प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@garrywalia_)

“भारत को रूस के साथ नहीं,बल्कि अमेरिका के साथ रहने की ज़रूरत है”: पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात के बाद ट्रंप के सहयोगी

वाशिंगटन,3 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक करीबी सहयोगी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हालिया मुलाकात के बाद,भारत को रूस के बजाय अमेरिका के साथ ज़्यादा नज़दीकी से जुड़ना चाहिए। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है,जब यूक्रेन विवाद, अमेरिका-चीन तनाव और प्रमुख शक्तियों के बीच भारत के संतुलन की कोशिशों से वैश्विक भू-राजनीति बदल रही है।

ट्रंप के सहयोगी के अनुसार,मॉस्को के साथ नई दिल्ली के दीर्घकालिक संबंध अब भारत के दीर्घकालिक हितों की पूर्ति नहीं कर सकते,खासकर रूस की चीन पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए। बयान से पता चलता है कि वाशिंगटन एशिया और दुनिया भर में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में भारत को एक स्वाभाविक साझेदार मानता है।

ये टिप्पणियाँ अमेरिकी नीति निर्माताओं द्वारा रणनीतिक,रक्षा और व्यापार साझेदारी के माध्यम से भारत-अमेरिका संबंधों को मज़बूत करने के व्यापक प्रयासों को भी दर्शाती हैं। जहाँ बाइडेन प्रशासन क्वाड और महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग जैसी पहलों के माध्यम से भारत के साथ गहरे संबंधों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है,वहीं ट्रंप के खेमे की टिप्पणियाँ अमेरिका में नई दिल्ली को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में प्राथमिकता देने पर द्विदलीय सहमति को उजागर करती हैं।

हालाँकि,प्रधानमंत्री मोदी की पुतिन से मुलाक़ात को भारतीय अधिकारियों ने नई दिल्ली की स्वतंत्र विदेश नीति के एक हिस्से के रूप में देखा,जो रूस और पश्चिमी देशों,दोनों के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखते हुए भारत के राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखती है। भारत रूसी रक्षा उपकरणों और ऊर्जा आपूर्ति पर काफ़ी हद तक निर्भर है,जबकि वह अमेरिका के साथ व्यापार और सुरक्षा सहयोग बढ़ा रहा है।

ट्रंप के सहयोगी की टिप्पणियाँ भारत पर लगातार ध्रुवीकृत होती विश्व व्यवस्था में स्पष्ट रुख अपनाने के बढ़ते दबाव को रेखांकित करती हैं। नई दिल्ली के लिए चुनौती यह है कि रूस के साथ अपनी पारंपरिक साझेदारी को खतरे में डाले बिना अमेरिका के साथ संबंधों को कैसे गहरा किया जाए,जो दशकों से भारत की रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा का एक स्तंभ रहा है।