अदाणी पावर लिमिटेड (तस्वीर क्रेडिट@InvGurInd)

भारत की ऊर्जा क्रांति की नई छलांग: अदाणी समूह ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में किया ऐतिहासिक प्रवेश,बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा बीईएसएस प्रोजेक्ट

अहमदाबाद,11 नवंबर (युआईटीवी)- भारत की ऊर्जा यात्रा में एक नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। देश के प्रमुख औद्योगिक समूहों में से एक,अदाणी समूह ने मंगलवार को बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) सेक्टर में प्रवेश की औपचारिक घोषणा की। यह घोषणा न केवल अदाणी समूह के लिए बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस परियोजना के तहत समूह 1,126 मेगावाट/3,530 मेगावाट-घंटे (एमडब्ल्यूएच) की क्षमता वाले विशाल बीईएसएस प्रोजेक्ट का विकास करेगा,जिसे मार्च 2026 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।

अदाणी समूह के अनुसार,इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत 700 से अधिक अत्याधुनिक बीईएसएस कंटेनर स्थापित किए जाएँगे,जिससे यह न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-लोकेशन बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट बन जाएगा। इस प्रोजेक्ट की ऊर्जा उत्पादन क्षमता 1,126 मेगावाट और ऊर्जा भंडारण क्षमता 3,530 मेगावाट-घंटे होगी। यह आँकड़ा इस परियोजना को वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में एक नई मिसाल बनाता है।

अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने इस ऐतिहासिक पहल पर कहा, “एनर्जी स्टोरेज,नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य की नींव है। इस परियोजना के माध्यम से हम केवल तकनीकी प्रगति नहीं कर रहे हैं,बल्कि भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर रहे हैं। यह पहल हमें बड़े पैमाने पर विश्वसनीय,स्वच्छ और किफायती ऊर्जा समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।” गौतम अदाणी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि समूह नवीकरणीय ऊर्जा और स्थायी विकास के क्षेत्र में भारत को वैश्विक मानचित्र पर अग्रणी बनाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।

बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) को ऊर्जा क्षेत्र का भविष्य माना जा रहा है,क्योंकि यह सौर और पवन जैसे अस्थिर ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन और खपत के बीच संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद भारत की ग्रिड स्थिरता,ऊर्जा दक्षता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा। अदाणी समूह ने बताया कि बीईएसएस का यह विशाल ढाँचा पीक लोड दबाव को कम करेगा,ट्रांसमिशन जाम की समस्या को घटाएगा और सौर ऊर्जा की बर्बादी को रोकने में मदद करेगा।

कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना गुजरात के कच्छ जिले के खावड़ा में विकसित की जा रही है,वही क्षेत्र जहाँ अदाणी समूह दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहा है। इस बीईएसएस परियोजना को अत्याधुनिक लिथियम-आयन बैटरी तकनीक से विकसित किया जा रहा है और इसे एक उन्नत ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली (एडवांस एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम) के साथ एकीकृत किया जाएगा,ताकि इसकी दीर्घकालिक विश्वसनीयता और प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।

इस पहल से भारत को 24 घंटे स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। अदाणी समूह ने कहा कि यह परियोजना न केवल बिजली क्षेत्र को स्थिर बनाएगी,बल्कि पीक लोड मैनेजमेंट और एनर्जी शिफ्टिंग जैसे क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। इस सिस्टम के जरिये अतिरिक्त उत्पन्न ऊर्जा को स्टोर किया जा सकेगा और जरूरत पड़ने पर ग्रिड में पुनः आपूर्ति की जा सकेगी। यह भारत के बिजली तंत्र को कार्बन-मुक्त करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार,यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। वर्तमान में भारत तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है,लेकिन सौर और पवन ऊर्जा के अस्थिर उत्पादन की वजह से ग्रिड पर लोड बैलेंसिंग की चुनौती बनी रहती है। ऐसे में बीईएसएस प्रोजेक्ट उस कमी को पूरा करने का सबसे प्रभावी समाधान साबित होगा।

अदाणी समूह की योजना यहीं तक सीमित नहीं है। कंपनी ने यह भी घोषणा की है कि मार्च 2027 तक वह 15 गीगावाट-घंटा अतिरिक्त बीईएसएस क्षमता स्थापित करने की दिशा में काम करेगी। समूह का दीर्घकालिक लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में कुल 50 गीगावाट-घंटा ऊर्जा भंडारण क्षमता हासिल करना है। यदि यह लक्ष्य पूरा होता है,तो भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा,जिनके पास विशाल ऊर्जा भंडारण बुनियादी ढाँचा मौजूद है।

इस कदम के साथ अदाणी समूह ने वैश्विक ऊर्जा दिग्गजों की श्रेणी में प्रवेश कर लिया है,जो बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण अवसंरचना में निवेश कर रहे हैं। यह परियोजना न केवल भारत की घरेलू ऊर्जा माँग को पूरा करने में सहायक होगी,बल्कि भविष्य में ऊर्जा निर्यात की दिशा में भी रास्ता खोल सकती है।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने भी “नेशनल एनर्जी स्टोरेज मिशन” के तहत इस क्षेत्र को प्राथमिकता दी है,ताकि देश 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल कर सके। अदाणी समूह की यह पहल सरकारी रणनीति के साथ पूरी तरह मेल खाती है और यह दर्शाती है कि निजी क्षेत्र इस मिशन को आगे बढ़ाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना के पूरा होने से न केवल भारत की ऊर्जा आपूर्ति संरचना अधिक विश्वसनीय बनेगी,बल्कि यह देश की आर्थिक वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन को भी नई गति देगी। साथ ही,स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की वैश्विक छवि को भी मजबूत करेगी।

अदाणी समूह का यह कदम केवल एक कॉर्पोरेट विस्तार नहीं,बल्कि भारत की ऊर्जा क्रांति की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है। यह परियोजना आने वाले वर्षों में देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ विश्व मंच पर भारत को नवीकरणीय ऊर्जा शक्ति के रूप में स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।