चंडीगढ़,26 सितंबर (युआईटीवी)- भारतीय वायुसेना के सबसे पुराने और चर्चित फाइटर जेट मिग-21 ने आखिरकार सेवा से विदाई ले ली। चंडीगढ़ में आयोजित एक भव्य और भावुक समारोह में इस ऐतिहासिक विमान को आधिकारिक रूप से रिटायर कर दिया गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे और उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनकर मिग-21 के गौरवशाली इतिहास को सलाम किया। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान,थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी मौजूद थे। यह समारोह न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक भावनात्मक पल था,क्योंकि मिग-21 केवल एक लड़ाकू विमान नहीं था,बल्कि यह भारत की सैन्य शक्ति,आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक बन चुका था।
रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर इस अवसर को यादगार शब्दों में साझा किया। मंत्रालय ने लिखा, “हम तुम्हें याद रखेंगे,मिग-21। भारतीय वायुसेना के महान प्रतीक और इस निडर योद्धा ने अपनी वीरता की छाप पीढ़ियों तक बनाए रखी है। इसकी अंतिम उड़ान एक ऐतिहासिक युग के अंत का प्रतीक है। भारतीय वायुसेना गर्व के साथ इसकी विरासत का जश्न मनाती है और साथ ही नवाचार और सामर्थ्य के नए अध्याय की शुरुआत करती है।”
मिग-21 की यात्रा भारतीय वायुसेना में वर्ष 1963 से शुरू हुई थी। पहला स्क्वाड्रन चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था और तभी से इसने भारतीय आकाश की रक्षा का जिम्मा अपने कंधों पर लिया। सोवियत संघ से आए इस विमान को भारतीय पायलटों ने बेहद तेजी से अपनाया और अपनी अद्भुत क्षमता के बल पर इसे देश का भरोसेमंद हथियार बना दिया। मिग-21 को भारतीय वायुसेना में शामिल करने का निर्णय उस दौर में लिया गया,जब भारत को एक ऐसे लड़ाकू विमान की सख्त जरूरत थी,जो न केवल आधुनिक हो,बल्कि युद्ध के मैदान में निर्णायक साबित हो सके।
1965 के भारत-पाक युद्ध में मिग-21 की भूमिका सीमित जरूर रही,लेकिन इसके बाद 1971 के युद्ध में इसका योगदान ऐतिहासिक रहा। उस युद्ध में मिग-21 ने पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय वायुसेना को हवाई श्रेष्ठता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके दम पर भारत ने पाकिस्तान के कई रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया और अपनी सैन्य बढ़त को मजबूत किया। 1971 की विजय के साथ ही मिग-21 ने खुद को एक विश्वसनीय और सक्षम लड़ाकू विमान के रूप में स्थापित कर लिया।
इसके बाद कारगिल युद्ध में भी मिग-21 की गरज आसमान में सुनाई दी। कठिन और दुर्गम परिस्थितियों में इस विमान ने दुश्मन को मात देने और भारतीय सैनिकों की मदद करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपनी तेज गति,साधारण संरचना और आसान ऑपरेशन के कारण यह विमान हमेशा से कमांडरों और पायलटों की पहली पसंद रहा।
मिग-21 केवल युद्धों का ही हिस्सा नहीं रहा,बल्कि यह भारतीय वायुसेना की पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गया। दशकों तक यह भारत की हवाई ताकत का प्रतीक रहा। इसकी गड़गड़ाहट केवल युद्धक्षेत्र तक सीमित नहीं थी,बल्कि यह राष्ट्र के आत्मविश्वास और शक्ति का भी प्रतीक बन चुकी थी। कई फिल्मों और कहानियों में मिग-21 को दिखाया गया,जिसने इसे आम लोगों के दिलों तक पहुँचा दिया।
छह दशकों से अधिक समय तक आकाश की रक्षा करने वाले इस फाइटर जेट के साथ अब भारतीय वायुसेना ने एक युग का अंत कर दिया है। हालाँकि,समय के साथ तकनीकी चुनौतियों और सुरक्षा कारणों के चलते मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से सेवा से हटाना जरूरी हो गया था। अब जब यह औपचारिक रूप से रिटायर हो चुका है,तो इसकी जगह आधुनिक और अत्याधुनिक विमानों ने ले ली है,लेकिन मिग-21 का योगदान और उसकी यादें हमेशा भारतीय वायुसेना और राष्ट्र के इतिहास का गौरवशाली हिस्सा बनी रहेंगी।
चंडीगढ़ में हुए इस समारोह में जब मिग-21 ने अपनी अंतिम उड़ान भरी,तो वहाँ मौजूद हर व्यक्ति की आँखें नम हो उठीं। यह केवल एक विमान की विदाई नहीं थी,बल्कि उन अनगिनत कहानियों,वीरता और संघर्ष की याद थी,जो इस विमान से जुड़ी रही हैं। मिग-21 ने भारत के लिए जो योगदान दिया है,वह हमेशा अमर रहेगा। आज भले ही यह विमान सेवा से बाहर हो गया हो,लेकिन इसकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
भारतीय वायुसेना ने मिग-21 को सलामी देकर यह संदेश दिया कि एक युग भले ही समाप्त हुआ हो,लेकिन उसकी गौरवशाली गाथा हमेशा देश के दिलों में जिंदा रहेगी।