राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत (तस्वीर क्रेडिट@Dr_MonikaSingh_)

वीर सावरकर पर बयान मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत बरकरार,अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद

नई दिल्ली,25 जुलाई (युआईटीवी)- वीर सावरकर पर दिए गए विवादित बयान के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत फिलहाल बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की निचली अदालत द्वारा जारी समन पर लगी अंतरिम रोक को यथावत रखते हुए इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद निर्धारित की है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि तब तक राहुल गांधी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होगी।

यह मामला 2022 के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र में दिए गए उस बयान से जुड़ा है,जिसमें उन्होंने वीर सावरकर को “अंग्रेजों का नौकर” करार दिया था। राहुल गांधी ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि वीर सावरकर अंग्रेजों से पेंशन लेते थे और उनके लिए काम करते थे। इस बयान ने न केवल राजनीतिक विवाद को जन्म दिया,बल्कि कानूनी दायरे में भी उन्हें घेर लिया। लखनऊ के वकील नृपेन्द्र पांडे ने इस बयान को समाज में नफरत और वैमनस्य फैलाने वाला करार देते हुए निचली अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर लखनऊ की निचली अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153(A) और 505 के तहत मामला दर्ज करते हुए राहुल गांधी को समन जारी किया था।

राहुल गांधी ने निचली अदालत की कार्यवाही और समन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी कि उनका बयान राजनीतिक संदर्भ में दिया गया था और इसका उद्देश्य किसी विशेष समुदाय या वर्ग के प्रति नफरत फैलाना नहीं था। राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से निचली अदालत की कार्यवाही को रद्द करने की माँग की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिकायतकर्ता नृपेन्द्र पांडे को दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं,उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। यूपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि राहुल गांधी के बयान से समाज में जानबूझकर नफरत फैलाने की मंशा झलकती है और यह बयान पूर्व नियोजित तरीके से दिया गया था। यूपी सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह शिकायतकर्ता वकील नृपेन्द्र पांडे की इस दलील से सहमत है कि राहुल गांधी का यह कदम समाज में दुश्मनी और वैमनस्य फैलाने के इरादे से उठाया गया था।

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को भी सही और न्यायोचित करार दिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस मामले में दखल न दे और राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दे। सरकार का यह रुख राहुल गांधी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है,क्योंकि वह पहले ही विभिन्न अदालतों में कई मानहानि और बयानबाजी से जुड़े मामलों का सामना कर रहे हैं।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जहाँ राहुल गांधी को समन पर अंतरिम राहत दी थी,वहीं उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि इस तरह के बयानों से राजनीतिक माहौल खराब होता है और यदि राहुल गांधी भविष्य में ऐसे बयान देंगे,तो शीर्ष अदालत खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करेगी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले नेताओं को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए,क्योंकि उनके बयान का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान ने राजनीतिक गलियारों में भी बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी पर वीर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगाया और इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति असम्मान बताया। वहीं,कांग्रेस पार्टी ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा कि राहुल गांधी का बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की नफरत फैलाना नहीं था।

राहुल गांधी पर दायर यह मामला उनके लिए एक और कानूनी चुनौती बन गया है। इससे पहले मानहानि के मामलों में भी उन्हें सजा और जमानत का सामना करना पड़ा है। हाल ही में सूरत की एक अदालत ने भी मानहानि के मामले में उन्हें दोषी ठहराया था,हालाँकि,बाद में ऊपरी अदालत से उन्हें राहत मिली थी।

अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद निर्धारित किए जाने से राहुल गांधी को फिलहाल राहत जरूर मिल गई है,लेकिन यूपी सरकार के कड़े रुख और शिकायतकर्ता की दलीलों के बाद उनके लिए कानूनी लड़ाई आसान नहीं होगी। अदालत का अगला फैसला इस विवाद के भविष्य का निर्धारण करेगा। फिलहाल,राहुल गांधी के समर्थक इसे राहत की बड़ी खबर मान रहे हैं,जबकि विरोधी इसे न्याय की दिशा में एक प्रारंभिक कदम बता रहे हैं।