नई दिल्ली,6 दिसंबर (युआईटीवी)- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत पहुँचे,जहाँ उन्होंने 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देने के साथ-साथ व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में गहरी साझेदारी को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर बनी। 04 दिसंबर को नई दिल्ली पहुँचने के बाद पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विस्तृत बातचीत की और कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया। यात्रा के दूसरे दिन यानी 5 दिसंबर को दोनों नेता भारत मंडपम में आयोजित भारत-रूस बिजनेस फोरम में शामिल हुए,जहाँ भविष्य की व्यापारिक रणनीति पर केंद्रित व्यापक चर्चा हुई।
फोरम की शुरुआत ही एक सकारात्मक संकेत के साथ हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारत-रूस के गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने घोषणा की कि भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है,लेकिन मौजूदा संभावनाओं और आपसी प्रयासों को देखते हुए यह लक्ष्य निर्धारित समय से पहले ही हासिल किया जा सकता है। मोदी ने बताया कि टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं को लगातार कम किया जा रहा है,जिससे व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन की भारत यात्रा को ‘महत्वपूर्ण और फलदायी’ बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतिन की इस फोरम में बड़ी प्रतिनिधिमंडल के साथ उपस्थिति दोनों देशों के बीच साझेदारी की मजबूती का प्रतीक है। उन्होंने रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक और भरोसेमंद संबंधों को याद करते हुए कहा कि किसी भी साझेदारी की नींव परस्पर विश्वास होती है और भारत-रूस संबंधों का यही विश्वास आज उनकी सबसे बड़ी ताकत है। मोदी ने यह भी जानकारी दी कि भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू हो चुकी है,जो आने वाले समय में दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और सुदृढ़ करेगा।
फोरम के मंच पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत मोदी के नेतृत्व में स्वतंत्र और संप्रभु नीति पर चल रहा है और इसके शानदार परिणाम दुनिया देख रही है। पुतिन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज विकास दर को “अभूतपूर्व” बताते हुए कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में अग्रणी स्थान पर है।
पुतिन ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की भी विशेष प्रशंसा की और कहा कि इस पहल ने भारत को तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत का आईटी और फार्मा सेक्टर आज विश्व में प्रमुख स्थान हासिल कर चुका है। उनके अनुसार,डिजिटल टेक्नोलॉजी,रक्षा,ऊर्जा,अंतरिक्ष और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग नए आयाम प्राप्त कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता का एक मुख्य केंद्र व्यापार को बढ़ावा देना था। पिछले कुछ वर्षों में रूस-भारत व्यापार में विशेषकर ऊर्जा,रक्षा,फार्मा, कृषि और तकनीक जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारतीय कंपनियाँ रूसी बाजार में नए अवसर तलाश रही हैं,जबकि रूस भारत में निवेश को लेकर आशावादी है। दोनों नेताओं ने इस पर विशेष जोर दिया कि द्विपक्षीय व्यापार का ढाँचा सिर्फ वस्तुओं तक सीमित न रहे,बल्कि इसमें सेवाएँ,तकनीकी सहयोग और संयुक्त औद्योगिक परियोजनाएँ भी शामिल हों।
भारत-रूस बिजनेस फोरम में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। भारतीय और रूसी कंपनियों के बीच कई संभावित निवेश परियोजनाओं पर चर्चा हुई। यह फोरम दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों को एक साझा प्लेटफॉर्म प्रदान करने और आपसी सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
पुतिन की इस यात्रा के माध्यम से दुनिया को यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत और रूस के संबंध लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। जहाँ अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं,वहीं भारत-रूस साझेदारी स्थिरता और परस्पर सम्मान पर आधारित है। रूस के साथ भारत के संबंध रक्षा सहयोग से लेकर ऊर्जा सुरक्षा तक विस्तृत दायरे में फैले हैं। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने अंतरिक्ष अनुसंधान,आर्कटिक परियोजनाओं,आटोमोबाइल पार्ट्स,खाद्यान्न व्यापार और फार्मा क्षेत्र में भी नई संभावनाएँ तलाशनी शुरू की हैं।
भारत-रूस व्यापार में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण ऊर्जा क्षेत्र में गहरा सहयोग है। रूस से कच्चे तेल की खरीद से न केवल भारत को स्थिर ऊर्जा आपूर्ति मिली है,बल्कि इससे व्यापारिक संतुलन भी तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही रूस में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति भी लगातार बढ़ रही है।
द्विपक्षीय व्यापार के लिए बनाए गए 100 अरब डॉलर के लक्ष्य पर बात करते हुए पुतिन ने भी विश्वास जताया कि यह लक्ष्य समय से पहले ही पूरा होगा। उन्होंने कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं में पूरकता है और यह पूरकता व्यापारिक सहयोग के नए चरणों की ओर संकेत करती है।
भारत मंडपम में आयोजित यह फोरम सिर्फ आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं रहा,बल्कि यह दोनों देशों के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी का भी प्रतीक बना। पुतिन ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि भारत आज वैश्विक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और रूस भारत के इस उदय का स्वागत करता है। मोदी ने भी पुतिन के साथ अपनी निजी मित्रता और कार्य संबंधों को याद करते हुए कहा कि दोनों देश आने वाले समय में और अधिक मजबूत साझेदारी की ओर बढ़ेंगे।
पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों में एक और ऐतिहासिक पड़ाव बनकर सामने आई है। व्यापार,तकनीक,रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में हुई चर्चाएँ आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाली हैं। यह स्पष्ट है कि भारत और रूस एक ऐसे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जहाँ आपसी विश्वास और आर्थिक सहयोग का दायरा पहले से कहीं अधिक विस्तृत होगा।
