जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल और भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (तस्वीर क्रेडिट@DrSJaishankar)

भारत-जर्मनी संबंधों को नई दिशा देगा जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल का दो दिवसीय भारत दौरा,कई बैठकों में हिस्सा लेंगे

नई दिल्ली,2 सितंबर (युआईटीवी)- भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा और रणनीतिक गहराई जोड़ने के उद्देश्य से जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल मंगलवार सुबह भारत पहुँचे। उनका यह दो दिवसीय दौरा 2 से 3 सितंबर तक चलेगा,जिसकी शुरुआत उन्होंने बेंगलुरु से की। विदेश मंत्रालय ने इस दौरे की घोषणा पहले ही कर दी थी और इसे दोनों देशों के बीच मजबूत और निरंतर विकसित हो रहे रिश्तों का प्रतीक बताया गया। वाडेफुल के लिए यह विदेश मंत्री बनने के बाद का पहला भारत दौरा है और इस कारण से इसका विशेष महत्व माना जा रहा है।

बेंगलुरु पहुँचने के बाद वाडेफुल ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मुख्यालय के दौरे से की। यह दौरा इस बात का संकेत है कि जर्मनी भारत के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी सहयोग को कितना अहम मानता है। इसरो ने हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर अपनी उपलब्धियों से जो पहचान बनाई है,उसने कई देशों का ध्यान आकर्षित किया है और जर्मनी उनमें से एक प्रमुख साझेदार के रूप में उभर रहा है।

इसके बाद वाडेफुल नई दिल्ली की यात्रा करेंगे,जहाँ उनका कार्यक्रम और भी व्यस्त और महत्वपूर्ण रहेगा। बुधवार को उनकी मुलाकात भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से होगी। इन बैठकों में व्यापार,सुरक्षा,हरित ऊर्जा,डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक शासन जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है। भारत और जर्मनी दोनों ही वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण लोकतंत्र हैं और ऐसे में यह संवाद न केवल द्विपक्षीय बल्कि बहुपक्षीय हितों को भी आगे बढ़ा सकता है।

जोहान वाडेफुल ने भारत आने से पहले अपने बयान में भारत-जर्मनी संबंधों की गहराई और व्यापकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच राजनीतिक,आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर मजबूत रिश्ते हैं। सुरक्षा सहयोग से लेकर विज्ञान,प्रौद्योगिकी और इनोवेशन तक,कई क्षेत्रों में साझेदारी का दायरा लगातार बढ़ रहा है। विशेष रूप से कुशल श्रमिकों की भर्ती के क्षेत्र में जर्मनी भारत को एक अहम स्रोत मानता है। जर्मनी की जनसंख्या वृद्ध हो रही है और उद्योगों को तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की आवश्यकता है,ऐसे में भारत इस आवश्यकता को पूरा करने में बड़ा योगदान दे सकता है।

विदेश मंत्री वाडेफुल ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले देशों को अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। आज के वैश्विक परिदृश्य में जब दुनिया कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है,चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो,भू-राजनीतिक तनाव हो या वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएँ ,भारत और जर्मनी जैसे देशों का सहयोग और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत,जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है,उसकी आवाज वैश्विक मंचों पर तेजी से प्रभावशाली होती जा रही है। चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो,जी20 हो या अन्य बहुपक्षीय संगठन,भारत की भूमिका अब केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक होती जा रही है। जर्मनी इस बदलाव को सकारात्मक रूप से देखता है और चाहता है कि भारत के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर साझा हितों की रक्षा की जाए।

इससे पहले मई में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बर्लिन का दौरा किया था,जहाँ उन्होंने वाडेफुल के साथ द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की थी। उस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों को नई मजबूती दी थी और अब वाडेफुल का भारत दौरा उस संवाद को और आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा।

भारत और जर्मनी के संबंध केवल राजनीतिक और आर्थिक तक ही सीमित नहीं हैं,बल्कि शिक्षा,संस्कृति और विज्ञान में भी दोनों देशों के बीच गहरा सहयोग है। हजारों भारतीय छात्र जर्मनी की विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और वहीं जर्मनी की कंपनियाँ भारत में निवेश के जरिए उद्योग और रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं। हरित ऊर्जा और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में भी भारत और जर्मनी का सहयोग भविष्य की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकता है।

जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल का यह दौरा भारत-जर्मनी संबंधों को और गहराई देने वाला साबित होगा। यह यात्रा दोनों देशों के बीच न केवल मौजूदा सहयोग को और मजबूत करेगी,बल्कि भविष्य की साझेदारी के लिए भी नए आयाम खोलेगी। भारत और जर्मनी जब मिलकर आगे बढ़ेंगे,तो यह केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि वैश्विक स्थिरता,विकास और शांति में भी योगदान देगा।