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे।” इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पूरी अमेरिकी सरकार इस आंदोलन को एक खतरे के रूप में देख रही है,न कि किसी लोकतांत्रिक विरोध के रूप में।
लॉस एंजिल्स की सड़कों पर जो कुछ भी हो रहा है,वह सिर्फ एक प्रवासी विरोध नहीं बल्कि अमेरिका में कानून-व्यवस्था और प्रवासी नीति पर एक बड़ी बहस बन चुका है। एक ओर राष्ट्रपति ट्रंप सख्ती से इन प्रवासियों को निष्कासित करने और कानून लागू करने पर जोर दे रहे हैं,वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं।
स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और आने वाले दिनों में यह मामला अमेरिका की राजनीति,मानवाधिकार और प्रवासी नीति के केंद्र में आ सकता है। क्या सरकार इन प्रदर्शनों को दबा पाएगी या यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल इतना तय है कि लॉस एंजिल्स,अमेरिका की सबसे बड़ी शरणस्थली,आज संकट की स्थिति में है।