नई दिल्ली,16 जून (युआईटीवी)- ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ते सैन्य तनाव ने मध्य पूर्व में एक गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। हालिया घटनाओं ने इस टकराव को परमाणु युद्ध की आशंका तक पहुँचा दिया है। खासकर तब जब ईरान की ओर से दावा किया गया कि यदि इजरायल परमाणु हमला करता है तो पाकिस्तान उसके साथ खड़ा होगा। हालाँकि,इस दावे को पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है,जिससे कई भ्रमों और अफवाहों पर विराम लग गया है।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के सीनियर जनरल मोहसेन रेजाई ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि पाकिस्तान,ईरान के साथ है और इजरायल के खिलाफ परमाणु हमले की स्थिति में उसका साथ देगा। उनका यह बयान अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में तेजी से वायरल हुआ और इससे यह धारणा बनने लगी कि ईरान को एक इस्लामिक परमाणु शक्ति का समर्थन प्राप्त है।
यह दावा ऐसे समय में सामने आया है,जब इजरायल ने ईरान पर हवाई और मिसाइल हमले किए,जिनमें अब तक 224 ईरानी नागरिकों की मौत हो चुकी है और 1277 से अधिक घायल हैं। इन हमलों के जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया,जिससे सेंट्रल इजरायल में तीन लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए।
ईरानी जनरल के बयान पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट किया कि इस्लामाबाद ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और न ही इजरायल के खिलाफ किसी तरह के परमाणु हमले में भाग लेने की कोई योजना बनाई है। ख्वाजा आसिफ ने ईरान के दावे को झूठा बताया और कहा कि पाकिस्तान किसी भी क्षेत्रीय युद्ध का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
यह बयान पाकिस्तान के रुख को दर्शाता है,जिसमें वह खुद को एक तटस्थ शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है और किसी भी प्रकार के सैन्य गठबंधन से बचना चाहता है, विशेषकर परमाणु हथियारों के उपयोग के संदर्भ में।
इस पूरे विवाद के बीच ईरानी मीडिया से एक और चौंकाने वाला दावा सामने आया। रिपोर्ट्स के मुताबिक,ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई अपने परिवार के साथ बंकर में छिप गए हैं। दावा है कि इजरायल ने खामेनेई पर हमला करने की योजना बनाई थी और यह प्रस्ताव अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक भी पहुँचा था,लेकिन उन्होंने इस योजना पर रोक लगा दी।
हालाँकि इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है,लेकिन यह साफ है कि वर्तमान तनाव केवल सैन्य नहीं,बल्कि राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी गहराता जा रहा है।
ईरानी जवाबी कार्रवाई में सेंट्रल इजरायल में बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं,जिससे जनहानि भी हुई। इजरायली आपातकालीन सेवा ‘मैगन डेविड एडोम’ (एमडीए) के अनुसार,हमलों में तीन नागरिकों की मौत हुई है और 67 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इनमें एक 30 वर्षीय महिला की हालत गंभीर है,जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। 60 लोग हल्की चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती हुए हैं,जिनमें से कई तनाव और घबराहट के शिकार बताए गए हैं।
ईरान और इजरायल के बीच तनाव जिस स्तर पर पहुँच गया है,वह केवल क्षेत्रीय शांति ही नहीं बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी खतरा बन गया है। परमाणु हथियारों का नाम आना,पाकिस्तान जैसे देश को इसमें घसीटना और सर्वोच्च नेताओं की जान पर खतरे की रिपोर्टें इस बात का संकेत हैं कि संकट अब केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा।
पाकिस्तान द्वारा ईरान के परमाणु युद्ध सहयोग के दावे को खारिज करना एक राहत भरा संकेत है,लेकिन इससे संकट समाप्त नहीं होता। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र,अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों को मध्यस्थता के प्रयास तेज करने होंगे,ताकि स्थिति किसी विनाशकारी दिशा में न बढ़े।
यदि यह तनाव बढ़ता रहा,तो इसका असर तेल कीमतों,वैश्विक बाजारों और पश्चिम एशिया की शांति पर भारी पड़ेगा। अब समय आ गया है कि सभी पक्ष संयम बरतें और युद्ध की बजाय संवाद का रास्ता अपनाएँ।
