केरल से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन (तस्वीर क्रेडिट@naaz_mahar)

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को बताया आतंक और उग्रवाद का केंद्र,कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की दी कड़ी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र,14 अक्टूबर (युआईटीवी)- संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को उसके दोहरे चरित्र और आतंकवाद को संरक्षण देने की नीति के लिए बेनकाब किया है। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान आज भी “आतंक, हिंसा,कट्टरता,असहिष्णुता और उग्रवाद का मुख्य स्रोत” बना हुआ है और वह जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन कर रहा है,जिस पर उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। भारत ने माँग की है कि पाकिस्तान तत्काल उन अत्याचारों को रोके,जो वह गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में निर्दोष नागरिकों पर कर रहा है।

केरल से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा की उपनिवेशवाद-उन्मूलन से संबंधित चौथी समिति में दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है,बल्कि उसने आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान आतंक,हिंसा,कट्टरता,असहिष्णुता और उग्रवाद का मुख्य स्रोत है। इसी वर्ष अप्रैल में पाकिस्तान की धरती से प्रशिक्षित और प्रायोजित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। यह उस आतंक तंत्र का परिणाम है,जिसे पाकिस्तान दशकों से पोषित करता आ रहा है।”

प्रेमचंद्रन ने पाकिस्तान द्वारा 1948 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 के उल्लंघन का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने न केवल इस प्रस्ताव की आत्मा का उल्लंघन किया है,बल्कि उसने कश्मीर के उस हिस्से में क्रूर दमनकारी नीतियाँ अपनाई हैं,जो उसके कब्जे में है। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान से आग्रह करते हैं कि वह उन क्षेत्रों में जारी गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोके,जिन्हें उसने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। वहाँ की जनता अब पाकिस्तान की सेना के अत्याचार,दमन और संसाधनों के लूट के खिलाफ विद्रोह कर रही है।”

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने यह भी रखा कि हाल के दिनों में पाकिस्तान की सेना और उसके समर्थकों ने पीओके में कई निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी,जो अपने मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठा रहे थे। रिपोर्टों के अनुसार,पाकिस्तानी सेना ने हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए गोलियाँ चलाईं,जिसमें 12 से अधिक लोग मारे गए और कई घायल हुए।

प्रेमचंद्रन ने संयुक्त राष्ट्र की चौथी समिति में पाकिस्तान द्वारा भारत और कश्मीर को लेकर दिए गए बयानों की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की टिप्पणियाँ इस समिति के एजेंडे या कार्यक्षेत्र से बिल्कुल असंबंधित थीं। उन्होंने कहा, “विडंबना यह है कि एक ऐसा देश,जो आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का साधन बना चुका है,वह आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर आरोप लगाने की कोशिश कर रहा है।”

उन्होंने पाकिस्तान के राजनीतिक ढाँचे पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वहाँ लोकतंत्र केवल दिखावा है। प्रेमचंद्रन ने कहा, “पाकिस्तान एक ऐसा देश है,जिसका इतिहास सैन्य तानाशाही,दिखावटी चुनावों,लोकप्रिय निर्वाचित नेताओं की गिरफ्तारी,धार्मिक उग्रवाद और राज्य प्रायोजित आतंकवाद से भरा हुआ है। ऐसे देश को भविष्य में इस मंच से उपदेश देने से परहेज करना चाहिए।”

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर एक बार फिर दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और रहेगा। यह बयान न केवल पाकिस्तान के झूठे प्रचार को करारा जवाब है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार की बाहरी दखलंदाजी को स्वीकार नहीं करेगा।

दरअसल,पाकिस्तान लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाकर भारत को घेरने की कोशिश करता रहा है,लेकिन हर बार उसे भारत की कूटनीतिक मजबूती और तथ्यों के सामने मुँह की खानी पड़ी है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हाल के महीनों में लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। वहाँ के नागरिक पाकिस्तानी सेना के दमन,आर्थिक शोषण और संसाधनों की लूट के खिलाफ खुलकर सड़कों पर उतर रहे हैं।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठाकर न केवल पाकिस्तान की नीतियों को उजागर किया है,बल्कि वैश्विक समुदाय को यह भी दिखाया है कि आतंकवाद और मानवाधिकार उल्लंघनों के असली जिम्मेदार कौन हैं। यह बयान ऐसे समय आया है,जब पाकिस्तान की घरेलू राजनीति भी अस्थिर है और उसकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की इस सख्त प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि नई दिल्ली अब पाकिस्तान के झूठे बयानों पर चुप नहीं बैठेगी। भारत आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी नीति पर दृढ़ है और कश्मीर को लेकर किसी भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

प्रेमचंद्रन के इस बयान के बाद संयुक्त राष्ट्र में मौजूद कई देशों के प्रतिनिधियों ने भी पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाए। भारत की यह कूटनीतिक पहल न केवल पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करती है,बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अपने संप्रभु अधिकारों और सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी मंच पर पीछे हटने वाला नहीं है।

भारत का यह सख्त रुख उस नई नीति का हिस्सा है,जिसमें देश की विदेश नीति आतंकवाद,सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय स्वाभिमान पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करती। जम्मू-कश्मीर पर भारत की स्थिति पहले की तरह स्पष्ट है कि यह भारत का अविभाज्य हिस्सा है और रहेगा और पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों से तुरंत हटना होगा।