इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@Anjalimishra879)

ईरान-इजरायल टकराव अपने चरम पर,इजरायल ने ईरान के टॉप सैन्य कमांडर को मारने का किया दावा

नई दिल्ली,13 जून (युआईटीवी)- पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। ईरान और इजरायल के बीच तनाव अब खुले सैन्य टकराव में बदल गया है। इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने शुक्रवार सुबह ईरान के खिलाफ एक बड़ा हवाई हमला किया,जिसे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने “अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लक्षित सैन्य अभियान” बताया है। इस अभियान में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य कमांडर मारे जाने का दावा किया गया है।

इजरायल डिफेंस फोर्स ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किए गए पोस्ट में इजरायली हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी के मारे जाने का दावा किया है। उन्होंने कहा, “अब हम पुष्टि कर सकते हैं कि ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के कमांडर और आपातकालीन सैन्य कमांडर हमारे एयरस्ट्राइक में मारे गए हैं।”

आईडीएफ के मुताबिक,इस हमले में 200 से अधिक लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया और उन्होंने ईरान के अंडरग्राउंड और हाई-प्रोटेक्टेड मिलिट्री बेस को निशाना बनाया। यह इजरायल की ओर से एक प्रभावशाली और सुनियोजित सैन्य प्रतिक्रिया थी,जो ईरानी परमाणु खतरे को खत्म करने की रणनीति के तहत की गई।

आईडीएफ ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि उन्हें जो खुफिया जानकारी मिली है,उसके अनुसार ईरान अब परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया में ‘बिना वापसी’ की स्थिति के करीब पहुँच चुका है।

आईडीएफ के प्रवक्ता ने कहा, “ईरान अब भूमिगत फोर्टिफाइड साइट्स में विकेंद्रीकृत ढंग से हजारों किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। हाल के महीनों में इसमें बहुत तेजी आई है।”

आईडीएफ का यह भी कहना है कि विश्व समुदाय ने बीते कई सालों में ईरान को रोकने के लिए कूटनीतिक उपाय आजमाए,लेकिन ईरानी शासन ने जानबूझकर इस रास्ते को अस्वीकार कर दिया है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमलों की पुष्टि करते हुए बयान जारी किया कि, “ईरान हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन चुका है। इसीलिए हमने प्रीएम्प्टिव स्ट्राइक (रोकथाम हेतु पहला वार) की रणनीति अपनाई है,जिससे ईरानी सैन्य क्षमता को कमजोर किया जा सके।”

इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि यह हमला आत्मरक्षा के तहत किया गया है और यह सिर्फ एक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि आईडीएफ अपने नागरिकों की रक्षा के लिए आगे भी ऐसी कार्रवाइयों को अंजाम देता रहेगा।

ईजरायल के हमले के कुछ ही घंटों बाद,ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 100 से अधिक ड्रोन इजरायल की ओर दागे। आईडीएफ के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने इसकी पुष्टि की और कहा कि, “हमने ईरान से दागे गए ड्रोन की निगरानी शुरू कर दी है। कई ड्रोन को एयरस्पेस में ही निष्क्रिय कर दिया गया है और बाकी को रोकने की कोशिशें जारी हैं।”

आईडीएफ ने चेतावनी दी कि यदि ईरान की ओर से और उकसावे वाली कार्रवाई हुई,तो इजरायल और भी कठोर सैन्य प्रतिक्रिया देने को तैयार है।

हालाँकि,अमेरिका और यूरोपीय देश अभी सीधे प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं,लेकिन कूटनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने भी पुष्टि की है कि ईरान 90% से अधिक शुद्धता वाले यूरेनियम के भंडार तक पहुँच चुका है,जो परमाणु हथियार निर्माण की अंतिम सीमा मानी जाती है।

इस ताज़ा घटनाक्रम से स्पष्ट है कि अब ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव केवल बयानबाज़ी या सीमित हमलों तक सीमित नहीं रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देशों ने युद्धविराम या कोई कूटनीतिक रास्ता नहीं अपनाया,तो यह संकट एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है,जिसमें लेबनान का हिज़्बुल्ला,सीरिया और अमेरिका जैसे देशों की भी भागीदारी हो सकती है।

ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। जहाँ इजरायल अपने परमाणु खतरों को लेकर गंभीर है,वहीं ईरान इस हमले को सीधी आक्रामकता और संप्रभुता का उल्लंघन मान रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कूटनीतिक माध्यम इस युद्ध की आग को बुझा पाएँगे,या फिर मध्य-पूर्व एक और विनाशकारी युद्ध का गवाह बनेगा।

बहरहाल,फिलहाल इजरायल ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी खतरे के खिलाफ चुप नहीं बैठने वाला है,चाहे वह खामोश परमाणु दौड़ हो या ड्रोन के जरिए किया गया हमला।