नई दिल्ली,29 मई (युआईटीवी)- आईपीएल 2025 के एक हाई-वोल्टेज मुकाबले में मैदान के अंदर खेल की भावना और टीम कप्तानी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। पूर्व भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने लखनऊ सुपर जायंट्स (एलएसजी) के कप्तान ऋषभ पंत की उस फैसले पर कड़ी आलोचना की है,जिसमें उन्होंने नॉन-स्ट्राइकर छोर पर रन आउट की अपील को वापस ले लिया था। यह वाकया एलएसजी और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के बीच खेले गए एक मुकाबले के दौरान हुआ,जिसमें पंत के इस कदम को ऑन-एयर कमेंटेटरों ने ‘खेल भावना’ की मिसाल बताया,लेकिन अश्विन को यह फैसला नागवार गुज़रा।
यह मुकाबला लखनऊ के बीआरएसएबीवी एकाना स्टेडियम में खेला गया। आरसीबी लक्ष्य का पीछा कर रही थी और 17वें ओवर की पाँचवीं गेंद पर लखनऊ के युवा स्पिनर दिग्वेश राठी ने नॉन-स्ट्राइकर छोर पर खड़े आरसीबी के बल्लेबाज़ और पंजाब किंग्स के स्टैंड-इन कप्तान जितेश शर्मा को रन आउट करने की कोशिश की।
दिग्वेश ने गेंदबाज़ी एक्शन में रहते हुए अपनी गेंद को फेंकने से पहले स्टंप्स पर वार कर दिया,क्योंकि जितेश क्रीज छोड़ चुके थे। राठी ने अपील की और मैदानी अंपायरों ने इस मामले को थर्ड अंपायर के पास भेजा,लेकिन थर्ड अंपायर ने निर्णय दिया कि गेंदबाज़ ने अपनी डिलीवरी स्ट्राइड पूरी कर ली थी और बल्लेबाज़ क्रीज़ के अंदर थे, इसलिए यह ‘नॉट आउट’ है।
हालाँकि,अगर थर्ड अंपायर ‘आउट’ करार भी देता,तब भी विकेट नहीं मिलता क्योंकि ऋषभ पंत ने मैदान पर स्पष्ट किया कि वह अपील वापस ले रहे हैं।
रविचंद्रन अश्विन, जो खुद आईपीएल 2019 में इसी तरह के रन आउट विवाद में जोस बटलर को आउट कर चुके हैं,ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “दिग्वेश राठी ने अपनी गेंदबाज़ी के दौरान फ्रंट फुट लैंड किया और बल्लेबाज़ क्रीज़ के अंदर थे,इसलिए तकनीकी तौर पर यह नॉट आउट है,लेकिन इस घटना के बाद ऑन-एयर कमेंटेटरों ने कहा कि ‘पंत ने अपील वापस ले ली, कितना शानदार खेल भावना है।’ मैं कहता हूँ, चलो यार,इससे बाहर आओ।”
अश्विन ने स्पष्ट किया कि वह पंत के प्रशंसक हैं। उनके 61 गेंदों में 118 रनों की पारी की तारीफ की,लेकिन इस फैसले से वे असहमत हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ खेल भावना का मामला नहीं है,बल्कि एक कप्तान की जिम्मेदारी है कि वह अपने खिलाड़ियों,खासकर नए गेंदबाज़ों का समर्थन करे।
अश्विन ने दिग्वेश राठी के नजरिए से बात करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएँ युवा खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “एक कप्तान का काम अपने खिलाड़ियों का समर्थन करना है और गेंदबाज को छोटा नहीं दिखाना है। करोड़ों लोगों के सामने उस युवा खिलाड़ी को अपमानित मत करो। यह अपमानजनक है।”
अश्विन ने यह भी कहा कि वे दिग्वेश को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते,लेकिन बात उस खिलाड़ी के आत्म-सम्मान की है। उन्होंने कहा कि जब कोई कप्तान इस तरह अपील वापस ले लेता है,तो गेंदबाज़ इतना अपमानित महसूस करता है कि वह भविष्य में इस तरह की वैध अपील करने में भी हिचकिचाएगा।
यह मुद्दा सिर्फ एक रन आउट अपील से कहीं ज़्यादा बड़ा हो गया है। आईपीएल जैसे मंच पर ‘खेल भावना’ को लेकर कई बार भावनात्मक निर्णय लिए जाते हैं,लेकिन अश्विन ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या हम हर बार गेंदबाज़ को ही गलत ठहराएँगे?
अश्विन के अनुसार,यह एक खतरनाक ट्रेंड है, जहाँ गेंदबाज़ों को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया जाता है,जबकि बल्लेबाज़ों की ग़लती को ‘चूक’ कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
गौरतलब है कि जितेश शर्मा ने इस मैच में शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए मात्र 33 गेंदों में नाबाद 85 रन बनाए। उनकी इस पारी की बदौलत आरसीबी ने एलएसजी को छह विकेट से हराया और पंजाब किंग्स के साथ क्वालिफायर 1 में अपनी जगह पक्की की।
यानी अगर वह रन आउट हो जाते,तो मैच का परिणाम अलग हो सकता था। हालाँकि,तकनीकी तौर पर वह आउट नहीं थे,लेकिन अपील का वापस लिया जाना इस बहस का विषय बन गया।
अश्विन की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। सवाल यह है कि क्या कप्तानी का मतलब लोकप्रिय निर्णय लेना है या टीम के हर खिलाड़ी का मनोबल बनाए रखना?
ऋषभ पंत की इस ‘खेल भावना’ की तारीफ जरूर हो रही है,लेकिन अश्विन ने इस घटना के दूसरे पहलू को सामने लाकर एक जरूरी चर्चा शुरू की है। क्या गेंदबाज़ों के आत्म-सम्मान को भी उतना ही महत्व दिया जाता है,जितना बल्लेबाज़ों की सहजता और लय को?
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ रन और विकेट का खेल नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन,नेतृत्व और व्यावसायिक दृष्टिकोण का भी खेल है और जब बात आईपीएल जैसी वैश्विक लीग की हो,तो हर निर्णय एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा बनता है।