वाशिंगटन,13 नवंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं। कुख्यात यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से उनकी कथित नज़दीकियों को लेकर नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। बुधवार को एपस्टीन फाइल से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक होने के बाद अमेरिकी राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इन दस्तावेजों में डेमोक्रेटिक पार्टी ने कुछ ईमेल पेश किए हैं,जिनमें दावा किया गया है कि ट्रंप का एपस्टीन के साथ न केवल घनिष्ठ संपर्क था,बल्कि उन्होंने उसके घर में एक यौन शोषण पीड़िता के साथ घंटों वक्त बिताया था।
हालाँकि,व्हाइट हाउस ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बयान जारी कर कहा कि इन ईमेलों में ऐसा कुछ नहीं है,जो राष्ट्रपति ट्रंप के किसी अपराध में शामिल होने की पुष्टि करता हो। उन्होंने कहा, “ये ईमेल इस बात को छोड़कर कुछ भी साबित नहीं करते कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ गलत नहीं किया। विपक्ष केवल पुरानी बातें उछालकर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है।”
लेकिन इन ईमेलों ने एक बार फिर ट्रंप और एपस्टीन के रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सामने आया पहला ईमेल अप्रैल 2011 का है,जिसे जेफरी एपस्टीन ने अपनी पुरानी सहयोगी गिस्लेन मैक्सवेल को भेजा था। इस मेल में एपस्टीन ने दावा किया था कि ट्रंप ने उसके घर में एक महिला के साथ कई घंटे बिताए थे। व्हाइट हाउस के अनुसार,ईमेल में जिस महिला का ज़िक्र है,वह एपस्टीन की मुख्य अभियुक्त और यौन उत्पीड़न की पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे थी।
एपस्टीन ने उस ईमेल में लिखा था, “मैं चाहता हूँ कि तुम जानो,यह पीड़िता मेरे घर में ट्रंप के साथ कई घंटे रही,लेकिन उसका नाम कभी सामने नहीं आया।” इस मेल का जवाब देते हुए मैक्सवेल ने लिखा था, “मैं इसके बारे में सोच रही थी।” इस बातचीत के सामने आने के बाद अमेरिकी मीडिया में यह चर्चा फिर से छिड़ गई है कि ट्रंप और एपस्टीन के बीच असल रिश्ता कितना गहरा था।
एपस्टीन और मैक्सवेल,दोनों पर सालों तक नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और तस्करी के गंभीर आरोप लगे थे। एपस्टीन ने 2019 में जेल में आत्महत्या कर ली थी,जबकि गिस्लेन मैक्सवेल को अदालत ने बाद में यौन तस्करी का दोषी ठहराते हुए 20 साल की सज़ा सुनाई थी। एपस्टीन की मौत के बाद से ही यह मामला अमेरिकी समाज में गहरे नैतिक और राजनीतिक सवालों का केंद्र बना हुआ है।
ट्रंप प्रशासन ने इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश” बताया है। कैरोलिन लेविट ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि डेमोक्रेट्स बार-बार ट्रंप को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे 2024 के चुनावों में उनकी लोकप्रियता से डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने एपस्टीन को अपने फ्लोरिडा क्लब ‘मार-ए-लागो’ से इसलिए बाहर कर दिया था क्योंकि वह एक पीडोफाइल और घिनौना इंसान था। यह बात खुद ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक रूप से कही है।”
लेविट ने यह भी कहा कि ट्रंप और एपस्टीन दोनों पाम बीच से थे,लेकिन ट्रंप ने उनके आपराधिक स्वभाव को देखते हुए उनसे दूरी बना ली थी। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा साफ-सुथरे व्यवहार के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने कभी भी एपस्टीन के अपराधों का समर्थन नहीं किया। बल्कि,जब उन्हें एपस्टीन के घिनौने कृत्यों की जानकारी हुई,उन्होंने तुरंत कार्रवाई की।”
हालाँकि,विपक्ष का कहना है कि यह मामला केवल राजनीतिक आरोपों का नहीं,बल्कि नैतिक जिम्मेदारी का भी है। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं का तर्क है कि अगर ट्रंप वाकई एपस्टीन को जानते थे,तो उन्हें पहले ही इन अपराधों की रिपोर्ट करनी चाहिए थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि एपस्टीन और ट्रंप की दोस्ती 1990 के दशक में शुरू हुई थी और दोनों को कई बार एक साथ सार्वजनिक आयोजनों में देखा गया था।
इसी बीच एक और ईमेल चर्चा में है,जो एपस्टीन ने 31 जनवरी 2019 को लेखक माइकल वोल्फ को लिखा था। उसमें एपस्टीन ने कथित तौर पर कहा था, “बेशक उन्हें (ट्रंप को) लड़कियों के बारे में पता था,इसलिए उन्होंने गिस्लेन को ऐसा करने से मना किया था।” इस वाक्य के बाद से यह बहस और तेज हो गई है कि ट्रंप को एपस्टीन की गतिविधियों की जानकारी कितनी पहले थी और उन्होंने उस वक्त कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
इस पूरे विवाद ने अमेरिकी राजनीतिक माहौल को फिर गर्मा दिया है। रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेता इसे डेमोक्रेट्स की “साजिश” बता रहे हैं,जबकि डेमोक्रेट्स का कहना है कि जनता को सच्चाई जानने का अधिकार है। अमेरिकी मीडिया ने इस मुद्दे को “एपस्टीन फाइल्स बम” नाम दिया है,जो चुनावी वर्ष में ट्रंप की छवि पर गंभीर असर डाल सकता है।
फिलहाल,व्हाइट हाउस ट्रंप की छवि बचाने में जुटा है और सभी आरोपों को “मनगढ़ंत” बताया जा रहा है,लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे एपस्टीन से जुड़े दस्तावेज और गवाहियाँ सामने आएँगी,इस मामले की सियासी आंच और बढ़ेगी। अमेरिका में ट्रंप की लोकप्रियता पहले से ही कानूनी मामलों और अदालतों में चल रहे मुकदमों से प्रभावित है,ऐसे में एपस्टीन कांड से जुड़ा यह नया विवाद उनके लिए एक और चुनौती साबित हो सकता है।

