नई दिल्ली,22 अगस्त (युआईटीवी)- भारत एक बार फिर अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इतिहास में अपनी उपलब्धियों का उत्सव मनाने जा रहा है। शनिवार को देश दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाएगा। यह दिन भारत की उस लंबी यात्रा का प्रतीक है,जो सैटेलाइट लॉन्चिंग से शुरू होकर अब मानव अंतरिक्ष उड़ान के मिशन तक पहुँच चुकी है। इस अवसर पर देश न केवल अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों का जश्न मनाएगा बल्कि आने वाले समय में अंतरिक्ष क्षेत्र की अनंत संभावनाओं की ओर बढ़ने का संकल्प भी दोहराएगा।
इस अवसर को खास बनाते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। इस उपलब्धि के साथ भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बना,जिसने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने में सफलता पाई और दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला पहला देश बना। यह क्षण केवल तकनीकी सफलता ही नहीं बल्कि भविष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देने वाला मील का पत्थर भी था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत की उस असाधारण यात्रा का उत्सव है,जो सैटेलाइट लॉन्चिंग से शुरू हुई और आज मानव अंतरिक्ष उड़ान तक पहुँच गई। यह दिन भारत की क्षमताओं,वैज्ञानिक दृष्टिकोण और दूरदर्शिता का प्रतीक होगा। उन्होंने आगे कहा कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आने वाले समय में देश के आर्थिक और तकनीकी विकास को एक नई ऊँचाई पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम हमेशा से आत्मनिर्भरता,नवाचार और वैश्विक सहयोग का उदाहरण रहा है। वर्ष 2020 में सरकार ने ऐतिहासिक अंतरिक्ष सुधारों की घोषणा की थी,जिसके बाद भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए खोला गया। इन सुधारों का ही परिणाम है कि आज भारत में 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप्स सक्रिय हैं, जो नई तकनीकों,रॉकेट लॉन्चिंग और सैटेलाइट सिस्टम के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
इन्हीं सुधारों के तहत सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) का गठन किया,जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करना था। इन-स्पेस ने अब तक कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और भारतीय स्टार्टअप्स को सब-ऑर्बिटल फ्लाइट्स लॉन्च करने में मदद की है। नवंबर 2022 और मई 2024 में भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा की गई दो सफल सब-ऑर्बिटल फ्लाइट्स इसका उदाहरण हैं। यही नहीं,इसरो और अन्य गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) ने मिलकर चौदह सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक ऑर्बिट में स्थापित किया है,जिसने भारत की अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत किया है।
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक प्रेस वार्ता में बताया कि गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन का पहला मानवरहित मिशन,जी1, दिसंबर में लॉन्च होने के लिए तैयार है। इस मिशन में अर्ध-मानव रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। गगनयान मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक होगा,क्योंकि यह देश की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी। इसके लिए भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित चुनिंदा अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का नाम पहले ही इतिहास में दर्ज हो चुका है। उन्होंने हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर एक सफल मिशन पूरा किया,जो किसी भी भारतीय द्वारा किया गया पहला मिशन था। उनकी उपलब्धि ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक नई पहचान दी है और आने वाले गगनयान मिशन के लिए उम्मीदों को और ऊँचा किया है।
इसरो प्रमुख ने यह भी जानकारी दी कि हाल ही में लॉन्च किया गया नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट (निसार) पूरी तरह से ठीक है और सभी सिस्टम सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। निसार भारत और अमेरिका की साझेदारी का प्रतीक है,जो धरती के अध्ययन,जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब केवल वैज्ञानिक शोध तक सीमित नहीं है,बल्कि यह देश की आर्थिक प्रगति और रणनीतिक मजबूती का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सैटेलाइट तकनीक से लेकर टेलीकॉम,कृषि,शिक्षा,मौसम पूर्वानुमान और रक्षा क्षेत्र तक,अंतरिक्ष विज्ञान का सीधा असर देश के हर नागरिक के जीवन पर पड़ रहा है। यही कारण है कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का उत्सव केवल वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं,बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है।
दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत की उस दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है,जिसने देश को अंतरिक्ष विज्ञान की ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। चंद्रयान से लेकर गगनयान तक की यह यात्रा न केवल तकनीकी उपलब्धि है,बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने की ओर बढ़ता हुआ ठोस कदम भी है। यह दिन आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि भारत के लिए आकाश ही सीमा नहीं है,बल्कि उससे भी आगे अनंत संभावनाएँ मौजूद हैं।