नई दिल्ली,26 जुलाई (युआईटीवी)- भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए चल रही वार्ताएँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में एफटीए के दूसरे दौर की वार्ता 14 से 25 जुलाई तक आयोजित की गई, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने के साझा उद्देश्य को आगे बढ़ाया गया। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार,इस दौर में दोनों देशों ने कई अहम मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा की और व्यापारिक संबंधों को एक नए मुकाम पर ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
वार्ता का तीसरा दौर अब सितंबर में न्यूजीलैंड में आयोजित किया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि दूसरे दौर में जिस सकारात्मक गति को हासिल किया गया है, उसे बनाए रखने के लिए दोनों देशों के अधिकारी वर्चुअल बैठकों के जरिए भी निरंतर संपर्क में रहेंगे। एफटीए के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापार प्रवाह बढ़ाने, निवेश संबंधों को और मजबूत बनाने तथा आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
इससे पहले,एफटीए के पहले दौर की वार्ता मई में नई दिल्ली में आयोजित हुई थी, जहाँ भारत और न्यूजीलैंड ने आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देने के लिए व्यापक चर्चा की थी। दूसरे दौर की वार्ता ने उस गति को और आगे बढ़ाया। इस बार की बैठक में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति देखने को मिली,जिनमें सामान और सेवाओं का व्यापार,निवेश,मूल-देश के नियम,कस्टम प्रक्रियाएँ,व्यापार को आसान बनाना, तकनीकी बाधाएँ,स्वच्छता और पादप-स्वच्छता उपाय और आर्थिक सहयोग प्रमुख रहे।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि चर्चाओं के दौरान कई विषयों पर जल्द सहमति बनाने की पारस्परिक इच्छा दिखाई गई। भारत और न्यूजीलैंड दोनों ने एक संतुलित,व्यापक और दूरदर्शी मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। अधिकारियों का मानना है कि इस समझौते के लागू होने से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को नई गति मिलेगी और व्यवसायों के लिए एक पूर्वानुमानित और सक्षम वातावरण तैयार होगा।
इस प्रगति का श्रेय मार्च में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक को भी दिया जा रहा है। उस बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने आर्थिक संबंधों को गहरा करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमति जताई थी। उसके बाद से दोनों देशों के बीच वार्ताओं में तेजी आई है और लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
भारत और न्यूजीलैंड के बीच आर्थिक संबंधों की संभावनाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.3 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। यह आँकड़ा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 48.6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है,जो दोनों देशों के बीच मजबूत होती आर्थिक साझेदारी का स्पष्ट संकेत है। वाणिज्य मंत्रालय के विशेषज्ञों के अनुसार,एफटीए लागू होने के बाद यह व्यापारिक प्रवाह और भी तेजी से बढ़ सकता है,जिससे दोनों देशों के व्यवसायों को लाभ मिलेगा।
एफटीए के जरिए न केवल व्यापार प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा,बल्कि निवेश संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। इससे दोनों देशों के लिए आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन बढ़ाने की दिशा में भी नए अवसर खुलेंगे। इसके अलावा,यह समझौता व्यवसायों को एक स्थिर और भरोसेमंद वातावरण प्रदान करेगा,जो बड़े निवेशकों को आकर्षित करने में सहायक साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए यह समझौता खास तौर पर महत्वपूर्ण है,क्योंकि न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पाद,खाद्य प्रसंस्करण और कृषि तकनीक के क्षेत्र में विशेषज्ञता भारतीय बाजार के लिए लाभकारी हो सकती है। वहीं, न्यूजीलैंड के लिए भारत एक विशाल उपभोक्ता बाजार है,जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं।
इस समझौते की शुरुआत वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार एवं निवेश मंत्री टॉड मैक्ले की 16 मार्च को हुई बैठक के दौरान हुई थी। उसी बैठक में एफटीए पर वार्ता को आधिकारिक रूप से शुरू करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद मई में हुए पहले दौर और अब जुलाई में संपन्न दूसरे दौर ने इस समझौते की दिशा में ठोस प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है।
दूसरे दौर की सकारात्मक समाप्ति के बाद अब नजरें सितंबर में न्यूजीलैंड में होने वाली तीसरे दौर की वार्ता पर टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि वहाँ होने वाली चर्चाओं में कुछ अहम मुद्दों पर अंतिम सहमति बन सकती है और यह समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है। एफटीए लागू होने के बाद भारत और न्यूजीलैंड के व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव की उम्मीद की जा रही है,जो दोनों देशों के लिए विकास और समृद्धि के नए अवसर खोलेगा।