तेल अवीव,16 जून (युआईटीवी)- पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा है और इस बार इज़राइल और ईरान के बीच का संघर्ष और भी अधिक खतरनाक होता जा रहा है। इसी बीच,इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक चौंकाने वाला दावा किया है,जिससे अंतर्राष्ट्रीय हलकों में हलचल मच गई है। नेतन्याहू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ईरान ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हुए उनकी हत्या की साजिश रची थी।
नेतन्याहू के मुताबिक,ईरान केवल इज़राइल ही नहीं बल्कि उन सभी को अपना दुश्मन मानता है,जो उसके परमाणु कार्यक्रम के विरोध में खड़े होते हैं। उन्होंने कहा, “ईरान का इस्लामी शासन ट्रंप को दुश्मन नंबर एक मानता है। पूर्व राष्ट्रपति ने जिस कठोरता से ईरानी परमाणु कार्यक्रम का विरोध किया,उसी वजह से ईरान उन्हें समाप्त करना चाहता था।” नेतन्याहू ने यह भी कहा कि ईरान की यह सोच केवल उसकी सरकार के खिलाफ नहीं,बल्कि पूरे पश्चिमी विश्व के खिलाफ है।
उन्होंने अमेरिकी न्यूज़ चैनल फॉक्स न्यूज को बताया कि एक समय उनके बेडरूम की खिड़की में भी मिसाइल दागी गई थी,जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह भी ईरान के निशाने पर हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद को ट्रंप का “जूनियर पार्टनर” मानते हैं, जिन्होंने मिलकर ईरान की परमाणु क्षमता को रोकने का प्रयास किया।
हालाँकि,नेतन्याहू के इस दावे पर ईरान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन इस बयान ने क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार,इज़राइली हमलों में तीन दिनों में 224 नागरिकों की मौत हो चुकी है और 1200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
ईरान लगातार दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांति के उद्देश्य से है, लेकिन इज़राइल और अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश इसे संदेह की दृष्टि से देखते हैं। नेतन्याहू के ताज़ा बयान ने उन आशंकाओं को और बल दिया है कि ईरान वास्तव में परमाणु हथियार बना सकता है और विश्व शांति के लिए खतरा बन सकता है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि उनका देश अब परमाणु विनाश के खतरे के बेहद करीब है और उसके पास केवल आक्रामक कार्रवाई का ही विकल्प बचा है। उन्होंने कहा, “हम न केवल अपनी रक्षा कर रहे हैं,बल्कि पूरी दुनिया की रक्षा कर रहे हैं।”
नेतन्याहू के अनुसार,इज़राइल के सैन्य अभियानों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को काफी पीछे धकेल दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इज़राइल आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार से संवाद करने में विश्वास नहीं करता। उनका देश वह सब कुछ करेगा,जो ईरान द्वारा उत्पन्न परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को समाप्त करने के लिए आवश्यक होगा।
पश्चिम एशिया की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अमेरिका,यूरोप और संयुक्त राष्ट्र सभी इस संघर्ष को टालने की कोशिश कर रहे हैं,लेकिन इज़राइल के इस आक्रामक रुख और ईरान की प्रतिक्रिया ने हालात को और जटिल बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टकराव पूर्ण युद्ध में बदल गया,तो इसका असर पूरी दुनिया पर होगा,खासकर तेल आपूर्ति,वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर। ट्रंप की हत्या की साजिश से जुड़ा आरोप अमेरिका और ईरान के संबंधों को भी फिर से गरमा सकता है,जो पहले ही तनावपूर्ण हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू की छवि हमेशा एक सख्त राष्ट्रवादी नेता की रही है,जो इज़राइल की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं। उनका मानना है कि ईरान को रोकने के लिए केवल राजनयिक या आर्थिक प्रतिबंध काफी नहीं होंगे,बल्कि सैन्य कार्रवाई की भी आवश्यकता है।
नेतन्याहू कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह कहते आए हैं कि ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकना मानवता के भविष्य के लिए आवश्यक है। अब जब उन्होंने ईरान पर ट्रंप की हत्या की साजिश का आरोप लगाया है,तो यह इस बात का संकेत है कि इज़राइल आगे और कठोर कदम उठा सकता है।
नेतन्याहू का यह दावा केवल एक बयान नहीं,बल्कि आने वाले समय की दिशा का संकेत है। यदि उनका यह आरोप सच साबित होता है,तो ईरान और पश्चिमी देशों के बीच का रिश्ता और बिगड़ सकता है। वहीं,इज़राइल और ईरान के बीच की यह तनातनी विश्व शांति के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
अब पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि ईरान इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या पश्चिम एशिया एक और बड़े युद्ध की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में वैश्विक कूटनीति,संयम और समझदारी की सबसे अधिक जरूरत है।
