अम्मान,16 दिसंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अल हुसैनिया पैलेस में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय से मुलाकात कर भारत–जॉर्डन द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देने का संकेत दिया। इस उच्चस्तरीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्रस्ताव रखा कि दोनों देश आने वाले पाँच वर्षों में आपसी व्यापार को बढ़ाकर 5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय करें। इस पहल को भारत–जॉर्डन आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा और दूरगामी कदम माना जा रहा है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार,भारत वर्तमान में जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद विश्वास और सहयोग के मजबूत आधार पर व्यापार और निवेश के नए अवसर तलाशे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और जॉर्डन को अपनी अर्थव्यवस्थाओं की पूरक क्षमताओं का लाभ उठाकर आपसी आर्थिक सहयोग को और अधिक व्यापक बनाना चाहिए,जिससे दोनों देशों के लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी भावनाएँ साझा करते हुए लिखा कि अम्मान में राजा अब्दुल्ला द्वितीय के साथ उनकी चर्चा अत्यंत सार्थक रही। उन्होंने भारत–जॉर्डन संबंधों को सशक्त बनाने के प्रति राजा अब्दुल्ला की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि इस वर्ष दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इसे एक ऐतिहासिक पड़ाव बताते हुए कहा कि यह अवसर दोनों देशों को नए उत्साह और ऊर्जा के साथ भविष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
इस यात्रा के दौरान डिजिटल सहयोग एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा। प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन की डिजिटल भुगतान प्रणाली और भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई के बीच सहयोग की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल ने देश में वित्तीय समावेशन और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है और इस अनुभव को मित्र देशों के साथ साझा किया जा सकता है। जॉर्डन के साथ डिजिटल भुगतान और फिनटेक सहयोग से न केवल व्यापार को गति मिलेगी,बल्कि आम नागरिकों के लिए लेन-देन को भी सरल और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
आधिकारिक बयान में यह भी बताया गया कि जॉर्डन भारत के लिए उर्वरकों का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। भारत में फॉस्फेटिक उर्वरकों की बढ़ती माँग को देखते हुए दोनों देशों की कंपनियों के बीच जॉर्डन में निवेश को लेकर बातचीत चल रही है। इस सहयोग से भारत की कृषि जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी,वहीं जॉर्डन को निवेश और रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। यह पहल दोनों देशों के बीच आर्थिक निर्भरता को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के अम्मान पहुँचने पर राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें औपचारिक राजकीय सम्मान प्रदान किया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच पहले प्रतिबंधित स्तर पर और फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर पर विस्तृत वार्ता हुई। इन बैठकों में दोनों नेताओं ने अपनी पिछली मुलाकातों को याद किया और भारत–जॉर्डन के ऐतिहासिक,मैत्रीपूर्ण और भरोसेमंद संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और भविष्य में इन्हें और मजबूत किया जाना चाहिए।
नेताओं ने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है,जब भारत और जॉर्डन अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस विशेष अवसर ने यात्रा को और भी ऐतिहासिक बना दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत–जॉर्डन संबंधों को आगे बढ़ाने में राजा अब्दुल्ला द्वितीय की सक्रिय भूमिका और प्रतिबद्धता की खुले दिल से सराहना की।
वार्ता के दौरान सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे भी प्रमुखता से उठे। राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का समर्थन किया और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ से निपटने में राजा अब्दुल्ला के नेतृत्व और वैश्विक प्रयासों में उनके योगदान की प्रशंसा की। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद न केवल क्षेत्रीय,बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक गंभीर खतरा है और इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
बैठक में व्यापार और निवेश के अलावा रक्षा और सुरक्षा,नवीकरणीय ऊर्जा,उर्वरक और कृषि,नवाचार,सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल तकनीक,महत्वपूर्ण खनिज, बुनियादी ढाँचा,स्वास्थ्य और फार्मा,शिक्षा और क्षमता निर्माण,पर्यटन और विरासत,संस्कृति तथा लोगों के बीच संपर्क जैसे अनेक क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने पर विस्तार से चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने माना कि इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से द्विपक्षीय संबंधों को बहुआयामी मजबूती मिलेगी।
क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी दोनों नेताओं ने विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने मध्य पूर्व सहित पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के महत्व को दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों के प्रति भारत के समर्थन की पुनः पुष्टि की और कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के जरिए विवादों के समाधान में विश्वास रखता है।
इस अवसर पर भारत और जॉर्डन के बीच कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों को अंतिम रूप दिया गया। इनमें संस्कृति,नवीकरणीय ऊर्जा,जल प्रबंधन,डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और विश्व धरोहर स्थलों पेट्रा और एलोरा के बीच ट्विनिंग व्यवस्था से जुड़े समझौते शामिल हैं। इन समझौतों से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक,तकनीकी और पर्यावरणीय सहयोग को नई गति मिलने की उम्मीद है और लोगों के बीच आपसी समझ और जुड़ाव और गहरा होगा।
वार्ता के बाद राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में एक औपचारिक भोज का आयोजन किया। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत भी हुई,जिसमें आपसी विश्वास और मित्रता की झलक साफ दिखाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने राजा अब्दुल्ला द्वितीय को भारत आने का निमंत्रण दिया,जिसे जॉर्डन के राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। यह निमंत्रण और उसकी स्वीकृति इस बात का संकेत है कि भारत–जॉर्डन संबंध आने वाले समय में और अधिक प्रगाढ़ होने जा रहे हैं और दोनों देश मिलकर साझेदारी के नए अध्याय लिखने के लिए तैयार हैं।
