चेन्नई,11 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत की जूनियर हॉकी टीम ने एफआईएच हॉकी पुरुष जूनियर वर्ल्ड कप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली बार ब्रॉन्ज मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया। चेन्नई के मेयर राधाकृष्णन स्टेडियम में खेले गए मुकाबले में भारत ने अर्जेंटीना को 4-2 से हराकर टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया। यह जीत सिर्फ एक मेडल से बढ़कर है,क्योंकि इसने भारतीय जूनियर हॉकी की नई पीढ़ी में वह आत्मविश्वास और क्षमता दिखा दी है,जिसकी बदौलत देश भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई नई उपलब्धियां हासिल करने की स्थिति में होगा।
मुकाबले की शुरुआत भारत के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण रही। मेजबान टीम ने शुरुआत से ही अर्जेंटीना की डिफेंस लाइन पर दबाव बनाने का प्रयास किया,लेकिन तीसरे ही मिनट में भारत को पहला झटका लगा,जब अर्जेंटीना के निकोलस रोड्रिगेज ने पेनाल्टी स्ट्रोक को गोल में बदलकर मेहमान टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी। इस शुरुआती बढ़त के बाद स्टेडियम में एक पल के लिए सन्नाटा जैसा माहौल बन गया,लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी लय को बरकरार रखते हुए जल्दी ही मैच में वापसी करने की कोशिशें जारी रखीं।
पहले क्वार्टर के अंत तक भारत ने कई हमले किए,मगर अर्जेंटीना की मजबूत डिफेंस लाइन और गोलकीपर के शानदार प्रदर्शन ने भारत को बराबरी हासिल करने से रोके रखा। दूसरे क्वार्टर में भारतीय टीम ने और अधिक आक्रामक रुख अपनाया। दिलराज सिंह ने कुछ बेहतरीन अटैक बनाए और एक लक्षित शॉट भी मारा,लेकिन अर्जेंटीना का गोलकीपर बिल्कुल चट्टान की तरह खड़ा रहा। भारत ने पहले हाफ में कुल आठ सर्कल पेनिट्रेशन किए और कुछ संभावित अवसर भी बनाए,लेकिन उन्हें गोल में तब्दील नहीं कर पाए। इस तरह हाफ टाइम तक अर्जेंटीना 1-0 की बढ़त बनाए रहा।
तीसरे क्वार्टर में भारत ने अपनी रणनीति बदली और अर्जेंटीना के गोल पर दबाव बनाना शुरू किया। भारतीय टीम को इस दौरान कुछ पेनाल्टी कॉर्नर मिले,लेकिन टीम उनका लाभ उठाने में सफल नहीं हो सकी। दूसरी ओर,अर्जेंटीना ने मौके की तलाश में लगातार काउंटर अटैक किए,लेकिन भारत के गोलकीपर प्रिंसदीप सिंह ने अविश्वसनीय प्रदर्शन करते हुए डबल सेव किए और टीम को मैच में बनाए रखा। हालाँकि,अर्जेंटीना ने एक बार फिर भारत की डिफेंस को भेदते हुए तीसरे क्वार्टर के 44वें मिनट में सैंटियागो फर्नांडीज के गोल की बदौलत अपनी बढ़त 2-0 कर ली। इस गोल ने भारत की स्थिति को और मुश्किल बना दिया था,क्योंकि अब मेजबान टीम को अंतिम क्वार्टर में दो गोल की कमी पूरी करनी थी।
अंतिम क्वार्टर में भारत ने ऊर्जा और जुनून से भरा खेल दिखाया। मैच में सिर्फ 11 मिनट बचे थे और भारतीय समर्थक भी लगातार टीम का हौसला बढ़ा रहे थे। इसी दौरान 49वें मिनट में भारत को पेनाल्टी कॉर्नर मिला। अनमोल एक्का के सटीक ड्रैगफ्लिक पर अंकित पाल ने अर्जेंटीना के गोलकीपर को चकमा देते हुए शानदार गोल किया और भारत ने 1-2 से वापसी की शुरुआत की। यह गोल दर्शकों में नई उम्मीद जगाने वाला साबित हुआ और भारतीय खिलाड़ियों के जोश को और बढ़ा गया।
इसके बाद 52वें मिनट में मनमीत सिंह ने एक शानदार मूव बनाते हुए अनमोल एक्का के सेटअप को गोल में बदल दिया। इस गोल ने मैच को 2-2 की बराबरी पर ला खड़ा किया और मुकाबले का रोमांच एक नए स्तर पर पहुँच गया। दोनों टीमों के बीच इस समय संघर्ष बढ़ चुका था,लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी एकाग्रता नहीं खोई और अवसर की तलाश जारी रखी।
57वें मिनट में भारत को एक और बड़ा मौका मिला,जब टीम को पेनाल्टी स्ट्रोक दिया गया। इस अहम क्षण पर शारदानंद तिवारी ने भारी दबाव के बावजूद पूरी शांति के साथ स्टोक लिया और गोल कर दिया। भारत ने आखिरी तीन मिनट बचे होने के साथ 3-2 से बढ़त बना ली थी। अब अर्जेंटीना पर दबाव बढ़ चुका था और उन्हें मैच को बराबरी पर लाने के लिए जोखिम उठाना पड़ा। इसी जोखिम के तहत उन्होंने बिना गोलकीपर के खेलना शुरू किया,ताकि एक अतिरिक्त फील्ड प्लेयर के साथ हमला किया जा सके।
लेकिन इस रणनीति का उलटा असर हुआ। बढ़त के साथ खेल रही भारतीय टीम पहले से ही लय में थी और अर्जेंटीना के गोलकीपर की गैर-मौजूदगी ने उनके लिए नए रास्ते खोल दिए। मैच के 58वें मिनट में भारत को एक और पेनाल्टी कॉर्नर मिला। इस बार अनमोल एक्का ने स्वयं जिम्मेदारी लेते हुए शानदार तरीके से कॉर्नर को गोल में बदल दिया। यह गोल भारत की जीत को लगभग पक्का कर चुका था। आखिरकार मैच समाप्त हुआ और भारत ने 4-2 से शानदार जीत दर्ज करते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
इस ऐतिहासिक सफलता के बाद पूरी टीम के उत्साह और खुशी का ठिकाना नहीं था। हॉकी इंडिया ने इस उपलब्धि पर हर खिलाड़ी को 5 लाख रुपये और सपोर्ट स्टाफ के प्रत्येक सदस्य को 2.5 लाख रुपये पुरस्कृत करने की घोषणा की है। यह न केवल खिलाड़ियों के प्रदर्शन का सम्मान है,बल्कि जूनियर हॉकी के विकास को और प्रोत्साहन देने वाला कदम भी है।
भारत ने इससे पहले इस टूर्नामेंट में 2001 और 2016 में गोल्ड मेडल जीते थे,जबकि 1997 में टीम ने सिल्वर मेडल हासिल किया था। हालाँकि,ब्रॉन्ज मेडल की कमी हमेशा महसूस होती थी,लेकिन 2025 में टीम ने इस कमी को पूरा करते हुए पदक तालिका का यह स्थान इतिहास में दर्ज करा लिया।
भारतीय जूनियर टीम की यह जीत भविष्य के लिए एक मजबूत संकेत है कि देश में हॉकी का स्वर्णिम दौर फिर लौट सकता है। युवा खिलाड़ियों का यह जज्बा और कौशल आने वाली पीढ़ियों को नई ऊर्जा और प्रेरणा देता रहेगा।

