A medical worker prepared a dose of the Chinese COVID-19 vaccine in Windhoek, Namibia, on Jan. 9, 2022. (Xinhua/Chen Cheng/IANS)

जापानी इंसेफेलाइटिस के खिलाफ 48 लाख बच्चों का होगा टीकाकरण

बेंगलुरु, 6 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| कर्नाटक में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के खिलाफ 1 से 15 साल की उम्र के अनुमानित 48 लाख बच्चों को टीका लगाने के लिए 5 दिसंबर से तीन सप्ताह की अवधि के लिए एक विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। एन्सेफलाइटिस संक्रमण या एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण मस्तिष्क की सूजन है। जेई भारत में एन्सेफलाइटिस के सबसे आम कारणों में से एक है और हर साल इसके कुल 68,000 मामले सामने आते हैं।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने रविवार को कहा, “इनमें से मृत्युदर लगभग 20-30 प्रतिशत है। जो लोग ठीक हो जाते हैं, उनमें से 30-50 प्रतिशत संवेदी और मोटर की कमजोरी और अन्य स्थायी शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं के साथ समाप्त हो जाते हैं।”

जेई फ्लेविवायरस नामक वायरस के कारण होता है और यह मुख्य रूप से क्यूलेक्स मच्छरों द्वारा फैलता है। वायरस सूअरों और जंगली पक्षियों में बना रहता है जिन्हें एम्पलीफायर होस्ट कहा जाता है, जबकि मनुष्य डेड-एंड होस्ट है।

विशेष टीकाकरण अभियान के बारे में बोलते हुए सुधाकर ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में टीकाकरण अभियान मुख्य रूप से निजी और सरकारी स्कूलों पर केंद्रित होगा। इसके बाद अगले दो सप्ताह में यह अभियान स्वास्थ्य संस्थानों, आंगनवाड़ी केंद्रों आदि पर केंद्रित होगा।

उन्होंने कहा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हमें अभियान चलाने के लिए जेनवैक वैक्सीन की आपूर्ति करेगा।

कर्नाटक में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, बेल्लारी, रायचूर, कोप्पल, विजयपुर, चिक्काबल्लापुर, कोलार, मांड्या, धारवाड़, चित्रदुर्ग और दावणगेरे जिलों को इस वायरस के लिए 10 स्थानिक जिलों के रूप में पहचाना गया है। इन जिलों में नौ महीने पूरे होने पर बच्चों को जेई का टीका लगाया जाता है और 1.5 साल की उम्र में दूसरी खुराक दी जाती है।

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