नई दिल्ली,31 मई (युआईटीवी)- भारत सरकार एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सक्रिय हुई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में खतरों की बढ़ती संभावना को ध्यान में रखते हुए शनिवार,31 मई को भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत एक व्यापक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। यह अभ्यास शाम 5 बजे से शुरू होगा और इसका मुख्य उद्देश्य सीमा पार से होने वाले संभावित हमलों या आपदाओं से निपटने की तैयारी और समन्वय को परखना है।
यह मॉक ड्रिल पंजाब,राजस्थान,गुजरात,जम्मू-कश्मीर,हरियाणा और चंडीगढ़ में आयोजित की जा रही है। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पाकिस्तान के साथ सीमा लगती है और ये भू-राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माने जाते हैं। खासकर वे जिले जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट हैं,इस अभ्यास का केंद्र बिंदु होंगे।
गौरतलब है कि पहले यह अभ्यास 29 मई को आयोजित होने वाला था,लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसकी तारीख को पुनर्निर्धारित किया गया। अब इसे 31 मई को आयोजित किया जा रहा है,ताकि तैयारी और समन्वय को बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सके।
‘ऑपरेशन शील्ड’ एक रणनीतिक नागरिक सुरक्षा अभ्यास है,जिसे विशेष रूप से सीमा पार से संभावित शत्रुतापूर्ण हमलों की स्थिति में आम नागरिकों,सुरक्षाबलों और प्रशासनिक एजेंसियों की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को परखने के लिए डिजाइन किया गया है। इस ऑपरेशन के तहत हवाई हमलों के सायरन बजाए जाएँगे,ब्लैकआउट प्रोटोकॉल (अंधकार व्यवस्था) लागू की जाएगी,आपातकालीन सेवाओं की भूमिका का मूल्यांकन होगा और स्थानीय नागरिकों की जागरूकता और प्रतिक्रिया व्यवहार का निरीक्षण किया जाएगा।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार,अभ्यास के दौरान वास्तविक समय के आपातकालीन परिदृश्यों की नकल की जाएगी। उदाहरण के लिए,सीमावर्ती जिलों में सायरन बजाकर नागरिकों को अलर्ट किया जाएगा। ब्लैकआउट व्यवस्था के तहत बिजली गुल कर दी जाएगी,जिससे कोई कृत्रिम रोशनी बाहर न जाए (हालाँकि,अस्पताल, पुलिस और अन्य आवश्यक सेवाएँ इससे मुक्त रहेंगी)। नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का अभ्यास कराया जाएगा,स्थानीय प्रशासन,सेना, पुलिस और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के तालमेल को परखा जाएगा।
पंजाब के चिन्हित संवेदनशील इलाकों में मॉक ड्रिल के दौरान पूर्ण ब्लैकआउट लागू किया जाएगा। केवल आपातकालीन सेवाओं को इससे छूट मिलेगी। सायरनों के माध्यम से नागरिकों को अभ्यास के बारे में सचेत किया जाएगा। इस दौरान स्थानीय समुदायों और प्रतिक्रिया एजेंसियों के बीच दबाव में काम करने की क्षमता का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि पहले देशभर में कराए गए ऐसे अभ्यासों के दौरान कई परिचालन कमियाँ उजागर हुई थीं। इन कमियों को ध्यान में रखते हुए, अब विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में यह अभ्यास दोहराया जा रहा है। इस बार मंशा है कि सिर्फ कागजी तैयारी नहीं,बल्कि व्यवहारिक दक्षता और प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण हो।
इस अभ्यास का उद्देश्य सिर्फ सैन्य बलों की क्षमता को परखना नहीं है,बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि,नागरिकों को संकट की स्थिति में क्या करना है, इसकी सटीक जानकारी हो,विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की परीक्षा हो,स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य सेवाएँ,आपदा प्रबंधन बल और पुलिस बल एकजुट होकर तेजी से प्रतिक्रिया दे सकें तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को किसी भी हमले या आपदा की स्थिति में सुरक्षित तरीके से निकालने की योजना पहले से तैयार रहे।
वर्तमान में भारत जिस भू-राजनीतिक तनाव के दौर से गुजर रहा है,उसमें सीमाओं की सुरक्षा और आम नागरिकों की भूमिका अहम हो जाती है। पाकिस्तान से जुड़े सीमा क्षेत्रों में घुसपैठ,ड्रोन हमले और आतंकी गतिविधियों की आशंका लगातार बनी रहती है। ऐसे में यह अभ्यास राष्ट्रीय सुरक्षा ढाँचे को आंतरिक रूप से मजबूत करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
‘ऑपरेशन शील्ड’ एक ऐसा कदम है,जो केवल सरकार या सुरक्षा बलों तक सीमित नहीं है,बल्कि यह हर नागरिक को सुरक्षा तंत्र का हिस्सा बनाने का प्रयास है। यह न केवल संभावित खतरों के प्रति सजगता को बढ़ाता है,बल्कि संकट की घड़ी में प्रभावी,समन्वित और सटीक प्रतिक्रिया देने की तैयारी का प्रमाण भी है।
आज शाम होने वाली इस मॉक ड्रिल से यह उम्मीद की जा रही है कि इससे ना केवल एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर होगा,बल्कि जनजागरूकता और विश्वास भी बढ़ेगा,जो किसी भी आपात स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण होता है।
