वाशिंगटन,4 सितंबर (युआईटीवी)- भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को और मजबूत बनाने की दिशा में कूटनीतिक प्रयास लगातार जारी हैं। इसी क्रम में हाल ही में भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा ने अमेरिकी सांसद और प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी मीक्स से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है,जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर प्रतिकूल असर डालना शुरू कर दिया है।
इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से सामने आई। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी डेमोक्रेट्स की ओर से किए गए पोस्ट में बताया गया कि ग्रेगरी मीक्स ने इस दौरान भारत-अमेरिका साझेदारी के बीते 25 वर्षों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा इस साझेदारी का समर्थन किया है,विशेष रूप से क्वाड जैसे मंचों के माध्यम से। मीक्स ने जोर देकर कहा कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनाई गई मनमानी टैरिफ नीतियाँ इस महत्वपूर्ण संबंध को नुकसान पहुँचा सकती हैं। उन्होंने भारत के साथ गहरे संबंधों को बरकरार रखने और उन्हें और आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
राजदूत विनय क्वात्रा ने भी अपने आधिकारिक अकाउंट से जानकारी साझा करते हुए बताया कि उन्हें सांसद मीक्स से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। क्वात्रा ने लिखा कि यह चर्चा द्विपक्षीय संबंधों में हाल के घटनाक्रमों और आगे की संभावनाओं पर केंद्रित रही। बातचीत में व्यापार,ऊर्जा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और आपसी हितों से जुड़े व्यापक मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।
यह भी गौर करने योग्य है कि ग्रेगरी मीक्स लंबे समय से भारत के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी पर पहले भी नाराजगी जताई थी। अगस्त की शुरुआत में मीक्स ने कहा था कि इस तरह की दंडात्मक नीतियाँ बीते कई दशकों से किए गए प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं,जिनके जरिए भारत और अमेरिका ने एक मजबूत साझेदारी विकसित की है। उनका मानना है कि दोनों देशों को किसी भी प्रकार की चिंता का समाधान आपसी सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप करना चाहिए।
भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में व्यापारिक तनाव बढ़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप लगाया और इसके जवाब में भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला किया। इतना ही नहीं,ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल से मुनाफाखोरी करने का भी आरोप लगाया। हालाँकि,भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी ऊर्जा नीति में कोई बदलाव नहीं किया और रूस से तेल खरीदना जारी रखा। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिकी माँगों को अनुचित और अन्यायपूर्ण हैं और वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।
भारत का यह रुख दर्शाता है कि वह वैश्विक दबाव के बावजूद अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम है। अमेरिका की चिंताओं के बावजूद भारत ने अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि हाल के दिनों में कई अमेरिकी सांसदों ने भारत के प्रति समर्थन जताते हुए ट्रंप प्रशासन की आलोचना की है। सांसद मीक्स का यह बयान भी इसी समर्थन का हिस्सा है,जिसमें उन्होंने कहा था कि टैरिफ की नीति न केवल व्यापार को प्रभावित करती है,बल्कि रणनीतिक साझेदारी की जड़ों को भी कमजोर कर सकती है।
विनय क्वात्रा की कूटनीतिक सक्रियता इन परिस्थितियों में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। ग्रेगरी मीक्स से मुलाकात से पहले उन्होंने फ्लोरिडा से रिपब्लिकन सांसद कैट कैमैक से भी बातचीत की थी। उस बैठक में साझा मूल्यों और लोकतांत्रिक आधार पर आधारित द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह लगातार बातचीत यह दिखाती है कि भारत अमेरिकी सांसदों के साथ निरंतर संवाद के जरिए अपने पक्ष को स्पष्ट करने और सहयोग को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती केवल व्यापार तक सीमित नहीं है,बल्कि यह रणनीतिक और क्षेत्रीय सुरक्षा हितों से भी जुड़ी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए भारत और अमेरिका दोनों की साझेदारी और भी अहम हो गई है। ऐसे में टैरिफ विवाद दोनों देशों के साझा हितों को कमजोर कर सकता है। यही वजह है कि भारतीय राजदूत की अमेरिकी सांसदों से मुलाकातें केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं हैं,बल्कि इसमें सुरक्षा,ऊर्जा और वैश्विक रणनीतिक संतुलन से जुड़े विषय भी शामिल हैं।
ग्रेगरी मीक्स और अन्य अमेरिकी सांसदों के समर्थन से यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी राजनीतिक तंत्र में भी भारत को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण मौजूद है। हालाँकि,राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियाँ फिलहाल चुनौतियाँ पैदा कर रही हैं,लेकिन कांग्रेस और अन्य संस्थाओं से मिले समर्थन से यह उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर बनाए रखा जाएगा।
विनय क्वात्रा और ग्रेगरी मीक्स की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है,जब भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में आर्थिक तनाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है,लेकिन सांसद मीक्स जैसे नेताओं की सक्रियता और भारत के प्रति झुकाव यह दिखाता है कि दोनों देशों की साझेदारी इतनी गहरी है कि उसे अस्थायी चुनौतियों से नुकसान नहीं पहुँचाया जा सकता। आने वाले समय में इस तरह की उच्चस्तरीय मुलाकातें दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती देंगी और आपसी विश्वास को और गहरा करेंगी।
