मस्कट,18 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत और ओमान के बीच प्रस्तावित फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को लेकर उम्मीदें लगातार बढ़ती जा रही हैं। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है। मस्कट में आयोजित भारत-ओमान बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस एफटीए के लागू होने से टेक्सटाइल,फूड प्रोसेसिंग,ऑटोमोबाइल,ज्वेलरी, एग्रोकेमिकल,रिन्यूएबल एनर्जी और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे अहम क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे। गोयल के मुताबिक,यह समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि निवेश,तकनीक और सप्लाई चेन को भी मजबूती देगा।
पीयूष गोयल ने ओमान को रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण देश बताते हुए कहा कि यह खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी),पूर्वी यूरोप,मध्य एशिया और अफ्रीका के लिए एक प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। ऐसे में ओमान के साथ मजबूत आर्थिक साझेदारी भारतीय कंपनियों को इन बड़े और उभरते बाजारों तक बेहतर पहुँच दिला सकती है। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए भारत वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बन चुका है। इस पृष्ठभूमि में भारत-ओमान एफटीए दोनों देशों के लिए “विन-विन” स्थिति तैयार करेगा।
बिजनेस फोरम में ओमान के वाणिज्य,उद्योग और निवेश प्रोत्साहन मंत्री कैस अल यूसुफ ने भी भारत के साथ बढ़ते आर्थिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ओमान का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है,जो दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और सहयोग को दर्शाता है। अल यूसुफ के अनुसार,ओमान रणनीतिक क्षेत्रों में भारतीय निवेश के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में तेजी से उभर रहा है। उन्होंने बताया कि साल 2020 से अब तक ओमान में भारतीय निवेश तीन गुना से अधिक बढ़कर करीब 5 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह निवेश खासतौर पर ग्रीन स्टील,ग्रीन अमोनिया,एल्युमीनियम निर्माण और लॉजिस्टिक्स जैसे भविष्य के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हुआ है।
Held a productive meeting with H.E. Qais bin Mohammed Al Yousef, Oman’s Minister of Commerce, Industry and Investment Promotion.
We discussed how India & Oman share strong trade & investment ties, with immense potential to further strengthen this partnership under the guidance… pic.twitter.com/vlPbfNsHdM
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) December 17, 2025
ओमान सरकार का मानना है कि भारत के साथ एफटीए से न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा,बल्कि ओमान की अर्थव्यवस्था के विविधीकरण के प्रयासों को भी मजबूती मिलेगी। तेल पर निर्भरता कम करने और नॉन-ऑयल सेक्टर को बढ़ाने की दिशा में ओमान पहले से ही काम कर रहा है और भारतीय कंपनियों की भागीदारी इसमें अहम भूमिका निभा सकती है। वहीं भारत के लिए ओमान पश्चिम एशिया में एक भरोसेमंद साझेदार है,जहाँ से ऊर्जा सुरक्षा,समुद्री व्यापार और निवेश के नए रास्ते खुलते हैं।
इस पूरे परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संभावित ओमान दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। ओमान में ईवाई के टैक्स पार्टनर अल्केश जोशी ने कहा कि पीएम मोदी के दौरे को लेकर ओमान में काफी उम्मीदें हैं और फोकस भारत-ओमान एफटीए पर ही रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस समझौते को लेकर ओमान में गंभीर चर्चा चल रही है और दोनों देश इसे अंतिम रूप देने के काफी करीब नजर आते हैं।
अल्केश जोशी के मुताबिक,मौजूदा समय में भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 10.5 अरब डॉलर का है। जैसे ही एफटीए अमल में आएगा,अगले दो से तीन वर्षों में यह व्यापार दोगुना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों के व्यापारियों,उद्योगों और निवेशकों को समान रूप से फायदा होगा। टैरिफ में कटौती,आसान बाजार पहुँच और निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनने से छोटे और मध्यम उद्यमों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
जोशी ने भारत और ओमान के ऐतिहासिक संबंधों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते कोई नए नहीं हैं,बल्कि हजारों साल पुराने हैं। हाल ही में ओमान में शूर के पास एक गाँव में हड़प्पा सभ्यता के समय की वस्तुएँ मिली हैं,जो इस बात का प्रमाण हैं कि भारत और ओमान के बीच व्यापारिक संपर्क चार से पाँच हजार साल पहले भी मौजूद थे। यह ऐतिहासिक जुड़ाव आज आधुनिक आर्थिक साझेदारी के रूप में फिर से मजबूत हो रहा है।
भारत-ओमान एफटीए को दोनों देशों के रिश्तों में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह समझौता न केवल व्यापार के आँकड़ों को बढ़ाएगा,बल्कि ऊर्जा,हरित प्रौद्योगिकी,विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग की नींव भी रखेगा। बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में,जहाँ सप्लाई चेन और रणनीतिक साझेदारियों का महत्व बढ़ता जा रहा है,भारत और ओमान का यह कदम भविष्य की चुनौतियों और अवसरों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता दिख रहा है।
