भूटान के विदेश सचिव ओम पेमा चोडेन और विदेश सचिव विक्रम मिस्री (तस्वीर क्रेडिट@AIRNewsHindi)

भारत-भूटान रेल संपर्क समझौता: आर्थिक रिश्तों और क्षेत्रीय विकास को नई दिशा

नई दिल्ली,30 सितंबर (युआईटीवी)- भारत और भूटान ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए दोनों देशों के बीच रेल संपर्क स्थापित करने के लिए अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच भौतिक संपर्क को मजबूत करेगा,बल्कि आर्थिक सहयोग,व्यापार,पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी एक नई दिशा देगा। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने जानकारी दी कि भूटान के विदेश सचिव ओम पेमा चोडेन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और भूटान की ओर से ओम पेमा चोडेन मौजूद रहे। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वार्ता के बाद यह एमओयू तय हुआ,जिसमें विशेष रूप से कोकराझार और गेलेफू तथा बानरहाट और सेरहोमत्से को जोड़ने वाले पहले क्रॉस बॉर्डर रेल संपर्क पर सहमति बनी।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह परियोजना भारत और भूटान के बीच संपर्क बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। इसके जरिए दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के संबंध और आर्थिक साझेदारी को मजबूती मिलेगी। मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि इन परियोजनाओं से व्यापारिक गतिविधियाँ,पर्यटक आवागमन और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों ने विशेष रूप से पुनात्सांगछू-2 जलविद्युत परियोजना की छह इकाइयों के सफलतापूर्वक चालू होने का स्वागत किया। यह 1,020 मेगावाट की परियोजना भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी के संयुक्त दृष्टिकोण को साकार करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है। यह परियोजना भूटान की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को और बढ़ाएगी तथा भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी सहायक होगी।

भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत चल रही विकास सहयोग परियोजनाओं और पहलों पर भी दोनों देशों ने संतोष व्यक्त किया। भारत सरकार के सहयोग से चल रही इन परियोजनाओं को भूटान के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी बताया गया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ये परियोजनाएँ न केवल भूटान के बुनियादी ढाँचे को मजबूती देंगी,बल्कि वहाँ के नागरिकों को भी ठोस लाभ प्रदान करेंगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस अवसर पर कहा कि भारत और भूटान के बीच नई रेल परियोजनाएँ दोनों देशों के बीच संपर्क और व्यापार को गहराई प्रदान करेंगी। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने दो प्रमुख संपर्क मार्गों की पहचान की है। इनमें से पहला है 69 किलोमीटर लंबा कोकराझार-गेलेफू लाइन,जो असम को भूटान के गेलेफू शहर से जोड़ेगा। दूसरा है 20 किलोमीटर लंबा बानरहाट-समत्से लाइन,जो पश्चिम बंगाल को भूटान के सेरहोमत्से से जोड़ेगा। दोनों ही रेल मार्ग रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं,क्योंकि ये न केवल व्यापार और वाणिज्य को गति देंगे,बल्कि सीमावर्ती इलाकों में रोजगार और विकास की संभावनाएँ भी पैदा करेंगे।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने जानकारी दी कि इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत लगभग 4,033 करोड़ रुपये है। इस निवेश से व्यापार,पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। भूटान के समत्से और गेलेफू शहर प्रमुख निर्यात-आयात केंद्र हैं। भूटान सरकार गेलेफू को एक माइंडफुलनेस शहर और समत्से को औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। ऐसे में भारत से सीधी रेल कनेक्टिविटी मिलने के बाद इन क्षेत्रों का विकास और तेजी से होगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।

शर्मा ने आगे बताया कि कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए कोकराझार-गेलेफू लाइन को एक विशेष रेलवे परियोजना घोषित किया गया है। इसका अर्थ है कि इस लाइन के निर्माण में मंजूरी और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि परियोजना समय पर पूरी हो और इसका लाभ शीघ्र ही जनता तक पहुँच सके।

वित्तीय पक्ष को लेकर भी एक स्पष्ट ढाँचा तैयार किया गया है। रेल मंत्रालय भारतीय हिस्से के कार्यों के लिए निवेश वहन करेगा। वहीं भारत सरकार,विदेश मंत्रालय के माध्यम से,भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भूटानी हिस्से का सहयोग करेगी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत भूटान के विकास में एक प्रमुख भागीदार की भूमिका निभा रहा है और दोनों देशों का रिश्ता केवल कूटनीतिक या राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं है,बल्कि यह व्यावहारिक और जमीनी स्तर पर भी गहरा होता जा रहा है।

भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह रेल परियोजना इस रिश्ते को और मजबूत करेगी। क्षेत्रीय स्तर पर देखा जाए तो ये रेल संपर्क परियोजनाएँ न केवल भारत और भूटान बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में संतुलित विकास को बढ़ावा देंगी। पूर्वोत्तर भारत और भूटान के सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों के नए द्वार खुलेंगे। पर्यटन को गति मिलेगी और लोगों के बीच आवागमन आसान होगा,जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध भी और प्रगाढ़ होंगे।

भारत-भूटान रिश्तों की खासियत यही है कि यह रिश्ता आपसी विश्वास और साझेदारी पर आधारित है। ऊर्जा,बुनियादी ढाँचा,शिक्षा,स्वास्थ्य और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में दोनों देश लगातार एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। रेल संपर्क की यह नई पहल इस रिश्ते को और व्यापक बनाएगी और आने वाले समय में दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक सहयोग की नई संभावनाएँ पैदा करेगी।

लगभग चार दशकों से भूटान के साथ भारत का घनिष्ठ रिश्ता रहा है,जिसे हर दशक में नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया गया है। अब जब दोनों देश रेल कनेक्टिविटी जैसे बड़े बुनियादी ढाँचे के प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ रहे हैं,तो यह साफ संकेत है कि भारत और भूटान आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय विकास के नए मॉडल प्रस्तुत करेंगे। यह कदम न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेगा,बल्कि दक्षिण एशियाई सहयोग की अवधारणा को भी नई दिशा देगा।

भारत और भूटान के बीच रेल संपर्क का यह समझौता दोनों देशों के रिश्तों को ऐतिहासिक स्तर पर और सशक्त बनाएगा। यह केवल रेल की पटरियों का निर्माण नहीं है,बल्कि यह दो पड़ोसी देशों के बीच आपसी विश्वास,आर्थिक सहयोग और साझा प्रगति का प्रतीक है। यह समझौता आने वाले समय में भारत और भूटान के रिश्तों को और गहराई देगा और क्षेत्रीय स्तर पर विकास और समृद्धि की नई कहानी लिखेगा।