नई दिल्ली,14 मई (युआईटीवी)- भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किए जाने के बाद,देश की प्रमुख व्यापारिक संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बड़ा कदम उठाया है। कैट ने बुधवार को सभी भारतीय व्यापारियों और नागरिकों से तुर्की और अजरबैजान की यात्रा का बहिष्कार करने की अपील की है।
कैट का कहना है कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर तुर्की और अजरबैजान की भूमिका निंदनीय रही है। दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर और सार्वजनिक बयानों के माध्यम से पाकिस्तान का पक्ष लिया,जिससे भारतीय नागरिकों की भावनाओं को ठेस पहुँची है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि भारत विरोधी रुख अपनाने वाले देशों को आर्थिक तौर पर जवाब देना जरूरी है और इसके लिए नागरिकों को उनके पर्यटन स्थलों का बहिष्कार करना चाहिए।
प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जैसे चीन के खिलाफ उत्पादों के बहिष्कार से बड़ा असर पड़ा था,वैसे ही तुर्की और अजरबैजान की अर्थव्यवस्था पर भी भारतीयों के पर्यटन बहिष्कार से गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। कैट द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक,साल 2024 में तुर्की में कुल 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक आए,जिनमें लगभग 3 लाख भारतीय शामिल थे।
यदि प्रत्येक भारतीय पर्यटक तुर्की में औसतन 972 डॉलर खर्च करता है,तो कुल 291.6 मिलियन डॉलर का व्यय होता है। ऐसे में भारतीय पर्यटकों द्वारा तुर्की की यात्रा बंद करने से देश को सीधे 291.6 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कैट का यह भी कहना है कि भारत से तुर्की में होने वाली डेस्टिनेशन वेडिंग,कॉर्पोरेट इवेंट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रद्द होने से अप्रत्यक्ष नुकसान कहीं अधिक हो सकता है।
साल 2024 में अजरबैजान में आए 2.6 मिलियन विदेशी पर्यटकों में लगभग 2.5 लाख भारतीय थे। हर भारतीय पर्यटक ने औसतन 1,276 डॉलर खर्च किए। इस तरह भारतीयों ने कुल मिलाकर अजरबैजान में लगभग 308.6 मिलियन डॉलर खर्च किए, जो देश की पर्यटन आय में महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
यदि भारतीय पर्यटक अजरबैजान की यात्रा बंद कर देते हैं,तो वहाँ की पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष नुकसान होगा।
कैट ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ एक अपील नहीं है,बल्कि व्यापक स्तर पर एक अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके तहत ट्रैवल एजेंट्स,टूर ऑपरेटर्स और अन्य संबंधित हितधारकों से बातचीत की जाएगी,ताकि तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार को व्यवस्थित रूप से लागू किया जा सके।
खंडेलवाल ने कहा कि भारत के नागरिकों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि उनका पैसा उन देशों में नहीं जाना चाहिए,जो भारत के विरोधियों का समर्थन करते हैं। यह सिर्फ राष्ट्रवाद का मामला नहीं है,बल्कि यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी रणनीतिक निर्णय है।
इस बीच,तुर्की के अंकारा स्थित पर्यटन विभाग ने भारतीयों से अपनी यात्रा जारी रखने का आग्रह किया है। विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि स्थानीय जनसंख्या भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष से अनजान है और इसका न तो उनके दैनिक जीवन पर और न ही पर्यटन पर कोई असर है। उन्होंने भारतीयों को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि तुर्की अब भी पर्यटकों के लिए सुरक्षित और स्वागत योग्य देश है।
हाल के वर्षों में भारत ने आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए विदेश नीति में सख्ती दिखाई है। चाहे वह चीन के उत्पादों का बहिष्कार हो या अब तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ आर्थिक दवाब की रणनीति,भारत यह संकेत दे रहा है कि वह अब सिर्फ सैन्य या कूटनीतिक जवाब नहीं,बल्कि जनता के सहयोग से आर्थिक दबाव बनाने में भी सक्रिय है।
तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार का आह्वान एक भावनात्मक कदम से कहीं बढ़कर है। यह एक आर्थिक रणनीति है,जो यह दिखाती है कि भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। कैट की यह मुहिम अगर व्यापक समर्थन पाती है,तो यह इन देशों को अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए विवश कर सकती है। समय बताएगा कि इस मुहिम का क्या असर होता है,लेकिन इतना निश्चित है कि भारत अब अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान को मजबूती से प्रस्तुत कर रहा है।
