प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@SonOfBharat7)

इजरायल-हमास के बीच बंधकों की रिहाई शुरू,नेतन्याहू बोले – अभियान अभी खत्म नहीं हुआ

यरूशलम,13 अक्टूबर (युआईटीवी)- मध्य पूर्व में लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बीच अब एक महत्वपूर्ण मानवीय कदम उठाया गया है। इजरायल और हमास के बीच बंधकों और कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है। इजरायली समयानुसार सुबह 8 बजे से बंधकों की रिहाई शुरू होगी। इस ऐतिहासिक घटना को दोनों पक्षों के बीच चल रहे संघर्ष में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। हालाँकि,इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश का सैन्य अभियान अभी समाप्त नहीं हुआ है और इजरायल अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा लक्ष्यों से पीछे नहीं हटेगा।

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि शेष 20 बंधकों की रिहाई “ऐतिहासिक और भावनात्मक” पल है। उन्होंने कहा, “हमने जहाँ भी युद्ध किया,वहाँ जीत हासिल की,लेकिन यह अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। हम अपने दुश्मनों को यह संदेश देना चाहते हैं कि इजरायल कभी भी आत्मरक्षा के अधिकार से पीछे नहीं हटेगा।” नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल की सेना ने अभूतपूर्व साहस और कुशलता के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और अब भी यह लड़ाई जारी रहेगी।

उन्होंने आगे कहा कि इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाया जाएगा। “हमारे कुछ दुश्मन फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहे हैं,लेकिन हम उन्हें ऐसा करने नहीं देंगे। हमारे सामने अब भी कई सुरक्षा चुनौतियाँ हैं। इजरायल का लक्ष्य सिर्फ बंधकों की रिहाई तक सीमित नहीं है,बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि गाजा और अन्य इलाकों से इजरायल की नागरिक आबादी को दोबारा खतरा न हो।” नेतन्याहू ने यह भी कहा कि देश का सैन्य अभियान तब तक जारी रहेगा,जब तक गाजा में मौजूद आतंकवादी नेटवर्क पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता।

इससे पहले इजरायल के सैन्य प्रमुख इयाल जमीर ने एक बयान में कहा कि देश ने हमास पर निर्णायक जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि यह सफलता सिर्फ सैन्य दबाव का परिणाम नहीं,बल्कि कूटनीतिक प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का भी नतीजा है। इयाल जमीर ने कहा, “हमने अपने अभियानों के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि गाजा अब इजरायल के लिए खतरा नहीं बने। हमने एक नई सुरक्षा वास्तविकता तैयार की है,जो आने वाले वर्षों में मध्य पूर्व की स्थिरता को भी प्रभावित करेगी।”

उन्होंने बताया कि इजरायल इस समय कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है,चाहे वह उत्तरी सीमा पर हिज्बुल्लाह का खतरा हो या गाजा में हमास की गतिविधियाँ,लेकिन सेना इन सभी मोर्चों पर सतर्क है और भविष्य के खतरों को ध्यान में रखते हुए अपनी सुरक्षा रणनीति को नया रूप दे रही है।

उधर,इस संघर्षविराम की पहल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में हुई है। ट्रंप प्रशासन ने गाजा पीस प्लान के तहत शुक्रवार से युद्धविराम लागू करने का प्रस्ताव दिया था,जिसे दोनों पक्षों ने अंततः स्वीकार कर लिया। इस समझौते के तहत इजरायल और हमास दोनों एक-दूसरे के बंदियों की अदला-बदली करेंगे। इस दौरान कतर,मिस्र और संयुक्त राष्ट्र जैसे देशों ने भी मध्यस्थ की भूमिका निभाई है।

इसी क्रम में मिस्र में सोमवार को “गाजा शांति शिखर सम्मेलन” आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन की अध्यक्षता अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी संयुक्त रूप से करेंगे। इसमें इजरायल,फिलिस्तीन,सऊदी अरब,जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य गाजा क्षेत्र में स्थायी शांति व्यवस्था स्थापित करने और पुनर्निर्माण कार्यों को शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाना है।

सूत्रों के अनुसार,अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सोमवार सुबह महज चार घंटे के लिए इजरायल की राजधानी यरूशलम भी पहुँचेंगे। वहाँ वे प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मुलाकात करेंगे और बंधकों की रिहाई से जुड़े मानवीय प्रयासों की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा,ट्रंप का यह दौरा गाजा क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुँचाने की योजनाओं पर चर्चा के लिए भी अहम माना जा रहा है।

इजरायल और हमास के बीच यह युद्धविराम भले ही अस्थायी हो,लेकिन इसे एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कई महीनों से जारी संघर्ष में हजारों लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए हैं। ऐसे में यह समझौता न केवल दोनों देशों के नागरिकों के लिए राहत लेकर आया है,बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति की एक नई उम्मीद भी जगाता है।

फिर भी,नेतन्याहू का बयान यह स्पष्ट करता है कि इजरायल अपने सुरक्षा अभियानों को पूरी तरह समाप्त नहीं करने वाला। उन्होंने कहा, “हम शांति के पक्षधर हैं,लेकिन जब तक हमारे नागरिकों पर खतरा मंडराता रहेगा,हम चुप नहीं बैठेंगे। यह लड़ाई हमारे अस्तित्व की है और इजरायल अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगा।”

इस समय पूरी दुनिया की निगाहें गाजा और यरूशलम पर टिकी हैं,जहाँ उम्मीद और आशंका दोनों का माहौल बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उम्मीद है कि यह युद्धविराम स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम साबित होगा,जबकि इजरायल यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके नागरिक फिर कभी आतंक के साये में न जिएँ।