पीयूष गोयल और पीएम कीर स्टारमर की मुलाकात से मजबूत हुई आर्थिक साझेदारी (तस्वीर क्रेडिट@PiyushGoyal)

भारत-ब्रिटेन व्यापार संबंधों में नई ऊर्जा: पीयूष गोयल और पीएम कीर स्टारमर की मुलाकात से मजबूत हुई आर्थिक साझेदारी

मुंबई,9 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक साझेदारी और व्यापारिक सहयोग को नई गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ उनकी मुलाकात ने दोनों देशों के बीच आपसी समृद्धि के लिए व्यापार और आर्थिक साझेदारी को मजबूत किया है। यह मुलाकात भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) को लागू करने की दिशा में भी एक अहम पड़ाव मानी जा रही है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर बुधवार को दो दिवसीय भारत दौरे पर पहुँचे थे। उनके साथ ब्रिटेन का अब तक का सबसे बड़ा व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी आया था,जिसमें वित्त,टेक्नोलॉजी,शिक्षा,ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रमुख कारोबारी और निवेशक शामिल थे। यह यात्रा भारत-यूके के बीच गहराते आर्थिक और रणनीतिक संबंधों की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखी जा रही है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर जानकारी दी कि उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से बेहद सार्थक बातचीत की। उन्होंने लिखा, “ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मुलाकात कर खुशी हुई। हम दोनों ने आपसी समृद्धि और साझा विकास के लिए भारत-ब्रिटेन व्यापार और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की।” गोयल ने आगे कहा कि दोनों देश व्यापार और निवेश को नई ऊँचाई तक पहुँचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

इससे पहले,वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन के बिजनेस और ट्रेड मिनिस्टर पीटर काइल के साथ भी विस्तृत बैठक की थी। इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) के शीघ्र कार्यान्वयन पर जोर दिया। मंत्रालय के बयान के अनुसार,बैठक में 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की साझा महत्वाकांक्षा को लेकर भी सहमति बनी।

वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “भारत और ब्रिटेन ने संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (जेटको) को पुनर्गठित करने पर सहमति जताई है,ताकि सीईटीए के कार्यान्वयन और क्रियान्वयन की निगरानी प्रभावी रूप से की जा सके। दोनों पक्षों ने इस समझौते के तेज,समन्वित और परिणामोन्मुखी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।”

बैठक में यह भी सहमति बनी कि दोनों देश एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग,डिजिटल ट्रेड,क्लीन एनर्जी और सर्विस सेक्टर जैसे क्षेत्रों में पूरकताओं का लाभ उठाएँगे। इससे न केवल व्यापारिक अवसर बढ़ेंगे,बल्कि दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच तकनीकी सहयोग और नवाचार को भी बल मिलेगा। भारत और ब्रिटेन ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य की पुनः पुष्टि करते हुए इसे “नए युग की आर्थिक साझेदारी” का आधार बताया।

सीईटीए समझौते को लेकर दोनों देशों के मंत्रियों ने कहा कि यह न केवल व्यापारिक करों और निवेश प्रतिबंधों को कम करेगा,बल्कि नियामक सहयोग और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन के माध्यम से व्यापार को अधिक सुगम बनाएगा। बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गैर-टैरिफ बाधाओं को खत्म कर व्यवसायों को समान अवसर प्रदान किए जाएँ।

इस बीच, वाणिज्य सचिव और महानिदेशक स्तर पर भी एक उत्पादक बैठक हुई,जिसने मंत्रिस्तरीय बैठक की दिशा तय की। इन चर्चाओं को “उत्साहजनक और दूरदर्शी” बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि इसने आने वाले वर्षों के लिए भारत-यूके आर्थिक संबंधों की मजबूत नींव रखी है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की यह भारत यात्रा ब्रिटेन की “ग्लोबल ब्रिटेन” रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है,जिसके तहत ब्रिटेन एशिया के तेजी से बढ़ते बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहता है। वहीं, भारत भी अपनी “मेक इन इंडिया” और “न्यू इंडिया @2047” जैसी पहलों के तहत विदेशी निवेश को आकर्षित करने और वैश्विक साझेदारियों को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। दोनों देशों की यह समान सोच इस साझेदारी को और गहरा बनाती है।

द्विपक्षीय बैठक से पहले कई क्षेत्रीय गोलमेज चर्चाएँ भी आयोजित की गईं,जिनमें एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर गुड्स, फूड और ड्रिंक, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन,निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा वित्तीय, प्रोफेशनल और बिजनेस सर्विसेज (आईटी/आईटीईएस, शिक्षा और इंजीनियरिंग सहित) को भी प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया।

इन गोलमेज चर्चाओं में उद्योग जगत के नेताओं और सरकारी प्रतिनिधियों ने निवेश और सहयोग के नए अवसरों पर विचार-विमर्श किया। ब्रिटिश व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने भारत में चल रही आर्थिक सुधारों और व्यापारिक माहौल में सुधार की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल इकोनॉमी और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश की अपार संभावनाएँ हैं। वहीं भारतीय प्रतिनिधियों ने ब्रिटेन को एक प्रमुख निर्यात बाजार और तकनीकी साझेदार के रूप में महत्व दिया।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच यह साझेदारी “पारंपरिक व्यापारिक संबंधों से आगे बढ़कर” एक ऐसे युग की शुरुआत कर रही है, जहाँ नवाचार, सतत विकास और पारदर्शिता केंद्र में हैं। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों का मूल्य वर्तमान में लगभग 36 अरब डॉलर है,जिसे अगले पाँच वर्षों में 70 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी अपने बयान में कहा कि भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं,बल्कि यह विश्वास,साझा मूल्यों और लोकतांत्रिक आदर्शों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की साझेदारी आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन,डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और स्किल डेवलपमेंट जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी निर्णायक भूमिका निभाएगी।

पीयूष गोयल और कीर स्टारमर की मुलाकात ने भारत-ब्रिटेन संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। यह बैठक न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही,बल्कि इसने यह भी संकेत दिया कि दोनों लोकतंत्र आने वाले दशक में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को आकार देने में एक संयुक्त भूमिका निभा सकते हैं। भारत और ब्रिटेन की यह साझेदारी वैश्विक मंच पर सहयोग,नवाचार और साझा विकास का एक नया अध्याय लिखने जा रही है।